वो इमामबाड़ा ही तो था जहां तुझसे नैन मिलें थे,
भूल भुलैया की दीवारों में हम दुनिया भूल गए थे।
सूरत तेरी आंखों में लेकर फिर तुझे ढूढ़ने निकले थे ,
चौक चौराहे से लेकर चूड़ी वाली गली तक खूब भटके थे।
लखनऊ यूनिवर्सिटी से लेकर शिया कॉलेज तक हर सड़क छानी थी,
इस चक्कर में दोस्तों को शर्मा की न जाने कितनी चाय पिलाई थी।
मुलाकात की उम्मीद में हमने नज़राना खरीद लिया था,
इस चक्कर में अमीनाबाद की तंग गलियों को हमने नाप लिया था।
बालाघाट से लेकर यहिया गंज तक हर गली को हमने नापा था,
छतर मंजिल, रेजीडेंसी और ग्लोब पार्क,उन दिनों अपना यही ठिकाना था।
केसरबाग़ चौराहे से निकले हर रास्ते को देख चुके थे ,
इरादे बहुत मजबूत थे पर अब हम उम्मीद खो चुके थे।
थक हार कर, यारों को लेकर उस शाम हम कुड़िया घाट पर थे,
कुछ मोहतरमाओं की टोली के संग तुम भी वहां मौजूद थे।
दिल की धड़कन बढ़ गयी थी न जाने कैसा जादू था,
थाम लिया था हाथ तेरा, मेरा खुद पर न कोई काबू था।
एक तरफ़ा प्यार की तुमको न कोई खबर थी ,
और हम भी बौड़म थे जो ये गुस्ताखी करी थी।
घबराकर तुमने शोर मचाया और फिर पुलिस चली आई थी,
और फिर हमने पूरी रात ठाकुरगंज थाने में बिताई थी।
थाने आने का हमको कोई नही गिला था,
मार तो पड़ी किंतु तेरे घर का पता वहीं चला था।
फिर तो मिलने मिलाने का सिलसिला जो शुरू हुआ था,
साहू सिनेमा से लेकर हज़रत दरबार तक प्यार हमारा जवाँ हुआ था।
हाथों में हाथ लिए नीम्बू पार्क से लेकर चिड़िया घर तक घूमे थे,
यामाहा पर मेरी बैठ कर इक दूजे को हम महसूस किए थे।
दिलों की बेक़रारी को करार पहुचाने हम कुकरैल पार्क पहुँचे थे,
प्यार को परवान चढ़ाने हम इंदिरा डैम पहुचे थे।
आगे के अंजाम को लेकर तुम बेहद घबराए थे ,
इस कहानी के परिणाम को लेकर बेहद सकुचाए थे।
न घबराओ तुम कि हमारे मिलन का ये लखनऊ गवाह है ,
ये प्यार तब तक जवान रहेगा जब तक गोमती में प्रवाह है।
Very well written.!
ReplyDeleteThanks.
Deleteपूरा लखनऊ कवर कर लिए
ReplyDeleteकहानी भी तो लखनऊ की है।
DeleteNice 👍😊👌👌👌👌
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