Sunday 15 July 2018

बारिश....

बारिश
मेरी वाली
तुम्हारी वाली
सुकून देती
बेचैनियां बढ़ाती
दीवाना बनाती।

बारिश
प्यास बुझाती
आग लगाती
चाहत जगाती
आतुरता बढ़ाती
किसी की याद दिलाती।

बारिश
घने काले बादलों के साथ
दूर देश से आती
नशे में रहती
झूम कर बरसती
अपनी धुन में नचाती।

बारिश
टिप-टिप कर गिरती
बादलों को झाड़कर बूंदें गिराती
कानों में मधुर संगीत घोलती
स्वरों के इस झुरमुट में
हमें खो जाने को कहती।

बारिश
जब मिट्टी पर गिरती
खुद को भूल जाती
अपने अस्तित्व को खोती
मिलकर अपने प्रिय से
उसके रंग में रंग जाती।

बारिश
किसी मुस्कान सी चमकती
घने काले बालों जैसे बादलों के साथ रहती
ठंडी हवाएं सिहरन सी जगाती
कोमलता का एहसास दिलाती
बूंदों की आवाज जानी पहचानी लगती
मुझे धोखा सा होता
ये तुम सी लगती।

बारिश.....