Sunday 24 May 2020

ईद मुबारक 💐

चाँद की दीद मुबारक,
सभी को ईद मुबारक ।

कोरोना में दो गज की दूरी बनी रहे,
मगर दिलों की दूरी में कमी बनी रहे।

अब तुमको और क्या बताएँ यार सामने कितनी बड़ी मजबूरी है,
अगली ईद पर तुमसे गले मिल सकें इसलिए इस बार ये दूरी है। 

क्या हुवा जो इस बार हम तुम गले न मिल सके ,
इस बार तेरे नाम की सिवई हमारी रसोई में ही पके ।

सिंवई इस बार हम थोड़ा ज़्यादा मीठी बनाएँगे, 
तेरे मेरे रिश्ते की मिठास हम कुछ यूँ बढ़ायेंगे । 

ईद मुबारक ......

Wednesday 20 May 2020

विरह...

डबडबायी आंखों को लेकर 
मैं कैसे कुछ बोल दूँ?
देखो! तुम सामने न आना,
कहीं मैं फूट कर रो न दूँ.....

परेशान बहुत हूँ,
कुछ भी समझ नही आ रहा.....
ये समय क्यूँ आया?
जो तुझसे दूर ले जा रहा.....

जो दिखती नहीं तेरे मेरे दरमियाँ,
वो डोर बेहद मजबूत है.....
स्पर्श करने को तुझे,
मेरी ये दो आँखे बहुत हैं.....

जो भी बीता संग तेरे,
वो लम्हे सब याद आएँगें.....
पाने की चाहतें तो नहीं,
पर तुझे देखना जरूर चाहेंगे.....

Tuesday 19 May 2020

सुनो न !

सुनो न !
ये सूनसान सड़क देख रहे हो!
इस सन्नाटे को सुनो जरा,
मैं बिल्कुल ऐसा ही होता हूँ,
जब तुम पास होते हो !
बिल्कुल शांत, बेहद शांत।

इस स्याह रात में मैं,
इस मद्धम सी रोशनी में भीगता,
तुमको महसूस करता!
रुई सी छुवन को तुम्हारे,
अपनी सिहरन में कैद करता।

कितनी मुफ़ीद जगह है न ये,
हमारे मिलने के लिए!
आ जाओ टहलते हैं दोनों,
बिना कुछ बोले,
लेकर हाथों में हाथ।

दिल में उठते ख्यालों को,
हम उँगलियों से महसूस करते।
दिल की धड़कनों की कहानी,
हम चहल-कदमियोँ से बयाँ करते।
हम दोनों मुस्करा देते!

देखो आए तो हो तुम,
मगर जाने की बात न करना।
इस खूबसूरत माहौल में तुम
आज गले से लगा कर ही रखना।
समय को रोक लिया है मैने!
देखो न!
तुम भी,
ठहर जाओ न!

सुनो न.....!

~अनुनाद, १९.०५.२०२०

Sunday 17 May 2020

साथी हाथ बढ़ाना…

कोई दुख में हो तो उसे सुख की आस न दें!
बस अपना साथ दें....
दिख जाए जरूरतमंद कोई अगर तो आगे बढ़कर,
बस अपना हाथ दें....
जो दिख जाए आंखों में बेबसी के आंसू, तू उन्हें,
छलकने से रोक दे....
दौर मुश्किल है तेरे लिए भी, मेरे लिए भी !
सब्र रख और समय दे....
अकेला नही है तू, लोग बहुत मिलेंगें, आगे बढ़!
अपनी सोच को आयाम दें...
सफर कठिन है और तेरे पैर कमजोर! ठान कर,
तू बस पहला कदम दे....



Saturday 16 May 2020

कोरोना काल का ज्ञान ...

रहने को ख़ुश दुनिया के कितने ही साधन ढूंढ़ता रहा,
खो दी शान्ति और जोड़-तोड़ गुणा-भाग ही करता रहा।

पढ़ो लिखो आगे बढ़ो ख़ूब नाम कमाओ का यहाँ मतलब सीधा था, 
ख़ूब पैसा कमाना ख़ुशियाँ पाने का तरीका यहाँ बिल्कुल सीधा था।

एक उम्र बीत गयी और देखो सारा सीखा हुआ ही ग़लत था,
एक त्रासदी ने देखो हमें जीवन का मतलब सही सिखाया था।

सफ़र ज़िंदगी का लम्बा और थकाऊ तुम ध्यान रखो,
मज़ा जो लेना हो यहाँ तो साथ में सामान कम रखो।

मुट्ठी बड़ी ज़ोर की बाँधी थी पर देखो जब से है ये खुली ,
पाने से ज़्यादा ख़ुशी तो आनंद लोगों को बाँटने में मिली ।



कोई ख्वाहिश नहीं।

कोई ख्याल नहीं, कोई काम नहीं,
दिल बेहद शांत, मगर आराम नहीं।

सोचूँ, याद करूँ, ध्यान भी लगाऊँ,
प्रश्न बहुत लेकिन उत्तर एक न पाऊँ।

खुश-नाखुश से अब बहुत ऊपर हूँ,
यूँ ही मुस्कुराऊँ, मैं क्या नशे में हूँ?

इतना भी क्यों पा लेना कि ख्वाहिश न रहे,
जितना पाऊँ उतना ही खोने का डर जकड़े।

मेरी साँसों में वो रूहानी खुशबू आज भी है,
दिल के शहर को तेरा इंतज़ार आज भी है।

अब मिलने में क्या रखा है अब ये चाहत नहीं,
तेरा कोई नाम भी ले तो उसे गले से लगाऊँ।

इश्क जब परवान चढ़ जाए तो क्या बताऊँ,
जो मेरे भीतर है उसे अब औरों से क्या बचाऊँ।

कोरोना काल में प्यार!

सुनो न !
लॉकडाउन में बाहर आना जाना मना है.....
ख्यालों में तो नहीं न ?

सुनो न !
ये आरोग्य सेतु दिल के बीमारों की जानकारी देता है क्या?
तुम डाउनलोड कर लो न......

सुनो न !
हमारे शहर में एक ही क्वारनटीन सेन्टर है न .......
मिलना चाहोगे मुझसे?

Tuesday 5 May 2020

बारिश और तुम...

ये बारिश तुम सी बरसती है!
कभी भी....
मैं निहारता रहता इसको लगातार,
जैसे भीगे बालों में सामने तुम हो!

ये बारिश शोर करती है!
बहुत ज्यादा ....
मैं खामोश सुनता रहता इसको ध्यान से,
जैसे गुस्से में आंख मूँदकर हाथ पैर झटकती तुम हो!

तुम्हारे साथ का एहसास सा होता!
ठहरना....
जरा देर तक बरसना,
अच्छा लग रहा है....
बहुत ही अच्छा लग रहा है।


Monday 4 May 2020

शहीदों के नाम ...

आँखे नम है मगर जिगर में आग बरक़रार है,
दिखाने को दहाड़ बस मौक़े की दरकार है,
मौत का डर नही, हाँ हम माँ भारती के लाल हैं,
शहादत चुनी हमने हमें अपने वतन से प्यार है ।

देश के आगे हम कुछ नही समर्पित इस पर प्राण हैं,
ऐ आसमान तू देख तुझसे ऊँची आज हमारी शान है,
जिस माँ ने जन्म दिया हम आज उसी गोद में लेटे हैं, 
हैं आँखें बंद हमारी मगर चेहरे पर हमारी मुस्कान है।

दूर कहीं गए नहीं हम मौजूद अब हर फ़ौजी के दिल में हैं,
पैदा होंगे हज़ारों वीर आज हमने वीरता का बीज बोया है,
बहा कर खून अपना रंगा है आज धरती माँ के आँचल को,
रहे ख़ुशहाल ये देश सदा इसीलिए हमने प्राणों को खोया है।

Friday 1 May 2020

किसान ...

जब आई कोरोना महामारी तो हमें याद आया,
जीने को जरूरी है केवल भोजन ये याद आया,
बन्द घरों में बैठकर धन्यवाद देने को थाली बजाया,
दिया जलाते समय मगर हमको किसान न याद आया।

अधनंगा बदन, सिकुड़ी खाल में ये इंसान कौन?
किसानों की इस हालत का जिम्मेदार कौन?
अन्न देने वाले किसान के घर में नही है तेल-नोन,
कर्ज में फाँसी लगाने पर हम-तुम क्यों रहते मौन?

डॉक्टर-इंजीनियर, पुलिस-वकील न जाने क्या-क्या,
सब कुछ बनाओगे बच्चों को मगर किसान नही बनाओगे,
इन सबकी भी जरूरत है प्रगति के लिए देश को,
मगर जिन्दा रहने को जरूरी भोजन कहाँ से लाओगे?

विश्व गुरु बनने को तुम धन उगाने के तरीके खूब पैदा करो मगर,
सुनो बदलते इस दौर में हमें अब पुनः बेसिक पर लौटना होगा,
हे भारत माता तूने इस धरती से कितने ही वीरों को जाया होगा,
मगर जीवित रहने को अब, घर-घर में किसान पैदा करना होगा।

आज नहीं तो कल वैक्सीन भी बनेगी,
ज़िन्दगी पुनः तेज रफ्तार में भी दौड़ेगी,
आधुनिकता में मत भूलना मिली जो सीख कि,
उन्नति की सड़क तो उन्नत किसान से ही बनेगी।