Monday 22 October 2012

तो क्या बात हो !


है भीड़ बहुत !
हैं हमदर्द बहुत !
हर दर्द सहने को ,
ये दिल है मजबूत बहुत !
किन्तु दिल के इस दर्द की दवा बनकर ,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

है ये  सफ़र लम्बा !
और मुझको चलना बहुत !
पूरे करने हैं मुझे,
अभी ख्वाब बहुत !
जिंदगी की इस राह पर बनके हमसफ़र,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

हैं जिंदगी व्यस्त बहुत !
पूरे करने हैं काम बहुत !
चाहता हूँ मैं सोना क्यूँकि,
थक गया हूँ मैं बहुत!
बनकर ख्वाब नींद में मेरे,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

है तू दूर बहुत !
और याद आती है बहुत !
कहीं तुझे खो न दूँ,
मैं डरता हूँ बहुत !
बनकर रोशनी मेरे इस अंधियारे जीवन में ,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

हैं दुनिया में चेहरे बहुत !
और सभी खुबसूरत बहुत !
मगर तेरे आगे मुझको ,
लगते सभी बेकार बहुत !
लेकर अपने चेहरे पर वही प्यारी सी मुस्कान,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

हूँ मैं बेचैन बहुत !
हैं दिल में प्रश्न बहुत !
उठ रहे हैं मुझमें,
विचारों के तूफ़ान बहुत !
बन के ठहराव मेरे मन के मानसरोवर में ,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

है लिखने को बहुत !
और कहने को भी बहुत !
बयाँ करने को मेरी कहानी ,
मेरे पास नहीं अल्फ़ाज बहुत !
इस अनकही कहानी को सुनने ,
अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

अगर तुम आ जाओ…………….
तो क्या बात हो !

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