Saturday 27 January 2024

डरता हूँ...

 मैं डरता हूँ 

जब मैं किसी और को 
हद से ज़्यादा 

झुकते हुए देखता हूँ
किसी के पैर छूते देखता हूँ 
आज्ञाकारी बनते देखता हूँ
रोल मॉडल बनाता देखता हूँ
अनावश्यक सम्मान करता देखता हूँ
दुनिया के हिसाब से चलता देखता हूँ
दृढ़ अनुशासन में देखता हूँ
व्यस्त देखता हूँ 
अपनों की चिंता करते देखता हूँ 
भविष्य के विषय में सोचते देखता हूँ 
सफल होते देखता हूँ
उसके बाद का अकेलापन देखता हूँ 
लोगों को उसकी तरफ़ उम्मीद लगाये देखता हूँ
निर्णय लेने में अकेला खड़ा देखता हूँ 
हर गलती का ज़िम्मेदार बनते देखता हूँ
ख़ुद से ही लड़ता देखता हूँ 
अपनी ही सफलताओं से डरता देखता हूँ ।

मैं डरता हूँ 
जब मैं किसी और में 
अपने आप को देखता हूँ!

©️®️डरता हूँ/अनुनाद/आनन्द/२७.०१.२०२४



Saturday 6 January 2024

पहनावा


“व्यक्ति को कपड़े पहनने का अधिकार होना चाहिए…. न पहनने का नहीं !”


सच लिखूँ तो बिना कपड़ों के तो केवल पशु-पक्षी ही ख़ूबसूरत दिखते हैं। 


मानव प्रजाति तो कपड़ों में ही झेली जा सकती है वरना इससे बेकार देखने लायक़ दूसरी कोई चीज नहीं। झेला जाना मैंने इसलिए लिखा कि खूबसूरत होने के लिए कपड़ों के साथ व्यवहार का उत्तम होना भी अनिवार्य है। 


हाँ कुछ डिज़ाइनर लोग कपड़ों को कुछ आड़ा-तिरछा काट एवं सिल कर इसमें भिन्नता तो ला सकते हैं पर कपड़े पहनना तब भी अनिवार्य है। “डोरियों को कपड़ों की संज्ञा नहीं दी जा सकती।”


निवेदन- जीवन सरल बनायें। इसलिए जो सम्भाल सकें उसे ही पहनें। उसके बाद ही आप अपनी, समाज और राष्ट्र की प्रगति के विषय में सोचने का मौक़ा निकाल पाएँगे!


नोट:- उपरोक्त सभी विचारों का बन्द कमरों से कोई वास्ता नहीं है। अपनी निजता के पलों में आप स्वयं ईश्वर हैं। 


“Keep your privacy private.”


प्रणाम🙏


©️®️पहनावा/अनुनाद/आनन्द/०६.०१.२४