Tuesday 31 December 2019

कौन देखेगा?

ये जो महफिलों की शान हैं वो महफिलों में बातें बड़ी-२ करते हैं,
तुम मुफ़लिस हो, तुम्हारे झोपड़े में आकर तुम्हारे घाव कौन देखेगा?

ये जो सड़क शानदार है, इस पर गाड़ियाँ सरपट सफर करती हैं,
तुम जो आँचल फैलाए बैठी हो, यहाँ रुकर तुम्हारी भूख कौन देखेगा?

लौट जा अपनों के बीच, मत कर कर फरियाद तू अमीरों की बस्ती में,
अपनी अमीरी की चकाचौंध के बीच तेरी गरीबी का अँधेरा यहां कौन देखेगा?

मत कर उम्मीद तू किसी भी खुदा से, ये पत्थर के ईश्वर क्या तुझे देंगें,
जहाँ पसंद हो सोने चांदी का चढ़ावा, वहाँ तेरी सूखी रोटी कौन देखेगा?

Friday 27 December 2019

कहानी लहरों की!

नादान नही हूँ मैं बिल्कुल
और हरकतें नही बचकानी
दिल में हैं बेचैनियाँ मेरी 
बैठो सुनाऊं अपनी कहानी ।

विशाल समुद्र शांत सा
पर लहरें क्यों अशांत
इतनी व्याकुल, व्यग्र, बेचैन
आतुर सुनाने को वृतान्त।

समुद्र के किनारे बैठ तुमने 
लहरों का शोर सुना होगा
पाकर खो देने का एहसास 
इससे करुण रुदन क्या होगा।

हम कैसे रोएं
दर्द कैसे बताएं
आंसू बहुत निकले 
पर कैसे दिखाएं।

तड़प बहुत है मिलने को
विरहन सी विचरती हैं
मिलने को प्रियतम से 
कोशिशें हज़ार करती हैं।

उम्मीद नही मिलने की
पर दिल को कैसे समझाएं
दिल भी लहरो जैसा है
किनारे तक आ ही जाए।

पहुंच किनारों पर भी 
हाथ निराशा लगती है
होकर बेसुध सी तब ये
खा कर पछाड़ गिरती हैं।

न मिलने का दर्द सही
पर मिलकर वो बिछुड़ गया
तन मन से होकर वो मेरे
अंदर से ही भेद गया।

मालूम इसे अपनी गति फिर भी
खुद को ये रोक न पाए
दिल के हाथों मजबूर है
इस पागल को कौन समझाए।

मत पूछो मेरी हालत कि 
इस दिल में दर्द बहुत है
रात के सन्नाटे में डर है लगता
और दिन के शोर में सुकून बहुत है।

टूटे दिल वाले साथ को मेरे
अब खुद मुझ तक आते हैं
पाने को राहत वो बैठ बगल में मेरे 
अपनी आप बीती सुनाते हैं।

उम्मीद....!

अब तो हर मौसम को कुछ यूं देखता हूँ,
जैसे ये कोई पैगाम लाये हों मेरे लिए!

उम्मीद है कि तुम भी लौट आओगे एक दिन,
जैसे ये मौसम लौट कर आया है मेरे लिए।

अब तो ये बादल भी बरस पड़ते हैं मुझे देखकर,
आतुर हों जैसे मुझसे लिपट कर रोने के लिए!

फर्क तो बहुत पड़ा तेरे बिछड़ने का मुझ पर लेकिन
दर्द को दबाये रखा है खुद में तुझको जीने के लिए।

इकतरफ़ा इश्क़!

कई एक पलों में हमने जी ली थी ज़िंदगी संग,
और पाकर साथ तेरा रोमांचित था हर एक अंग ।

पका लिए ढेरों ख़याली पुलाव तुझको लेकर,
तैयारियाँ भी पूरी थी तेरे संग सफ़र को लेकर ।

तुम्हारी तरफ़ जब हमने एक उम्मीद से देखा,
आँखों की चमक को शर्म ए गुनाह में बदलते देखा ।

फिर क्या, इस कहानी को मैंने यूँ एक नया अंजाम दिया,
दबा लीं सारी बातें और दिल को अपने क़ब्रगाह बना लिया ।

अंधा प्यार...

हमने उन्हें चाहा बेइंतहा,
न कभी दिन देखा न रात,
वो डरते रहे दुनिया की रवायतों से 
और कर न सके दिल की बात ।

हम थोड़े दिमाग़ से पागल निकले,
वो दिल से कमजोर थे कैसे देते साथ,
कुछ न सोचे और कदम बढ़ा दिए हमने 
फिर क्या, उन्होंने पीछे खींच लिए हाथ ।

जोश ओ ज़ुनून में हमने बक दी कहानी सबको,
कुछ शुरू भी न हुआ और लोग करने लगे हमारी बात,
चला दिए तीर हमने सभी अंधेरे में, न जाने किधर गए, 
प्यार अंधा होता है, आज हमने साबित कर दी ये बात ।

Thursday 26 December 2019

मर्ज-ए-इश्क़!

साँसों का तेज होना भी एक कहानी है,
और तुम समझे कि ये प्रदूषण की निशानी है।

गर्म और ठंडी साँसे प्यार को नापने की S.I. परिभाषा है,
और तुम नासमझ समझ बैठे कि ये बुखार बेतहाशा है।

इन धड़कनों के बढ़ने से न समझो कि कोई बीमारी है,
ये लाल गाल क्या बताएं उनकी उंगलियों की निशानी है।

कोशिशें बेहद जारी है कि उनसे कुछ बात बढ़ जाए,
इस टेंशन में भले ही इस दिल का रक्तचाप बढ़ जाए।

कमजोरी नही है कि जब गला सूखे और टांगे कापती है,
ये हमेशा का है जब बला सी खूबसूरत वो सामने आती हैं।

बेचैनी में ऐसे बड़बड़ाते हैं जैसे मनोरोगी हो गए हैं,
क्या बतायें उनसे मुलाकात को न जाने कितने दिन हो गए हैं।

कोई मर्ज नही फिर भी मरीजों से हो गए हैं,
वो ही मर्ज, वो ही दवा और वो ही मेडिकल स्टोर हो गए हैं।

कोई जल्दी नही...

कोई जल्दी नही है
कुछ और नया हासिल करने की,
मुझे फ़ुर्सत नही है
किसी भाग दौड़ में शामिल होने की, 
ये भी क्या बात हुयी
अभी आए हो और बातें करते हो जाने की,
शाम को रोक लिया है मैंने
इजाज़त चाहिए तुमसे महफ़िल सजाने की,
चलो मुस्कुरा भी दो 
रोशन कर दो शमाँ, ज़रूरत अब उजाले की,
मुमकिन है कि अब मुलाक़ात फिर न हो
दिल खोल कर मिलो, न बातें करो जुदाई की,
अभी व्यस्त हूँ जीने में,
कल क्या होगा नही कोई अब फ़िक्र इसकी,
आओ लग जाओ गले कि
कोशिश है इन पलों को मुकम्मल करने की।