रात गई
बात गई
कल से फिर
शुरुवात नई।
इनने कही
उनने कही
क्या फ़र्क़ जो
सामने नहीं कही।
प्यार भी
दोस्ती भी
कुछ न मिला
तो कहानी सही ।
दिया खूब
मिला नहीं
वो मुस्कुराये
और क्या चाहिए।
कल भी
आज भी
ज़ेहन में
अभी भी ।
तुम और तुम
दुनिया और तुम
मैं और तुम
शानदार तीसरी पंक्ति।
हक़ भी
हद भी
मन भी
डर भी ।
तब २०१२
अब २०२४
तब साथ
अब याद ।
रात गई
बात गई
कल से फिर
शुरुवात नई।
©️®️शुरुवात नई /अनुनाद/आनन्द/२८.०७.२०२४
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