कुछ लिखने लायक़ बन सका, जब पढ़ने का मौक़ा मिला।
तेरे विचारों को समझने का हमको तुझसे ही मौक़ा मिला।।
सभी मनुष्य है एक समान ये बातें बातों तक ही सीमित थी।
इन बातों को मूर्त रूप करने को तेरे जैसा शिल्पकार मिला।।
विधि, अर्थ, मज़दूर, स्त्री, शोषित, स्थिति बड़ी दयनीय थी।
तेरे अतुल्य ज्ञान के योगदान से ये सारा अन्धकार दूर हआ।।
तुझको पाकर भारत रत्न भी अपना देखो गौरव वान हुआ।
नाम तेरा ही देश-विदेश में आज भारत की पहचान हुआ।।
धन्य धरा है भारत माँ की जो इसने तेरे जैसा लाल जना।
भारत को महान बनाने को जो स्वयं आधार स्तम्भ बना।।
बाबा तुझ पर मेरा लिखना, जैसे दिन में दीपक का जलना।
तेरे आदर्शों पर चल सकूँ, बस इतना मार्ग प्रशस्त करना।।
©®अम्बेडकर जयन्ती/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०४.२०२१
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