आज सुबह ऑफिस जाते वक्त एफ० एम० पर महिला आर०जे० को बोलते हुए सुना। ऐसा नही है कि पहली बार सुन रहा था पर ध्यान पहली बार दिया। कितना अच्छा प्रस्तुतीकरण होता है, एक दिलकश आवाज़ और मिनट भर में कई तरह के भावों को शामिल करते हुए कितना स्पष्ट बोलती हैं ये महिला आर०जे०। दिल खुश हो जाता है। अचानक फिर मेरे मन में दो ख्याल आए-
१. क्या ये महिला आर० जे० शादीशुदा होंगी? वैसे मुझे नही लगता कि शादीशुदा महिलाएँ ऐसे बातें कर सकती हैं। उन्हें मुँह फुलाने, झगड़ा करने और लाख पूँछने पर रूठने का कारण न बताने के अलावा कुछ और नहीं आता। पत्नी का मुस्कुराता चेहरा तो एक पति के लिए बस ईद का चाँद है।
२. पहले बिन्दु का उत्तर अगर हाँ है तो फिर तो उनके घर में झगड़े होने की सम्भावना न के बराबर है और इस तरह अगले जन्म में किसी महिला आर० जे० से शादी पर विचार करना ही उचित होगा।
अनुरोध- नीलिमा जी इस पोस्ट को गंभीरता से न लें। ये केवल एक पल का विचार है जो रेडियो सुनते वक़्त आ गया था जिसे मनोरंजन स्वरूप इस पेज पर पोस्ट किया गया है। ये लेख एक लेखक की कल्पना है और व्यक्तिगत रूप से मेरा इस विचार से कोई सम्बन्ध नहीं है।
©अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.१०.२०२०
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