Wednesday, 7 October 2020

इश्क़ यूँ भी...

Monday, 5 October 2020

चकाचौंध

कहते हैं तेरे शहर में चकाचौंध बहुत है,
मान लिया इन बातों में सच्चाई बहुत है।

होती नहीं यहाँ रात कि रोशनी बहुत है,
लेकिन मुझे फिर भी अफसोस बहुत है।

मन मेरा पागल तुझे यहाँ ढूंढता बहुत है,
कोशिशों के बावजूद नही राहत बहुत है।

तेरा चेहरा सामने न हो तो क्या बताएँ,
मेरी इन आँखों में रहता अँधेरा बहुत है।


©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०५.१०.२०२०

तू या तेरी याद...

Wednesday, 30 September 2020

आधी रात और चाँद

आज फिर आ गई तेरी याद......
और हमने निहार लिया चाँद....!

जिस तरह कैद है तेरी अदाएँ मेरी इन आँखों में,
हमने उसी तरह कैद कर लिया चाँद को कैमरे में।

कुछ पल तेरे साथ होने का एहसास पा लिया,
संग चाँद के हमने एक लम्हा अकेले गुजार लिया।

आधी रात है और मेरे साथ ऐसे तुम्हारी याद है,
डालियों की झुरमुट से जैसे निहारता ये चाँद है।

देखो ये चाँद इतनी दूर होकर भी लगता कितना पास है,
और तू दिल के इतनी करीब होकर भी रहती कितनी दूर है।

क्या ही करें और क्या ही कहें तुम्हारी इस बेवक़्त याद से,
चलो कर लेते हैं कुछ शिकायतें आधी रात को इस चाँद से।

©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०९.२०२०

Saturday, 26 September 2020

तोहफा

गिफ्ट मिलना किसे नहीं पसन्द? मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब कोई कुछ गिफ्ट कर दे। सामान्यतः आदमी लोगों के पास गिफ्ट के विकल्प कम हैं। महिलाओं के पास ज्यादा है। अब गिफ्ट में आदमी लोगों को जूता-चप्पल, घड़ी, वॉलेट, बेल्ट, सीकड़, अंगूठी या फिर गॉगल...........! सोमरस की बोतल भी गिनी जा सकती है😜। जूता-चप्पल सबसे पहले आया है, इससे घबराएँ मत😁! डरने की बात नहीं। इससे ज्यादा और कोई विकल्प नहीं। यदि होंगे तो भी मेरे किसी काम के नहीं। 

जितना भी गिफ्ट मिला है आज तक, उससे अब बोरियत सी आ चुकी है। अब गिफ्ट या गिफ्ट की विविधता से कोई खुशी नहीं मिलती। अब तो कोई भी गिफ्ट हो, बस मँहगा हो। जितना ज्यादा मँहगा उतनी ज्यादा खुशी। बस वो साथ लेकर चलने लायक हो, जैसे- मोबाइल, घड़ी, पेन इत्यादि। कोई ये कहे कि गिफ्ट की कीमत नहीं देखी जाती, देखी जाती है तो देने वाली की नीयत और मंशा! तो भैया इस जुमले का अब हम पर कोई असर नहीं होता। बकवास है ये सब।

अरे! नहीं-नहीं ! तुम मत घबराओ! तुमसे नहीं कह रहे। तुमसे तो मोहब्बत है हमें 😍 तुम बस हमें नज़र उठा कर देख भर लो ! मुस्कुरा के! हमारे लिए तो इतना ही काफी है। इतने में तो हम महीना गुज़ार लेंगे। 

लेकिन वादा करो अगले महीने वाली किश्त याद रखोगे 😉🤗।

©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२६.०९.२०२०

Thursday, 24 September 2020

आँखों की चमक!

उसके आँखों की चमक भी कुछ ऐसी होती थी....... हमसे मिलने पर!
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बारिश क्या कुछ याद नहीं दिलाती........!

©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२४.०९.२०२०

Tuesday, 22 September 2020

बनारस तेरी याद आती है ...

बहुत दिन हुए बनारस जाने को नही मिला,
लिखने को गीत-ग़ज़ल मोहब्बत का डोज़ नहीं मिला।

छाया है अंधेरा घनघोर दिल की तंग गलियों में ,
बनारस की गलियों में तेरे संग चलने को नहीं मिला।

ये दूरियाँ दरमियाँ तेरे-मेरे अब तो समझ के बाहर हैं,
मेरे कंधे पर तेरा सर और घाट पर बैठने को न मिला।

सर पर पल्लू, आँखें बन्द और चौखट पर मत्था तेरा टेकना,
आँखे सूनी हैं कि बाबा के दरबार में चेहरा तेरा देखने को नहीं मिला।

ज़रा सा हिलने-डुलने पर भी डर लगता है ज़िंदगी के भँवर में,
गँगा में नाव के हिलने पर कब से तेरा हाथ पकड़ने को नहीं मिला।

तेरे गर्म एहसासों में पिघल कर चाहूँ मैं पूरा का पूरा तुझ में घुल जाना,
गंगा के ठंडे पानी में पैरों को डाल तेरे संग शरारत को मौका नहीं मिला।

शाम ढलती है धीरे-२ और दिल में डर बढ़ने लगता है,
जमाने हो गए तेरे संग लिंबड़ी पर चाय पीने को नहीं मिला।

दिल में लगी आग को देखो अब तो ठंड नहीं मिलती,
वी० टी० पर तेरे संग कोल्ड कॉफ़ी पीने को नहीं मिलती।

फ़साने कई हैं तेरे मेरे काग़ज़ पर लिखने को लेकिन,
इन पर चढ़ी धूल को बहुत दिनों से उतारने को नहीं मिला।

क्या बताएँ बहुत ढूँढने से भी अब रस नहीं मिला,
बहुत दिन हुए बनारस जाने को नहीं मिला ।

©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.०९.२०२०