Sunday 18 June 2017

हौसला .......

हे मन,
तू रख धीर
रह गंभीर
न हो विचलित
कदम न डगमगाएँ
हौंसले से
हो तत्पर
गतिमान रह
कर्मपथ पर।

बाधाएं आएंगी,
विवशताएं आएंगी,
कदम भी लड़खड़ाएंगे,
बातों के तीर से,
लेकर घायल हृदय,
हौसले से
कर मरहम
तू रुक मत
कर्म पथ पर।

ये दौर नही अपना,
ये लोग नही अपने,
आसां नही तेरी मंजिल,
ऊंचे तेरे सपने।
पूरे तुझे करने।
हौसला रख
ये खुदा तेरा
बढ़ता चला चल
कर्म पथ पर।

उम्मीद तुमसे,
आशाएं तुमसे,
तुझसे जुड़े लोगों,
की आंखों में चमक तुझसे।
सभी का आशीर्वाद तुमको।
हौसला रख
दुवाओं के आवरण में
खुद को रख सुरक्षित
कर्म पथ पर।

कटेगा अंधेरा,
रोशनी होगी,
चहुँ ओर उजाला होगा,
वो कांति तेरी होगी।
वो दौर तेरा होगा।
हौसला रख
बढ़ा लगन
तेरी अलग पहचान होगी
कर्म पथ पर!
कर्म पथ पर......................

Thursday 15 June 2017

मैं (सारांश)

मुझे बेहद गर्व है मुझ पर,
गर्व क्या, कह लीजिए कि घमंड है मुझ पर,
क्वालिफाइड हूँ ,
एक अच्छे ओहदे पर भी हूँ,
दुनिया सम्मान करती है,
बातों को मेरी तवज्जो भी देती है।
शान है सम्मान है, कमी क्या है मुझको!
खुद पर बेहद घमंड है मुझको।

किन्तु एक दिन अकेले में,
एक ख्याल आया दिल में,
बोरियत के उस समय में,
दिल में एक प्रश्न उठा,
जब स्वयं में सम्पूर्ण हूँ मैं,
फिर क्यों ये तन्हाई काटने को दौड़ती है!

दिमाग पर जोर देकर,
इस प्रश्न के हल की खोज में,
काफी हाथ पैर मारने के बाद
ये समझ आया कि
बिना मां बाप के मैं बेटा नही,
भाई-बहन के बिना भाई नही,
तुम्हारे बिना मित्र नहीं,
पत्नी के बिना पति नही,
बच्चे के बिना पिता नही ,
पद के बिना अधिकारी नहीं,
विद्यालय के बिना विद्यार्थी नहीं,
इन सब के बिना मैं कुछ भी नही।

दुनिया मे आप अकेले कुछ भी नहीं,
फिर अपने पर इतना घमंड क्यूँ?
वजूद मेरा इन रिश्तों से ही है,
इनके बिना जिंदगी का मजा कैसा!

अब मिल गया है गुरु मंत्र,
जिंदगी जीने का सूत्र,
मजे लेने हैं जिंदगी के ग़र,
हम में जीना होगा, मैं को भूल कर।