Sunday, 3 July 2022

काशी

कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो 

कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !

मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन 

सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।


बीएचयू कैम्पस, लिंबड़ी कॉर्नर और अस्सी

समय बीता मेरा वीटी और सेंट्रल लाइब्रेरी, 

सी वी रमन, मोर्वी और लिंबड़ी ख़ूबसूरत

पर खाना ग़ज़ब जहाँ वो धनराज गिरी।


वो मशीन लैब वो ढेर सारे प्रैक्टिकल

हाई वोल्ट सर्किट के बीच मज़ाक़ के पल 

पढ़ने लिखने का मज़ा था या दोस्तों के संग का 

सब भूल गए पर भुला पाते नहीं वो पल!


नशा काशी का था या गोदौलिया की ठंडाई का 

ठंड दिल को जो मिली वो गंगा पार की रेत का

गंगा आरती के अनुनाद से जो उपजा मुझमें आनन्द

कृपा भोले बाबा की तो आशीर्वाद संकट मोचन का।


कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो 

कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !

मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन 

सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।


©️®️काशी/अनुनाद/आनन्द/०३.०७.२०२२






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