Sunday, 4 July 2021

साथ !

मैं तुम्हारे साथ हूँ,
बोलने से सिर्फ
साथ नहीं होता।
साथ होता है
साथ बैठने से
घंटो, बेवजह!
इतना कि 
किसी भी विषय पर
दोनों की
अलग-२ राय
मिलकर एक हो जाय।

और फिर 
दोनों को 
दोनों की
चिंता करने की
"कोशिश"
न करनी पड़े।
बोलने की 
जरूरत न पड़े।
कोई फॉर्मेलिटी
या संकोच न रहे।
सही मायने में
साथ होता है 
साथ बैठने से!

©️®️साथ/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०४.०७.२०२१

Thursday, 1 July 2021

आदत नहीं गई...!

माना कि तुझको पा लिया है हमने मगर,
महफ़िल में तुझे ढूढने की आदत नहीं गई।

सोचा था कि देखने से ही प्यास बुझेगी मगर,
कुछ देर साथ बिताने से भी बेचैनियाँ नहीं गई।

क्या गज़ब का मिराज है तू और तेरा हुस्न,
तेरे बहुत पास पहुँचने से भी ये दूरियाँ नहीं गई।

तेरे साथ की ठंडक के बारे में बहुत सुना है मगर,
दिल में लगी है जो अगन तेरे छूने से भी न गई।

लोग कहते हैं कि मुझको अल्लाह की इबादत कर,
मेरे लबों को सुबह-शाम तेरा नाम लेने की आदत न गई।

हुस्नो की बारात है देखो मेरे चारों तरफ मगर,
दुल्हन से तेरे चेहरे से मेरी नज़र कहीं और न गई।

माना कि तुझको पा लिया है हमने मगर,
महफ़िल में आनन्द तुझे ढूढने की आदत नहीं गई।


©®आदत नहीं गई/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०१.०७.२०२१

Tuesday, 22 June 2021

अरसा

एक अरसा बिता दिया बहुतेरों ने 
ऐ इश्क़ तुझे पल भर जी लेने को।

फिर एक अरसा बिता दिया लोगों ने
इश्क के उस पल को भूल जाने को।

©️®️अरसा/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.०६.२०२१

Tuesday, 15 June 2021

ज़िद...

काश….. बच्चों सी ज़िद मैं कर पाता
तुझको जाता देखता तो लिपट जाता!

©️®️ज़िद/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१५.०६.२०२१

आसमान...

इश्क़ में तेरे, मैं आसमान हो जाऊँ।
तू कहीं भी रहे, तुझे देख तो पाऊँ।।

©️®️आसमान/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१५.०६.२०२१

Monday, 14 June 2021

झीसे...

बारिश के झीसे में जैसे
ये पेड़ भीग रहा है......
बिल्कुल वैसे ही 
तेरी यादों के फुहारों में 
मैं भी भीग रहा हूँ....
वर्षों से!

ये बारिश तो रुक जाएगी
मगर....
तेरी यादों की बारिश, 
थमने का नाम नहीं लेती।

©️®️झीसे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०६.२०२१


Thursday, 10 June 2021

मिट्टी, बारिश और इश्क....

तेरे प्यार में यूँ भीग जाऊँ
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।

महसूस तुझे मैं करता हूँ
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।

मिलो तो अब ऐसे, जैसे
बारिश की बूंद से मिट्टी ।

दो रंग मिलकर एक रंग हों
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।

प्यार का एहसास साथ रह जाए
जैसे बारिश के बाद गीली मिट्टी ।

तुम्हारे जाने की तड़प ऐसी हो
जैसे बारिश के बाद सूखी मिट्टी ।

तेरे आने का इंतजार यूँ हो
जैसे बारिश के इंतजार में मिट्टी ।

तेरे आने का इंतजार खत्म हो 
जैसे बारिश में खत्म इंतजार मिट्टी ।

तेरे लौटने का विश्वास यूँ हो, हर वर्ष जैसे 
बारिशें गिरती हैं भिगोने को मिट्टी ।

तेरे लौटने पर आलम कुछ यूँ हो, जैसे 
बारिशों में आनन्द को प्राप्त हो मिट्टी ।

©️®️बारिश और मिट्टी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१०.०५.२०२१