Friday 8 June 2012

यादें...........

आगे बढ़ने की चाह में,
मंजिल की तलाश में,
हम बहुत आगे निकल आये,
सब कुछ पीछे छोड़ आये|
समय बदला,
लोग बदले,
बदलाव की इस आंधी ने मुझको भी न छोड़ा|
दुनिया की इस भीड़ में,
नित्य कुछ नया हो रहा है,
ज़िन्दगी व्यस्त है अपनी पहचान बनाने में,
स्वयं को भूलकर,
हम इस भीड़ में खो रहे हैं|
ज़िन्दगी की इस किताब में,
धूमिल होते यादों के कुछ पन्ने,
संभाल रहा हूँ जिन्हें मैं,
पूरे ज़तन से,
सजों रहा हूँ मैं इन्हें,
बचा रहा हूँ वक़्त के पतझड़ से,
क्यूंकि इनमे तुम हो,
तुम्हारे मेरे साथ बिताये हुए लम्हें हैं!
ये यादों के मोती,
कीमती हैं मेरे लिए,
इन मोतियों की चमक कभी,
फीकी नहीं पड़ेगी,
मेरे ज़हन में ये रौशनी सदैव,
यूँ ही बरक़रार रहेगी|
ये तेरी याद ही तो है,
जो आज भी पहले जैसी हैं,
और हमेशा वैसी ही रहेंगी|