Sunday 28 July 2024

शुरुवात नई !

रात गई 

बात गई 

कल से फिर

शुरुवात नई।



इनने कही 

उनने कही

क्या फ़र्क़ जो 

सामने नहीं कही।


प्यार भी 

दोस्ती भी 

कुछ न मिला 

तो कहानी सही ।


दिया खूब 

मिला नहीं 

वो मुस्कुराये 

और क्या चाहिए।


कल भी 

आज भी 

ज़ेहन में 

अभी भी ।


तुम और तुम 

दुनिया और तुम

मैं और तुम 

शानदार तीसरी पंक्ति।


हक़ भी 

हद  भी  

मन भी 

डर भी ।


तब २०१२

अब २०२४

तब साथ 

अब याद ।


रात गई 

बात गई 

कल से फिर

शुरुवात नई।


©️®️शुरुवात नई /अनुनाद/आनन्द/२८.०७.२०२४


Saturday 29 June 2024

वो दिन …

 वो भी क्या दिन थे….


तुम्हारे बिगाड़े हुए 

और 

तुम्हीं से बने हुए !


वो भी क्या दिन थे।


©️®️वो दिन/अनुनाद/आनन्द/२९.०६.२०२४


Monday 3 June 2024

बुराई

समय की धूप में कुछ यूँ तपा हूँ ,
यूँ मैंने ये रंगत सुनहरी पायी है ।
देखी जब भी कोई बुराई किसी में ,
मैंने स्वयं में उस बुराई से दूरी बनाई है।

©️®️बुराई/अनुनाद/आनन्द/०३.०६.२०२४






 

 

Friday 17 May 2024

शिकायत

मेरी कभी किसी से कोई बहस नहीं हुई,

नाजायज़ मुझसे कोई बात कही नहीं गई, 

मैं उनसे मिला बस एक साफ़ दर्पण की तरह,

पाकर ख़ुद को सामने कोई शिक़ायत नहीं हुई।


©️®️शिकायत/अनुनाद/आनन्द/१७.०५.२०२४




Friday 3 May 2024

कमाई

 

यह समाचार पढ़कर हतप्रभ होने की ज़रूरत नहीं है। ऐसी कई घटनाएँ आपके आँखों के सामने से होकर गुज़री होंगी। ज़रूरत तो है इससे सीख लेने की। गुण, कलाकारी, शौक सब अपनी जगह हैं और जीविका उपार्जन अपनी जगह। गुण, कलाकारी, शौक इन सबसे मिलने वाला सम्मान क्षणिक ही होता है। अन्ततः प्रश्न जीविका का ही उठता है। 

सबसे पहली सीख व्यक्ति को जीवन में जीविका उपार्जन की मिलनी/सीखनी चाहिए। फिर जीविका कमाने के लिए कौन-२ से साधन हो सकते हैं, इसकी सीख मिलनी/सीखनी चाहिए। और माना कि जीविका उपार्जन भी सीख गए तो आगे क्या ? आगे ये कि उपार्जित राशि का प्रबन्धन। ऐसा प्रबंध की उपार्जित राशि भी आपको कमा कर खिलाये। 

इसके बाद आप अपना इतिहास देखिये और अपने पैर जमीन पर रखिये। आपको पता होना चाहिए कि इस जीवन को जीने के लिए आधार भूत ज़रूरतें क्या हैं! दिखावे में न पड़ें। यदि आप राजा महाराजा खानदान से नहीं हैं और आप ग़ैर क़ानूनी धंधे या एक्टिविटी नहीं करते हैं तो बस आप अपने पैतृक घर में रहते हुए दाल रोटी में जीना सीखिए और थोड़ा-बहुत जो बचा लेते हैं उसे निवेश करिए। 

ये निवेश कई प्रकार का हो सकता है। कुछ नया गुण-ढंग सीखने में निवेश करिये जो आपको जीविका के दूसरे साधन भी उपलब्ध कराये। महत्वाकांक्षा रखिये किन्तु बिना पैसे से मिलने वाली चीजों का जैसे- पद्म-श्री पुरस्कार 🥇 ! ध्यान केवल पैसे कमाने पर होना चाहिए। आपके जीवन का पहला मकसद धन कामना होना चाहिए, फिर रिश्ते और उसके बाद तो कुदरत की मार न मिली तो सब कुछ अपने आप ही मिल जायेगा। मुझे जो सीख मिली है कि रिश्ते सर्व-प्रथम होते हैं किन्तु जीवन के अनुभवों ने कुछ और ही दृश्य दिखाएं हैं इसलिए मैंने धन को सर्व-प्रथम ही रखा है। 

कुछ लोग बोलेंगे कि स्वास्थ्य ज्यादा जरुरी है तो भैया मैं ये पोस्ट मैं मरते हुए आदमी के लिए नहीं लिख रहा हूँ। उसके लिए तो अब ये जीवन और मेरा ज्ञान दोनों व्यर्थ ही हैं। 

सम्मान, धन, रिश्ते ज्यादा दिन नहीं टिकने वाले ! टिकेगा तो पैसा कमाने की कला। 

इसलिए बचपन से ही धन कमाने का तरीका सीखना चालू करिये। पढाई काम भर को कर लीजिये। पैसे रहेंगे तो मंहगी वाली पढाई भी हो जाएगी वरना लोन लेकर पढ़ने की कोई जरुरत नहीं है, क्यूँकि अगर आप उस पढाई से धन कमाना सीख भी गए तो बैंक वाले ही ऐश करेंगे।आपका पेट भरेगा या नहीं ! इसकी कोई गारंटी नहीं। 

बड़ी-२ पढ़ाई करने वाले भी धन कमाने का जुगाड़ ही करते हैं और फिर ज्यादा कमाने के लिए भ्रष्टाचार करते हैं ! क्यूँकि वो तो सिर्फ पढ़ें ही हैं न ! धन कमाना तो नहीं सीखे न !

कोविड काल ने तो सिखाया ही है कि जीवन जीने के लिए ज्यादा पैसे जरुरी नहीं है और यदि आपने covishield का टीका लिया है तो फिर और भी घबराने की जरुरत नहीं है। जिसका कोरोना और covishield भी बाल बांका नहीं कर पाया, उसे बस भोजन ही मिल जाये तो वो जी लेगा। बस भोजन भर की व्यवस्था को जरुरी धन कमाने की कला रखिये।  


प्रार्थना- बाकी अमीर बनने के रस्ते तो सदैव खुले ही हैं। ईश्वर आपको पेट भरने मात्र को दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए मजबूर न करें।


नोट-मुफ्त राशन मिलने के लिए भी लाल कार्ड चाहिए 😎🙈😉 और अगर आप यह पोस्ट पढ़ रहे हैं तो आप लाल कार्ड लायक भी नहीं है👎। 

©️Ⓡकमाई/अनुनाद/आनन्द/०३.०५.२०२४ 


Saturday 27 April 2024

मंज़िल और रास्ते

ग़र चाहते हो आनन्द मंज़िल पर पहुँचना,

मंज़िल से ज़्यादा रास्तों का ध्यान रखना।

 

तड़पते रह गये अपन मंज़िल की चाह में,

देखा ही नहीं कि तेरा गाँव भी था राह में।

 

समय कहाँ रुका है तेरे लिये या मेरे लिये,

निहारते बीते दौर को हाथों में तस्वीर लिए।

 

मैं फ़क़त ख़्वाब बुनता रहा तुझे पाने को,

रातों में सोया नहीं सोये भाग जगाने को।

 

मैंने लिखना छोड़ दिया अब क्या फ़ायदा,

भरे घावों को फिर कुरेदने से क्या फ़ायदा।

 

मैंने नशे करके भी देख लिये  दिलरुबा,

ये कदम लड़खड़ाए तो बस तेरे नाम पर 

 

नाम आनन्द है इसलिए खुश तो रहना ही था,

मुझे तेरा नाम और ये ग़म दोनों छुपाना ही था।

 

मैंने लिखना छोड़ दिया अब क्या फ़ायदा,

भरे घावों को फिर कुरेदने से क्या फ़ायदा।


©️®️मंज़िल और रास्ते/अनुनाद/आनन्द/२७.०४.२४



 



Saturday 27 January 2024

डरता हूँ...

 मैं डरता हूँ 

जब मैं किसी और को 
हद से ज़्यादा 

झुकते हुए देखता हूँ
किसी के पैर छूते देखता हूँ 
आज्ञाकारी बनते देखता हूँ
रोल मॉडल बनाता देखता हूँ
अनावश्यक सम्मान करता देखता हूँ
दुनिया के हिसाब से चलता देखता हूँ
दृढ़ अनुशासन में देखता हूँ
व्यस्त देखता हूँ 
अपनों की चिंता करते देखता हूँ 
भविष्य के विषय में सोचते देखता हूँ 
सफल होते देखता हूँ
उसके बाद का अकेलापन देखता हूँ 
लोगों को उसकी तरफ़ उम्मीद लगाये देखता हूँ
निर्णय लेने में अकेला खड़ा देखता हूँ 
हर गलती का ज़िम्मेदार बनते देखता हूँ
ख़ुद से ही लड़ता देखता हूँ 
अपनी ही सफलताओं से डरता देखता हूँ ।

मैं डरता हूँ 
जब मैं किसी और में 
अपने आप को देखता हूँ!

©️®️डरता हूँ/अनुनाद/आनन्द/२७.०१.२०२४