Friday 18 November 2022

मुश्किल

बड़ा मुश्किल है इस दौर में 

जहाँ हो, वहीं पर रहना...

एक वयस्क होकर भीड़ में

बच्चों सा दिल रखना।


बड़ा मुश्किल है राजनीति में 

किसी से भी याराना...

जीतने की दौड़ में भला

कहाँ मुमकिन है साथ चल पाना।


बड़ा मुश्किल है संग तेरे मेरा

खुद को बहकने से बचाना...

दूर होकर भी तुझसे मेरा 

खुद को तनहा रखना।


बड़ा मुश्किल है इच्छाओं को

गलत सही के  चक्कर में दबाना...

जलराशि खतरे से ज्यादा हो तो

लाजमी है बाँध का ढह जाना।


बड़ा मुश्किल है सच्चे दिल से 

किसी सच को छुपाना...

चेहरा झूठ बोल भी दे तो 

आँखों से नही हो पाता निभाना।


बड़ा मुश्किल है लोगों से 

ये रिश्ता देर तक छिपाना...

दिल जलों के मोहल्ले में 

मुश्किल है आँखें चुराना।


मैं जो दिल की बात कर दूँ

तो नाराज न हो जाना...

ये तो हक़ है तेरा बोलो 

तुमसे क्या ही छुपाना।


बड़ा मुश्किल है तुझको 

छोड़कर मुझे जाना...

उसके लिए जरूरी है 

हाथों में हाथों का होना।


बड़ा मुश्किल है आनन्द 

अनुनाद में रह पाना...

दुनियादारी निभाने में 

दिल-दिमाग का एक हो पाना।


©®मुश्किल/अनुनाद/आनन्द/१८.११.२०२२



Saturday 5 November 2022

दायरा

वो दायरा 

जिससे बाहर रहकर 

लोग तुमसे 

बात करते हैं 

मैं वो दायरा 

तोड़ना चाहता हूँ 

मैं तेरे इतना क़रीब 

आना चाहता हूँ।


भीड़ में भी 

सुन लूँ 

तेरी हर बात

मैं तेरे होठों को 

अपने कानों के 

पास चाहता हूँ 

मैं तेरे इतना क़रीब 

आना चाहता हूँ।


स्पर्श से भी 

काम न चले 

सब सुन्न हो कुछ 

महसूस न हो 

तब भी तेरी धड़कन को

महसूस करना चाहता हूँ 

मैं तेरे इतना क़रीब 

आना चाहता हूँ।


चेहरे की सब 

हरकत पढ़ लूँ

आँखों की सब 

शर्म समझ लूँ

मैं तेरी साँसों से अपनी

साँसों की तकरार चाहता हूँ 

मैं तेरे इतना क़रीब 

आना चाहता हूँ।


दायरे सभी 

ख़त्म करने को 

मैं तेरा इक़रार

चाहता हूँ 

हमारे प्यार को 

परवान चढ़ा सकूँ 

मैं तेरे इतना क़रीब 

आना चाहता हूँ।

©️®️दायरा/अनुनाद/आनन्द/०५.११.२०२२


Wednesday 5 October 2022

सफ़र

दिल में एक उम्मीद जगी है फिर आज 

रेलगाड़ी के सफ़र को मैं निकला हूँ आज।


एक शख़्स ने ले लिया तेरे शहर का नाम 

लो बढ़ गया धड़कनों को सँभालने का काम।


इस गाड़ी के सफ़र में तेरा शहर भी तो पड़ता है 

बनकर मुसाफ़िर क्यूँ चले नहीं आते हो आज।


कैसे भरोसा दिलाएँ कि ज़िद छोड़ दी अब मैंने

बस मुलाक़ात होती है रोकने की कोई बात नहीं।


दिवाली का महीना है, साफ़-सफ़ाई ज़रूरी है

क्यूँ नहीं यादों पर जमी धूल हटा देते हो आज।


धूमिल होती यादों को फिर से आओ चमका दो आज 

पॉवर बढ़ गया है फिर भी बिन चश्में के देखेंगे तुझे आज।


झूठ बोलना छोड़ चुके हम अब दो टूक कहते हैं

नहीं जी पाएँगे तुम्हारे बिना ये झूठ नहीं कहेंगे आज।


तेरे यादों ने अच्छे से सँभाला हुवा है मुझे

फिर मिलेंगे ये विश्वास लेकर यहाँ तक आ गए आज।


दिल में एक उम्मीद जगी है फिर आज 

रेलगाड़ी के सफ़र को मैं निकला हूँ आज।


©️®️सफ़र/अनुनाद/आनन्द/०५.१०.२०२२





Thursday 22 September 2022

मिलना

तेरा मेरा यूँ मिलना, बोलो ग़लत कैसे

ये संयोग भी ख़ुदा की मर्ज़ी से होता है 

वरना अनुभव तो ये है कि दो लोगों के 

लाख चाहने से भी मुलाक़ात नहीं होती ।


©️®️मिलना/अनुनाद/आनन्द/२२.०९.२०२२



Monday 19 September 2022

विनम्र

कुछ लोग 

विनम्र होते हैं 

इसलिए वे

सबके सामने 

झुकते हैं …!


इसी विनम्रता

के कारण 

वे पहुँचते हैं

ऊँचाई पर …!


फिर वे 

केवल झुकते हैं

विनम्र नहीं

रहते …!


©️®️ विनम्र/अनुनाद/आनन्द/१९.०९.२०२२



Friday 16 September 2022

अधूरी इच्छा

तुम्हारे संग 
इच्छा थी 
सब कुछ 
करने की !
मगर….
एक उम्र 
बीतने के बाद 
कोई मलाल नहीं है 
कुछ न कर पाने की 
तुम्हारे संग ।

और अब देखो 
नहीं चाहते हम 
कि हमारी
कोई भी इच्छा
जिसमें तुम हो 
वो पूरी हो !

इन अधूरी इच्छाओं
को पूरा 
करने की कोशिश में 
तुमको मैं अपने
कुछ ज़्यादा
क़रीब पाता 
और महसूस
करता हूँ।

दिमाग़ में बस
तुम होते हो
और धड़कन 
तेज होती हैं!
तुम्हारे पास
होने के एहसास
भर से मैं
स्पंदित 
हो उठता हूँ
और मन 
आनन्द के हिलोरों
पर तैरने लगता है!

इच्छाएँ पूरी 
हो जाती तो 
शायद
तुमसे इश्क़ 
इतना सजीव
न हो पाता!
इसलिए जब भी
इन इच्छाओं को
पूरा करने का मौक़ा
मिलता है तो 
दिल दुवा करता है
कि तेरे संग की
मेरी हर इच्छा
सदा रहे
अधूरी इच्छा…..!

©️®️अधूरी इच्छा/अनुनाद/आनन्द/१६.०९.२०२२



Tuesday 23 August 2022

तुम्हारा होना

तुम्हारा मेरी जिंदगी में होना तो बस यूँ है कि अब तुम्हारे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। बिलकुल वैसे ही जैसे कलाई पर कलावा या घड़ी, गले में माला, माथे पर तिलक, रक्त-चाप की दवा, जेब में मोबाइल और ऐसी ही कई चीजें। इतनी आदत हो गयी है तुम्हारी कि तुम अब दिखते तो हो पर महसूस नहीं होते। तुम हो , अगल-बगल में ही हो, नहीं भी हो तो दिल और दिमाग में हो, मगर हो। 

तुम्हारा मेरे साथ इतना होना कि तुम्हारे न होने की कल्पना भी कर पाना मुश्किल है। तुम्हारे होने से कोई फर्क नहीं लेकिन तुम्हारे न होने से बहुत फर्क पड़ता है। कुछ अटपटा सा लगता है। जैसे कि कुछ तो मिसिंग है। जो होना चाहिए मगर है नहीं। दिन भर खोये से रहते हैं और किसी काम में मन नहीं लगता। 

तुम्हारे साथ की आदत इतनी लग चुकी है कि तुम्हें भूल सा गए हैं। तुम साथ नहीं होते हो तो कुछ कम सा तो जरूर लगता है लेकिन तुम ही साथ नहीं हो, ये दिमाग में ही नहीं आता। बस कुछ कमी महसूस होती है। जैसे हाथ घडी लगाना भूल जाना या रक्त-चाप की दवा का न लेना इत्यादि..... 

तुम अब हिस्सा हो मेरा, मेरी जिंदगी का। मेरी आदतों में हो। दैनिक दिनचर्या हो तुम। इतने पास हो कि आँखों से नहीं दिखते और शायद महसूस भी नहीं होते किन्तु न होने पर बेचैनी सी होती है। कुल मिलाकर तुम मुझमें समा गए हो। तुम्हारे बिना मैं का अब कोई अस्तित्व ही नहीं। 

अगर तुमसे बात न हो....

शिकायत भी न हो.....  

मिलने की कोशिशें न हों..... 

या फिर दुनियादारी की नज़रों में जितनी भी जरुरी हरकतें जो एक रिश्ते को निभाने के लिए हों, वो न हों..... 

तो तुम परेशान न होना !

अब कोई खुद से भी कैसे दुनियादारी करे?

क्यों ! समझ रहे न हो मुझे?

कैसे समझोगे?

तुम भी तो उसी स्थिति में हो न ! जिस स्थिति में मैं हूँ। 

मेरे होने से अब तुम्हीं भी तो कोई फर्क नहीं पड़ता होगा न 😉💖 

ⒸⓇतुम्हारा होना/अनुनाद/आनन्द/२३.०८.२०२२  







Friday 12 August 2022

दिन कहाँ अपने

आज के दौर में 
दिन कहाँ अपने 
अपनी तो बस 
अब रात होती है।

बस व्यस्त काम में
खोए हैं सारे जज़्बात
इस सब में दिल की 
कहाँ बात होती है।

कभी गलती से ख़ाली 
जो मिल जाएँ कुछ पल 
इन ख़ाली पलों में भी बस
काम की बात होती है।

आगे बढ़ने की दौड़ में
ठहरना भूल गए हम 
मिलना-जुलना खाना-पीना 
अब कहाँ ऐसी शाम होती है।

कुछ रिश्ते थे अपने
कुछ दोस्त सुकून के
घण्टों ख़ाली संग बैठने को अब 
ऐसी बेकार कहाँ बात होती है।

आज के दौर में 
दिन कहाँ अपने 
अपनी तो बस 
अब रात होती है।

©️®️दिन कहाँ अपने/अनुनाद/आनन्द/१२.०८.२०२२


Thursday 21 July 2022

ऐसा तो कभी हुवा ही नहीं...

ऐसा तो कभी हुवा ही नहीं 
लोग मिलने आए और हमने उन्हें देखा ही नहीं 
तुम जो आए किस तरह सामने 
महसूस किया हमने मगर नज़रें उठी ही नहीं!

दिल ने चाहा कि देख लें 
कोशिश भी की मगर खुद पर ज़ोर चला ही नहीं!
गलती से जो नज़र टकरा गई 
दिल की धड़कनों फिर पर चला कोई ज़ोर नहीं!

तुम्हारी वो मद्धम सी मुस्कान
मेरी चोर नज़रों से फिर तो रहा गया ही नहीं!
भरपूर तुम्हें देख लेने की चाहत
क्या बताऊँ ऐसी कोई चाहत पहले कभी हुई ही नहीं।

बेक़ाबू उस पल में हमने 
तुम्हें रोकने के बहाने ढूँढे पर कुछ मिला ही नहीं 
पल भर में इतना कुछ घट गया 
दिल को सम्भालूँ या दिमाग़ कुछ सूझा ही नहीं!

देखो तुम संभालो अपना आकर्षण
लोगों को इतने अधिक गुरुत्वाकर्षण की आदत नहीं!
लड़खड़ाना बहुत मुमकिन है उसका 
इतने सधे कदमों से चलना किसी ने सीखा नहीं!

गुस्ताखी जो कोई कर दे 
उसे माफ़ कर देना और तुम कुछ कहना नहीं!
तुम और तुम्हारा चुम्बकीय प्रभाव 
इस प्रभाव से बचने का किसी के पास तरीका नहीं!

तुम तो चले गए मगर 
शेष जो छोड़ गए वो असर कम होता ही नहीं!
तूफ़ान तो थम गया मगर 
जो बिखरा वो समेटने से भी सिमटता नहीं!

ऐसा तो कभी हुवा ही नहीं 
लोग मिलने आए और हमने उन्हें देखा ही नहीं 
तुम जो आए किस तरह सामने 
महसूस किया हमने मगर नज़रें उठी ही नहीं!

©®ऐसा तो कभी/अनुनाद/आनन्द/२१.०७.२०२२

Sunday 3 July 2022

पैसा

लोग कहते हैं

कि

पैसा चलता है…

मगर

सच तो ये है

कि

लोग चलते हैं…

पैसा लेकर !


पैसा लेकर

मस्तिष्क में,

चेहरे पर,

व्यवहार में,

और 

अन्त में 

जेब में।

©️®️पैसा/अनुनाद/आनन्द/०३.०७.२०२२



काशी

कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो 

कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !

मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन 

सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।


बीएचयू कैम्पस, लिंबड़ी कॉर्नर और अस्सी

समय बीता मेरा वीटी और सेंट्रल लाइब्रेरी, 

सी वी रमन, मोर्वी और लिंबड़ी ख़ूबसूरत

पर खाना ग़ज़ब जहाँ वो धनराज गिरी।


वो मशीन लैब वो ढेर सारे प्रैक्टिकल

हाई वोल्ट सर्किट के बीच मज़ाक़ के पल 

पढ़ने लिखने का मज़ा था या दोस्तों के संग का 

सब भूल गए पर भुला पाते नहीं वो पल!


नशा काशी का था या गोदौलिया की ठंडाई का 

ठंड दिल को जो मिली वो गंगा पार की रेत का

गंगा आरती के अनुनाद से जो उपजा मुझमें आनन्द

कृपा भोले बाबा की तो आशीर्वाद संकट मोचन का।


कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो 

कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !

मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन 

सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।


©️®️काशी/अनुनाद/आनन्द/०३.०७.२०२२






Monday 27 June 2022

कुछ यूं तेरा असर ...

पथरीली सड़क पर जैसे हरी दूब

उमसती गर्मी में चल जाए हवा खूब 

तपती दुपहरी में बादल का आना

यूँ ही तो होता है तेरा मुस्कुराना।


गेहूँ की बालियों की लहलहाती खनकन 

चिलचिलाती धूप में जैसे चमकते स्वर्ण 

इस चकाचौंध में कहीं छाँव मिल जाना 

हाँ यूँ ही तो होता है तेरा खिलखिलाना।


वो बगीचा, नदी, ताल-तलैया घूमना

वो यारों के संग ठहाकों का दौर होना 

इन सब में भी दिल का कहीं खो जाना 

कुछ यूँ भी तुम जानते हो दिल चोरी करना।


माथे पर पसीने का छलक जाना 

गर्मी से कपड़ों का तर हो जाना

लगे कि ठंडी पुर्वी बयार का आना 

यूँ ही होता है तेरा बग़ल से गुज़र जाना।


इधर-उधर की बातों में प्यार छुपा होना 

बड़े धैर्य से टक-टकी लगा तुझे देखना 

इरादे समझ कर वो शर्म से पानी-२ होना 

कुछ यूँ भी तो दिल के कभी राज खोलना।


प्यास से सूखे गले को पानी मिल जाना 

तपते बदन को ठंडक मिल जाना 

बंजर धरती पर बारिश का गिरना 

यूँ ही तो होता है तेरा मुझको छूना।


वो काली साड़ी में तेरा मिलने आना

मेरे पसंदीदा रंग का नीले से काला होना 

घूरना इस कदर कि दिखे मेरा बेसब्र होना 

कुछ यूँ भी तो होता है तेरा काला जादू-टोना।


सुराही सी गर्दन पर पल्लू लटकना 

खुली बाँहें और बल खा कर चलना 

पल में ज़मीन से सातवें आसमाँ जाना

यूँ ही तो होता है तेरा मेरे गले लग जाना।


जीवन की उलझनों में परेशान होना

भरे उजाले में भी एक अंधेरे का होना 

फिर एक रोशनी की किरण दिखना 

यूँ ही तो होता है तेरा कंधे पे सिर रखना।


पथरीली सड़क पर जैसे हरी दूब

उमसती गर्मी में चल जाए हवा खूब 

तपती दुपहरी में बादल का आना

यूँ ही तो होता है तेरा मुस्कुराना।

©®कुछ यूं तेरा असर/अनुनाद/आनन्द/२७.०६.२०२२


Wednesday 22 June 2022

जादू-टोना

कौन कहता है ये जादू-टोने नहीं होते

ग़ज़ब अजूबों के अजब तजुर्बे नहीं होते 

सब कुछ सीखा यहाँ हमने हंसते-रोते

और फिर देखो ये जादू नहीं तो और क्या

एक चेहरे को देखा और सब कुछ हम भूल गए……


बचपन से थे अच्छे से पढ़ते-लिखते 

लोग बाग़ तारीफ़ करते नहीं थकते

सारे समीकरण ज़ुबान पर थे बने रहते

चेहरे पर उनकी ज़ुल्फ़ों से जो लिखी इबारतें

इक बार जो पढ़ी तो सारे किताबी समीकरण भूल गए…..


गुणा-गणित में हम मिनट नहीं लगाते

जोड़-घटाने में हम सबको पीछे रखते 

चलता-फिरता बही-खाता सबका हिसाब रखते

होठों की हल्की मुस्कान और उनके पीछे चमकीले दाँत

और फिर उनकी चकाचौंध में हम सारी दुनियादारी भूल गए…..


बेहतरीन चीजों का हम शौक़ थे रखते 

पसंद की चीजों को संजोकर थे रखते

अपनी हर चीज को दिल से लगा कर रखते

बस उनके जीवन में आ भर जाने से देखो 

एक उनको अपनाकर हम सब कुछ अपना भूल गए….


कौन कहता है ये जादू-टोने नहीं होते

ग़ज़ब अजूबों के अजब तजुर्बे नहीं होते 

सब कुछ सीखा यहाँ हमने हंसते-रोते

और फिर देखो ये जादू नहीं तो और क्या

एक चेहरे को देखा और सब कुछ हम भूल गए……


©️®️जादू/अनुनाद/आनन्द/२२.०६.२०२२




Saturday 11 June 2022

रात और बात

और क्या चाहिए तुमसे करने को बात ,
दिल में तेरी याद और एक तनहा रात ।

हवा भी सरसराए तो मुझमें खिल उठते जज़्बात,
बग़ल तेरे होने के एहसास से मुकम्मल होती रात ।

इक भीड़ सी है मुझमें जो न रहने दे मुझे शान्त ,
यादों के कारवाँ संग मैं बेहद अकेला इस रात ।

ज़िन्दगी के सफ़र में तुम कहीं मैं कहीं, न होती बात,
सिर्फ़ यादों को साथ लेकर बोलो कैसे बीते रात ।

और क्या चाहिए तुमसे करने को बात ,
दिल में तेरी याद और एक तनहा रात ।

©️®️रात/अनुनाद/आनन्द/११.०६.२०२२


Thursday 2 June 2022

मर्ज़ और इलाज

वो बस हमसे हमारा मर्ज़ पूछते रहे…

काश ! वो हमारा इलाज पूछ लेते ।


लोग बाग कुछ न कुछ लेकर आ रहे…

काश ! वो बस ख़ाली हाथ चले आते ।


लोग हमारी बेहतरी की दुवाएँ माँग रहे…

काश ! वो बस दुवा में हमें माँग लेते ।


वो बस हमसे हमारा मर्ज़ पूछते रहे…

काश ! वो हमारा इलाज पूछ लेते ।


©️®️मर्ज़ और इलाज/अनुनाद/आनन्द/०२.०६ .२०२२



Monday 30 May 2022

प्रेम की बारिश

काश मैं हिमालय और जो तुम बदल हो जाओ

इस तरह से भी जाना हमारी मुलाक़ात हो जाए

ये होना मुश्किल है मगर ऐसा हो गया तो सोचो

मुलाक़ात पर क्या ग़ज़ब प्रेम की बारिश हो जाए।


©️®️प्रेम की बारिश/अनुनाद/आनन्द/३०.०५.२०२२




Sunday 29 May 2022

तो समझ लेना.... प्यार है!

मिलने से बिल्कुल पहले बेचैनी बढ़ जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

धड़कन को संभालने की कोशिश बढ़ जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

जब सामने आते ही बारिश पड़ जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

आकाश के भी खुशी से आँसू छलक जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

जब इरादे संकोच पर भारी पड़ जाए 
तो समझ लेना.…. प्यार है!

तुमसे पहले आगे बढ़कर वो गले लग जाए
तो समझ लेना.…. प्यार है!

पल भर को देख लेने से दिल हल्का हो जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

भरसक नज़रें न मिलें पर मन मिल जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

एक छोटी सी मुलाकात से कैसे संतोष हो जाए?
तो समझ लेना.…. प्यार है!

आँखों-आँखों में फिर मिलने का वादा हो जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

जब किसी शहर जाने की वजह मिल जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

जब कोई तुम्हारे लिए पूरा का पूरा शहर हो जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

जब इरादे संकोच पर भारी पड़ जाए 
तो समझ लेना.…. प्यार है!

जब सामने आते ही बारिश पड़ जाए
तो समझ लेना..... प्यार है!

©®तो समझ लेना/अनुनाद/आनन्द/२९.०५.२०२२

Friday 27 May 2022

धार….

लोग कह रहे कि मेरी लेखनी की धार बढ़ती जा रही है,

हमें तो बस ये ग़म है कि हमारी उम्र बढ़ती जा रही है।


कच्ची उम्र के थे तो जवान ख़्वाहिशों की लड़ियाँ बड़ी थी,

और तो अब यूँ है कि बस जिम्मेदारियाँ बढ़ती जा रही हैं।


तजुर्बा कम था हमें, इश्क़ के तरीक़ों से अनजान बड़े थे,

जानकार हुए जबसे बस खुद पर ग़ुस्सा निकाले जा रहे हैं।


ज़ख्मों को कुरेद दिया उन्होंने कहकर कि तुम सीधे बहुत थे,

कितने शानदार मौक़े गँवाने का अफ़सोस किए जा रहे हैं ।


भूल जाने की आदत बुरी है शक्लें याद नहीं रहती हमको,

रोज़ नयी शक्ल गढ़कर तुझसे रोज़ नया इश्क़ किए जा रहे हैं।


अपना लिखा भी याद नहीं और वो सुनाने की फ़रमाइशें करते हैं,

रोज़ नयी इबारत लिख कर हम उनकी इबादत किए जा रहे हैं ।


दिल को शांत रखने को एक अदद मुलाक़ात ज़रूरी बड़ी थी,

वरना बेचैन दिल से हम मासूम शब्दों को परेशान किए जा रहे हैं।


लोग कह रहे कि मेरी लेखनी की धार बढ़ती जा रही है,

हमें तो बस ये ग़म है कि हमारी उम्र बढ़ती जा रही है।

©️®️लेखनी/अनुनाद/आनन्द/२७.०५.२०२२



Thursday 26 May 2022

भूल गए !

दिन, तिथि, जगह, शाम, सब मुक़र्रर थी मिलने की,
पलों के साथ में उम्र भर के साथ का वादा लेना भूल गए।

मिलने से ज़्यादा ख़ुशी तो हमें उनके मिलने के वादे से थी,
इतनी ख़ुशी में हम दिल की बात कहना ही भूल गए।

उनके आते ही न जाने दिमाग़ ने ये कैसी हरकत की, 
मिलन के पलों को गिनने में हम उन्हें जीना भूल गए।

सामने वो और उनकी कशिश से भरी मद्धम मुस्कान थी, 
उनकी मद भरी आँखों में हम बस सारी तैराकी भूल गए।

इतने सलीके से बैठे हैं सामने जैसे सफ़ेद मूरत मोम की,
इधर हम हाथ-पैर-आँखो को सम्भालने का तरीक़ा भूल गए।

गला ऐसा फिसला कि बोले भी और कोई आवाज़ न की,
धड़कनों के शोर में अपनी ही आवाज़ को सुनना भूल गए।

दिन, तिथि, जगह, शाम, सब मुक़र्रर थी मिलने की,
इतनी ख़ुशी में हम दिल की बात कहना ही भूल गए….
पलों के साथ में उम्र भर के साथ का वादा लेना भूल गए।

©️®️भूल गए/अनुनाद/आनन्द/२६.०५.२०२२

Monday 23 May 2022

रेडियो

रेडियो से प्यार काफ़ी पुराना है…… शायद जन्म से ! गाँव-देहात से हूँ। बचपन में बिजली नहीं होती थी गाँव में। मनोरंजन के साधन के रूप में रेडियो से अच्छा कोई साथी नहीं। निप्पो या एवरेडी की दो बड़ी वाली बैटरी लगाओ…. किसी-२ रेडियो में तीन बैटरी भी लगती थी! बस मीडियम वेब और शॉर्ट वेब सेट करो और रेडियो हाथ में, कंधे पर या साइकल पर रख कर बीच गाँव होते हुए भरी दोपहर में आम के बाग की तरफ़ …. खटिया पर लेट, सिराहने रेडियो रखकर मन भर नींद ! भैया के साली को सपने में याद करते हुए 😉😉
रात में तो छत पर बिस्तरा लगाए खुले आकाश में ताकते हुए रेडियो को सुनना आज भी याद है। बीच में ज़रा सी हवा चल जाए तो घर के बग़ल वाले पीपल से सर्र-सर्र की आवाज़! फिर बुवा और चाचा लोग की पीपल के ब्रम्ह वाले भूत की कहानी! डर के मारे रेडियो भुला जाता और पीली वाली भागलपुरी चादर कस कर ओढ़ भूत से बचने की कोशिश!
बस इस तरह अधिकांश बचपन गाँव और रेडियो के संग बीता। वी सी आर भी आया था लेकिन उसकी कहानी कभी और ….. रेडियो तो बस पसंद ही नहीं है, ये तो खून में बसता है! कमाने लायक हुए तो भाँति-२ के रेडियो लिए और बेडरूम में सजा के रखे लेकिन हमारे इस शौक़ की क़दर घर में नहीं….. इसीलिए कई रेडियो ख़रीदने पड़े!
फ़ोटो में दिख रहा रेडियो लेटेस्ट वाला है। इसको ऐंटीक लुक की वजह से कुछ एक साल पहले amazon से मँगाए थे। कुछ महीने पहले ये चालू ही न हो…. दिल दुःख के सागर में गोते लगाने लगा कि अब क्या होगा? दिल टूट सा गया!
४-५ महीने बाद कल कोशिश कर, लोक-लाज को भूल कर कि इस मोबाइल वाले आधुनिक दौर में लोग-बाग क्या सोचेंगे, हम दिन भर लखनऊ की नरही बाज़ार घूमे तो एक दुकान मिल ही गयी! ख़ुशी का तो मानों ठिकाना न रहा हो! जब दुकान वाले भैया बोले कि बन जाएगा तो मानो मरुस्थल में बारिश हो गयी हो! न दाम पूछे न ख़राबी बस एक दिन बाद बनकर मिलने का वादा लेकर लौट आए….
पूरी रात यही सोचते रहे कि बस कल रेडियो बनकर मिल जाए ! बड़ी मुश्किल से नींद आयी !और आज जब ये बनकर आया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा!
शाम से बज रहा है और हम मंत्रमुग्ध हो एक अनोखे संतोष और हर्ष के भाव से निहारे जा रहें हैं- रेडियो को!

©️®️रेडियो/अनुनाद/आनन्द/२३.०५.२०२२

Wednesday 18 May 2022

हीरा

उम्र के साथ तेरी यादों का बोझ ज्यूँ-२ बढ़ता गया,
इस दबाव में मैं कोयले से हीरा बनता चला गया।

©️®️हीरा/अनुनाद/आनन्द/१८.०५.२०२२

Saturday 14 May 2022

गँगा माँ

कौन समझ सका गति उस जीवन नैया के खिवैया की,

कुछ विशेष स्नेहिल कृपा रही है हम पर गंगा मैया की,

जब भी नये सपने देखे और कोशिश की उन्हें पाने की,

सर पर आँचल की छाँव थी और थी गोद गंगा मैया की।


©️®️माँ गंगा और मैं/अनुनाद/आनन्द/१४.०५.२०२२



Wednesday 11 May 2022

ख़ूबसूरती

 “ख़ूबसूरत लोग अगर अनजान हों तो अधिक ख़ूबसूरत और आकर्षक हो जाते हैं!”

😇

😍

😎


कुल मिलाकर ख़ूबसूरती एक वैचारिक fantacy के सिवा कुछ भी नहीं! यह fantacy एक व्यक्ति विशेष के जीवन भर की कल्पनाओं का समूह भर है जिसे वो किसी अनजान और ख़ूबसूरत व्यक्ति को देखकर एक पल विशेष में अनुभव कर लेता है। इन कल्पनाओं और उस देखे गए ख़ूबसूरत व्यक्ति में कोई रिश्ता नहीं होता। ये देखने वाले व्यक्ति के अंदर चल रही काल्पनिक कहानी मात्र होती है। ऐसी स्थिति में देखने वाले व्यक्ति को देखे गए व्यक्ति को लेकर कोई भी निर्णय लेने से बचना चाहिए।


ख़ूबसूरती एक मृग तृष्णा है। वास्तविकता में इसका कोई स्वरूप नहीं। सब कुछ आपके दिमाग़ के भीतर है। वहीं से आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो अगली बार आपको ख़ूबसूरती का एहसास लेना हो तो इसे दूसरों में न ढूँढे। बस अपने दिमाग़ को इस हिसाब से अभ्यस्त करिए कि वो जब चाहे स्वयं इस ख़ूबसूरती का रसास्वादन कर ले। इस तरह आपको दूसरों से मिलने वाली निराशा से भी दो-चार नहीं होना पड़ेगा।


ऊपर वाले पैराग्राफ़ को देखकर कुछ ख़ुराफ़ाती लोग कई स्तर तक के मतलब निकाल सकते हैं🤣😆 और हास-परिहास कर सकते हैं! बस इन्हीं लोगों की वजह से मेरे लिखने की सार्थकता बढ़ जाती है 😉


यह सब लिखते वक्त मैंने बहुत सारा दिमाग़ लगाया है! ये पढ़ने में अच्छा लग सकता है मगर असल में ऐसा हो ही नहीं सकता क्यूँकि दुनिया दिल से चलती है! बिना चूतियापे के कोई कहानी बन ही नहीं सकती😋 और बिना कहानी के तो क्या ही मज़ा है जीने में 😁


इसलिए इस संसार की गति बनाए रखने के लिए मूर्खों की ज़रूरत ज़्यादा है…… 


मैंने भी खूब मूर्खता की है और सफ़र अभी जारी है….


खोज अभी जारी है……..


एक नयी मूर्खता करने की !


इसमें आपका साथ मिल जाएगा तो मज़ा दो गुने से चार गुने तक होने की सम्भावना है 🙃


©️®️ख़ूबसूरती/अनुनाद/आनन्द/११.०५.२०२२



Sunday 6 March 2022

दाँव

भरोसा हमें खुद पर बहुत था
दिल कमबख़्त बहुत मज़बूत था 
लगा दिया दाँव पर खुद ही को
और बहुत कुछ खोने को न था !

©️®️दाँव/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०६.०३.२०२२



Monday 14 February 2022

नीलिमा जी 😍🥰😘🌹

 नीलिमा जी ……🌹


ये पंक्तियाँ ताज़ा-२ सिर्फ़ आप के लिए 💐


नोट- बाकी के प्रेमी युगल सुविधानुसार इन पंक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।


………………………………


नींद भला कैसे आए 

जब सामने तू हो !


दरिया शांत कैसे हो 

जब साहिल तू हो !


सम्भालूँ कैसे हसरतों को 

जब बग़ल में तू हो !


बहकना मेरा कब बुरा है 

जब नशा तेरा हो !


कदम तेज कैसे रखूँ

जब सफ़र में संग तू हो !


मंज़िल किसे, क्यूँ चाहिए 

जब हासिल तू हो !


फ़रवरी १४ हो या १५, क्या फर्क़

जब मोहब्बत तू हो !


……………………………………


©️®️वैलेंटाइन डे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०२.२०२२



Saturday 12 February 2022

दिलों की दिल्ली

लोग कहते हैं कि दिल्ली जाने के नाम पर हम खुश बहुत होते हैं,

चेहरे पर मुस्कान संग हम अपने लिखने का शौक़ लेकर आयें हैं।


बहुत दिन से सोच रहे थे कि दिल में कोई ख़याल क्यूँ नहीं आता

दिलों के शहर में दिल की कहानी लिखने का बहाना ढूँढने आएँ हैं।


लखनऊ की नवाबी लेकर हम दिल्ली का दिल देखने आएँ हैं,

क़िस्से कहानियों में बूढ़ी दिल्ली को फिर से जवानी देने आएँ हैं।


कितनी कहानियाँ हर वक्त बनती हैं बस तुम्हें कोई खबर नहीं,

एक बस तुम हाँ कर दो तो एक नयी कहानी हम लिखने आए हैं।


©️®️दिलों की दिल्ली/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १२.०२.२०२२


#delhi #lucknow #story #love #anunaad #anand




Saturday 22 January 2022

चले जाना!


तुम जाना !

तो बस,

चले जाना…..

बिना बताए

अचानक

खामोशी से 

ऐसा कि

भनक भी न मिले।


दुःख तो होगा

तुम्हारे जाने का

मगर 

वो जाने के बाद होगा

और कम होगा 

उस दुःख से

जब मुझे 

तुम्हारे जाने का

पहले से 

पता होगा!


क्यूँकि 

पहले से

पता होने पर

दुःख ज़रा पहले 

से शुरू होगा

और

इस तरह 

दुःख की अवधि

कुछ बढ़ जाएगी।


©️®️चले जाना/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.०१.२०२२


Tuesday 18 January 2022

उथल-पुथल

इस ज़िन्दगी में उथल-पुथल कुछ ऐसी ही है,
क्या करें कि इसमें ख़ूबसूरती भी तो इसी से है ।

©️®️उथल-पुथल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२




फ़ितरत

ये एक फ़ितरत मैंने खुद पाली है या उस खुदा ने दी, 
फ़ायदा छोड़ मैंने सदा अपनी पसंद को तरजीह दी।

हुए कई घाटे मुझे, कभी मैं तो कभी ये लोग कहते हैं,
मगर जाने-अनजाने इस आदत ने मुझे ख़ुशी बहुत दी।

©️®️फ़ितरत/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२

Sunday 9 January 2022

सफ़र की बारिश

जीवन के इस प्रेम सफ़र में तू
इन बूँदों सी झर-झर झरती है 
इक आग दहकती नित मुझमें
तू ठंडक सी भीतर उतरती है।

दूर नहीं है मुझसे कभी
तू मुझमें ही तो रहती है 
आदतन ये आँखे मेरी तुझे देखने को 
मन की खिड़की से अंदर झाँका करती है।

इक ठिठुरन सी मुझमें उठती है
गुनगुनाहट की चाहत उठती है 
खुद को समेट कस लूँ तुझको 
कुछ ऐसे भी गर्माहट मिलती है। 

जो भीतर है मेरे हर मौसम उससे
पूरे बरस मुझमें सावन झरती है 
लाख गुजर रही हो ये ज़िन्दगी पर
तुझ पर पुरज़ोर जवानी रहती है।

सफ़र बीत रहा मंज़िल है आने को
विचलित मन ये कोई तो हो मनाने को
मंज़िल के बाद भी सफ़र जारी है रखना
कोई मन-माफ़िक़ साथी हो ये बताने को।

जीवन के इस प्रेम सफ़र में तू
इन बूँदों सी झर-झर झरती हो
इक आग दहकती नित मुझमें
तू ठंडक सी भीतर उतरती हो।

©️®️सफ़र की बारिश/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०९.०१.२०२२

  #रेलगाड़ी #बारिश #सफ़र #अनुनाद #हमाफ़र #प्रेम




Tuesday 4 January 2022

चौराहा और ढलती शाम!

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

शाम ढल गयी 
तुम अभी आए नहीं…
दिल घबराए कि
तुम आओगे या नहीं !

उम्मीद ये है कि 
तुम अगर आए कभी…
चौराहे पर हूँ ताकता खड़ा कि
यहाँ से तो गुज़रोगे ही !

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

©️®️चौराहा और ढलती शाम/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०४.०१.२०२२

Saturday 1 January 2022

नव वर्ष २०२२

नव वर्ष में कोरोना के वेरीयंट जितनी शुभकामनाएँ😆🙏

१. आप भी कोरोना से सीखें और अपने में नित नए बदलाव करते रहें । 

२. दुनिया को आपके अनुसार जीना पड़े न कि आप दुनिया के हिसाब से ।

३. आपके दुश्मन आपसे लड़ने के तरीक़े ढूँढते रहे मगर अन्त में उन्हें आपके साथ ही जीना पड़े।

४. सदैव सुर्ख़ियों में बने रहें और खूब नाम कमाएँ। 

५. हमेशा आपके अति आधुनिक संस्करण से मेरी मुलाक़ात हो। 

६. आपसे मिलकर मैं सदा प्रेरित होता रहूँ और आपकी तरह आगे बढ़ने की कोशिश करता रहूँ।

७. आपकी ख्याति कोरोना के संक्रमण से भी तेज फैले।

८. परिस्थितियों के अनुसार रहें और नित नयी मज़बूती लेकर और उभर कर सामने आएँ।

९. कोरोना की तरह आपका सिक्का पूरी दुनिया में चले ।

१०. आपके प्रयासों से विश्व के सभी देशों को एक प्लेटफार्म पर आना पड़े। 

अन्त में यही कहूँगा कि आपकी छवि अंतर्राष्ट्रीय हो।

जिस तरह आप २०२१ सर्वाइव कर गए, 
उसी तरह २०२२ भी सर्वाइव कर जाएँ……..

कोरोना का कोई भी वेरीयंट आएँ, 
वो आपका बाल भी बाँका न कर पाए……..

ईश्वर करे कोरोना का सबसे आधुनिक वेरीयंट भी 
बस आपके शब्दकोश में इज़ाफ़ा ही कर पाए ! 

बस उस ईश्वर से यही कामना है मेरे दोस्त कि
हम दोनो एक-दूजे को २०२३ भी विश कर पाएँ।

आपके लिए इससे अच्छी दुवा मैं और नहीं माँग सकता, मगर आपका लालच न ख़त्म हो रहा तो रज़ाई के अंदर से हाथ निकाल कर आप भी अपने ईश्वर से माँग सकते हैं। 😎

इन्हीं सब बातों के साथ आपको नूतन वर्ष की शुभकामनाएँ 💐। ईश्वर आपको और अधिक इम्यून करे और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करें । आप सदा मेरे साथ अनुनादित रहें।

आपका मित्र- 
आनन्द कुमार कनौजिया (अनुनाद वाले)
दिनाँक- ०१.०१.२०२२ (एक और एक बाईस)

©️®️नव वर्ष/अनुनादित आनन्द/०१.०१.२०२२