Friday 14 September 2012

आज फिर तेरी याद आई........

आज फिर तेरी याद आई........

आसमाँ में इन बादलों ने न जाने कैसा रूप बनाया है ,
ठंडी हवाओं ने भी कोई षड़यंत्र रचाया है ,
बारिश की इन बूंदों ने न जाने किस तरह छुवा मुझको ,
कि तेरी याद अज कुछ ज्यादा ही आई |

आज फिर तेरी याद आई........

पूरा दिन दुनिया की दुनियादारी में गुजरा ,
नहीं पता कब बीता ये दिन और कहाँ होगा बसेरा ,
जब इस व्यस्त समय से मिला थोडा सा समय ,
लो हो गयी शाम और फिर तेरी याद आई |

आज फिर तेरी याद आई.......

यूँ तो तुझे हम भूले न थे कभी ,
किसी कोने में नहीं पूरे दिल में हो अभी ,
है दूर बहुत तू मगर दिल के नजदीक है ,
कैसे बताऊँ तुझे कि फिर तेरी याद आई |

आज फिर तेरी याद आई.......

डराती हैं मुझे ये घड़ियों का टिक-टिकाना ,
नहीं पसंद मुझे तेरे बिना एक पल बिताना ,
लाख कोशिशों के बाद भी खुद को न रोक पाया ,
आ गया मुझको रोना जब तेरी याद आई |

आज फिर तेरी याद आई........

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