इधर देखना उधर देखना ये निगाहें खूब दौड़ने लगी
चमक उठा ये चेहरा और महक उठी पूरी ये शाम
लगा कि अपना आना भी सफल हो गया इस महफ़िल में
जब किसी ने लिया इत्र सा महकता हुआ तेरा नाम।
Wednesday, 3 July 2019
इत्र से महकता नाम ...
इससे पहले कि...
इससे पहले कि
ये घड़ी बीत जाए
दिल की बात
दिल में रह जाए
भर नज़र देख लूँ
दिल के पटल पर
तस्वीर उतार लूँ
बड़ी मुश्किल हैं
धड़कनें तेज़ बहुत हैं
कैसे भरूँ रंग
काँपते हाथ मेरे
विचलित ये मन
हो रहा अधीर
बहुत ये चितवन
खो रहा होश
थाम लो मुझे
इससे पहले कि..........
रात के आंसू...
रात के आंसू
तो तकिए जनते हैं ।
हम रोए कितना
ये अंधेरे जानते हैं।
चेहरे के शिकन को छुपाया कैसे
ये मेरे घर के कोने जानते हैं।
तुम्हारे जाने का दुःख
झेल गए सब कुछ
मत पूछो हम ज़िंदा हैं कैसे
दिल की बातें हैं बस,
दिल की ये धड़कन जानते हैं।
किस रिश्ते में बाँधू तुमको!
तुझसे दूर लेकिन बेहद क़रीब तुमसे,
मुश्किल हो रहा ये रिश्ता निभना हमसे,
तुम क्या लगते मेरे ज़माना पूँछें मुझसे,
नही सूझता कि लोगों को समझाऊँ कैसे।
ये संगत पुरानी, पसंद तेरे तरीक़े हमको,
रहना संग मेरा तेरे नहीं पसंद किसी को,
रिश्तों को नाम देना ज़रूरी है क्या, कोई बताए हमको,
नही समझ पा रहा किस रिश्ते में बाँधू तुमको ।
सोचते तो हैं मगर...
सोचते तो हैं मगर
मगर मेरे बस में नहीं
नहीं कर सकते हम
हम ख़यालों में बुनते
बुनते चाँद सितारे
सितारों का आँचल
आँचल में चेहरा
चेहरा ऐसा कि परे कल्पना
कल्पना में क्या जीना
जीना क्या तेरा बिना
बिना तेरे अब कुछ और नही सोचना
सोचते तो हैं मगर!
उड़ान...
ज़माने के लोहे की चोट खाकर,
वक़्त की भट्टी में खुदको पिघलाकर,
सब्र के साँचे में मैंने ख़ुद को ढाला है,
झेलकर सारी मुश्किलों की तपिश,
इरादों को यूँ फ़ौलाद मैंने किया है,
कि उड़ने को हूँ तैयार और अब,
आसमाँ मेरे परों में आ गया है।
कोई ख़्वाहिश नही!
कोई ख़्वाहिश नही
ऊँचाई की
चाहत केवल एक
पहचान की
उम्मीदों से भरा जीवन
रहे व्यस्त हरदम
रोज़ नयी शुरुवात हो
तुमसे एक ख़ास बात हो
बस इतना सक्षम रहूँ
सबकी ज़रूरतों में हाज़िर हरदम रहूँ
रहूँ बिंदास रहे कोई तनाव नही
और कोई ख़्वाहिश नही।