Sunday, 15 July 2018

बारिश....

बारिश
मेरी वाली
तुम्हारी वाली
सुकून देती
बेचैनियां बढ़ाती
दीवाना बनाती।

बारिश
प्यास बुझाती
आग लगाती
चाहत जगाती
आतुरता बढ़ाती
किसी की याद दिलाती।

बारिश
घने काले बादलों के साथ
दूर देश से आती
नशे में रहती
झूम कर बरसती
अपनी धुन में नचाती।

बारिश
टिप-टिप कर गिरती
बादलों को झाड़कर बूंदें गिराती
कानों में मधुर संगीत घोलती
स्वरों के इस झुरमुट में
हमें खो जाने को कहती।

बारिश
जब मिट्टी पर गिरती
खुद को भूल जाती
अपने अस्तित्व को खोती
मिलकर अपने प्रिय से
उसके रंग में रंग जाती।

बारिश
किसी मुस्कान सी चमकती
घने काले बालों जैसे बादलों के साथ रहती
ठंडी हवाएं सिहरन सी जगाती
कोमलता का एहसास दिलाती
बूंदों की आवाज जानी पहचानी लगती
मुझे धोखा सा होता
ये तुम सी लगती।

बारिश.....

Monday, 7 May 2018

अंदाज़-ए-जिंदगी

खुलकर जिएं जिंदगी जनाब , गलत-सही के चक्कर में न पड़िए।
दिल को रखना है जवाँ, तो बिरादर, मन में खुराफात कई रखिए।

सांच को आंच नही,सच है ये, मगर झूठ का भी खूब इस्तेमाल करिए।
उजालों की कद्र तो ठीक है , किन्तु कीमत अंधेरे की भी रखिए।

बुढापा भी कट जाए ख्वाहिशों को पूरा करने में , कि जवानी में अरमान इतने रखिए।
और लेना हो उम्र के हर पल का मजा, तो मिजाज अपने श्वेत -श्याम रखिए।

मजा क्या जो आसान हो ज़िन्दगी, कि कश्ती सदा तूफानों में रखिए।
और खाली बैठकर भी क्या करोगे मियाँ, कि जिंदगी में बयाने कई रखिए।

जुबाँ को रहने दें खामोश, कि आंखों का इस्तमाल कुछ यूं करिए।
लोग अंदाजा ही लगाते रह जाएं, कि नज़र में अपनी शरारत बेशुमार रखिए।

हर प्रश्न का जवाब हो एक सवाल, कि अंदाज-ए -बयाँ कुछ यूं रखिए।
और बढ़ जाएं दिलों में बेचैनियां, कि चेहरे पर मुस्कान ऐसी रखिए।

आपको पढ़कर भी न समझ पाए कोई, कि खुद को कलमबंद कुछ यूं करिए।
पढ़ने वाले पन्ने ही पलटते रह जाएं, कि जिंदगी की किताब में पन्ने हज़ार रखिए।

आसानी से न समझ में आएं किसी के, बरखुरदार इसका जुगाड़ कुछ ऐसा करिए।
उधेड़ना पड़े परत दर परत और कड़ी दर कड़ी, कि दिल में अपने राज इतने रखिए।

Wednesday, 2 May 2018

शरारत-ए-इश्क

वो मिलने की चाह भी रखते है, वो प्यार भी ख़ूब करते हैं।
ग़लती से मिल जाए नज़र तो नज़र अन्दाज़ भी ख़ूब करते हैं।

वो माहिर हैं नज़रों के खेल में, नज़रों से वार ख़ूब करते हैं ।
जकड़ कर नज़रों के मोहपाश में, बेचारे दिल को घायल ख़ूब करते हैं।

जाने अनजाने छेड़ ही देते है, वो ख़्वाहिशें ख़ूब पैदा करते हैं ।
बढ़ा कर दिल में कसक, वो दीवानों को परेशान ख़ूब करते हैं।

दिन बीतता है उनको याद करके, वो शामों को हसीन ख़ूब करते हैं।
रोशन करके शमाँ रातों को, वो परवानो को क़त्ल ख़ूब करते हैं।

Friday, 16 February 2018

प्यार.......एक शुरुआत!

इस दुनिया में हूँ पर ख़ुद में खोयी हुयी हूँ
पाने को तेरा साथ तेरे ही इंतेजार में हूँ ।

ख़ुश भी हूँ , बहुत हैरान भी हूँ ।
तुम्हें पाऊँगी या खो दूँगी, इस सवाल से परेशान भी हूँ।

कभी सोचा ही नहीं कि कैसी लगती हूँ,
पर अब तेरे सामने आने से भी डरती हूँ।

कैसी दिखती हूँ , कैसी लगूँगी तुम्हें, इसी सोच में रहती हूँ,
पसंद आने को तेरे अब मैं कोशिशें हज़ार करती हूँ।

ख़ुद की फ़िक्र कभी की ही नहीं मगर अब आइने के सामने हूँ ,
चेहरे पर मेरे आ गया है अजब सा निखार कि मैं तेरे प्यार में हूँ ।