हम जिस्म में मुहब्बत ढूढ़ते रहे
और रूह तन्हा रह गयी ........
Saturday, 20 July 2019
एहसास और शब्द!
एहसास कोमल होते हैं और शब्द निष्ठुर.......
इसीलिए प्रेम में ज़ुबान का कम और आँखों का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है।
ज़ुबान को रख ख़ामोश तू आँखों से बातें कर
प्यार के इज़हार की यही एक माक़ूल अदा होती है।
आज के दौर में इश्क़...
दौर ए जमाँ बदल रहा है
हर इंसाँ बदल रहा है
कौन कितना बड़ा बहरूपिया
कम्पटीशन चल रहा है।
चोरी से की जाने वाली
चीज़ों का डिस्पले चल रहा है
अब और नया क्या करें
इस पर विचार चल रहा है।
प्रेम जैसी चीज़ का
फ़ैशन चल रहा है
और प्रेम है किधर
इस पर रिसर्च चल रहा है।
मुहब्बत पर नए तरीक़े से
जमकर प्रयोग चल रहा है
इश्क़ करने के तरीक़ों का
क़ारोबार चल रहा है।
रचाए ढेरों स्वाँग हमने
देखो रंगा पुता जिस्म चल रहा है
पैदा कर दे दिलों में लालसा
छलकता हुवा जवानी का पैमाना चल रहा है।
आज़माए हर तरीक़े पर
न कोई संतोष मिल रहा है
पाने को प्रेम इस जहाँ में
हर इंसाँ नंगा चल रहा है।
दुनियादारी और तुम !
तुम मिलो तो कुछ और बातें किया करो,
दुनियादारी तो हम औरों से भी कर लिया करते हैं .....
तज़ुर्बा ए ज़िन्दगी...
हिम्मत और जोश बनाए रखें दौड़ ए ज़िंदगी में
कुछ हासिल हो न हो, तज़ुर्बे ख़ूब मिलते हैं ।
जीत और हार की मत सोच बस कोशिशें करता रह
ख़ुद को घिस-घिस कर तू अपनी धार तीखी करता रह ।
गर्दिश और फ़तह में बस इक महीन सा अंतर है,
फ़र्श से अर्श तक पहुचने में बस कोशिशों के तरीक़े का अंतर है।
क़िस्मत और मेहनत तो ज़रूरी है ज़िंदगी में जीतने के लिए लेकिन
किसी कहानी का क्या होगा अंजाम बस तज़ुर्बे तय करते हैं ।