तेरे प्यार में यूँ भीग जाऊँ
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।
महसूस तुझे मैं करता हूँ
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।
मिलो तो अब ऐसे, जैसे
बारिश की बूंद से मिट्टी ।
दो रंग मिलकर एक रंग हों
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।
प्यार का एहसास साथ रह जाए
जैसे बारिश के बाद गीली मिट्टी ।
तुम्हारे जाने की तड़प ऐसी हो
जैसे बारिश के बाद सूखी मिट्टी ।
तेरे आने का इंतजार यूँ हो
जैसे बारिश के इंतजार में मिट्टी ।
तेरे आने का इंतजार खत्म हो
जैसे बारिश में खत्म इंतजार मिट्टी ।
तेरे लौटने का विश्वास यूँ हो, हर वर्ष जैसे
बारिशें गिरती हैं भिगोने को मिट्टी ।
तेरे लौटने पर आलम कुछ यूँ हो, जैसे
बारिशों में आनन्द को प्राप्त हो मिट्टी ।
©️®️बारिश और मिट्टी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१०.०५.२०२१
No comments:
Post a Comment