Tuesday 22 January 2013

ख़ता !

क्या सही है और क्या गलत ये अब नहीं सोचना…..
इस गुणा भाग में अगर उम्र गंवाई तो ख़ता होगी !!!!!!

दिल की इस गगरी को मैंने छलकने से रोका है,
आँखों में बसी गंगा को मैंने बहने से रोका है,
सब्र के इस बांध को अब तो तोड़ना  होगा,
दिल की इस कहानी को अब तो बयां करना ही होगा,
ये जो चाहत है मुझमे तेरे लिए कभी ख़त्म न होगी………..
ये तो हक है तेरा और तुझको न बताऊँ तो ख़ता होगी !!!!!!!!

हर बार एक नया जख्म लेकर आती है तेरी याद,
ख़त्म नहीं होती अब इन जख्मों की मीयाद,
अजब है कि हम खुद इनको भरने नहीं देते हैं
ये जख्म जितने गहरे हों, उतना ही सुकून देतें हैं ,
मेरे हजार जख्मों की तू ही, सिर्फ तू ही, है एक दवा…………
दवा को दर्द से रखा अगर दूर तो ख़ता होगी !!!!!!

तू इतना शांत कैसे कि इधर उठ रहे लाखों तूफान हैं,
मेरी हालत को न समझे क्या वो इतने नादाँ हैं !
ऐ ज़ालिम इतना भोला मत बन कि फर्क तो कुछ तुझे भी जरुर पड़ता होगा,
गर मुझे नींद न आये इधर तो उधर करवटे तू भी बदलता होगा !
चल हट और छोड़ दे ये जिद कि………..
दो दिल प्यार करें और प्यार की बात न करें तो ख़ता होगी !!!!!

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