Wednesday, 11 May 2022

ख़ूबसूरती

 “ख़ूबसूरत लोग अगर अनजान हों तो अधिक ख़ूबसूरत और आकर्षक हो जाते हैं!”

😇

😍

😎


कुल मिलाकर ख़ूबसूरती एक वैचारिक fantacy के सिवा कुछ भी नहीं! यह fantacy एक व्यक्ति विशेष के जीवन भर की कल्पनाओं का समूह भर है जिसे वो किसी अनजान और ख़ूबसूरत व्यक्ति को देखकर एक पल विशेष में अनुभव कर लेता है। इन कल्पनाओं और उस देखे गए ख़ूबसूरत व्यक्ति में कोई रिश्ता नहीं होता। ये देखने वाले व्यक्ति के अंदर चल रही काल्पनिक कहानी मात्र होती है। ऐसी स्थिति में देखने वाले व्यक्ति को देखे गए व्यक्ति को लेकर कोई भी निर्णय लेने से बचना चाहिए।


ख़ूबसूरती एक मृग तृष्णा है। वास्तविकता में इसका कोई स्वरूप नहीं। सब कुछ आपके दिमाग़ के भीतर है। वहीं से आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो अगली बार आपको ख़ूबसूरती का एहसास लेना हो तो इसे दूसरों में न ढूँढे। बस अपने दिमाग़ को इस हिसाब से अभ्यस्त करिए कि वो जब चाहे स्वयं इस ख़ूबसूरती का रसास्वादन कर ले। इस तरह आपको दूसरों से मिलने वाली निराशा से भी दो-चार नहीं होना पड़ेगा।


ऊपर वाले पैराग्राफ़ को देखकर कुछ ख़ुराफ़ाती लोग कई स्तर तक के मतलब निकाल सकते हैं🤣😆 और हास-परिहास कर सकते हैं! बस इन्हीं लोगों की वजह से मेरे लिखने की सार्थकता बढ़ जाती है 😉


यह सब लिखते वक्त मैंने बहुत सारा दिमाग़ लगाया है! ये पढ़ने में अच्छा लग सकता है मगर असल में ऐसा हो ही नहीं सकता क्यूँकि दुनिया दिल से चलती है! बिना चूतियापे के कोई कहानी बन ही नहीं सकती😋 और बिना कहानी के तो क्या ही मज़ा है जीने में 😁


इसलिए इस संसार की गति बनाए रखने के लिए मूर्खों की ज़रूरत ज़्यादा है…… 


मैंने भी खूब मूर्खता की है और सफ़र अभी जारी है….


खोज अभी जारी है……..


एक नयी मूर्खता करने की !


इसमें आपका साथ मिल जाएगा तो मज़ा दो गुने से चार गुने तक होने की सम्भावना है 🙃


©️®️ख़ूबसूरती/अनुनाद/आनन्द/११.०५.२०२२



Sunday, 6 March 2022

दाँव

भरोसा हमें खुद पर बहुत था
दिल कमबख़्त बहुत मज़बूत था 
लगा दिया दाँव पर खुद ही को
और बहुत कुछ खोने को न था !

©️®️दाँव/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०६.०३.२०२२



Monday, 14 February 2022

नीलिमा जी 😍🥰😘🌹

 नीलिमा जी ……🌹


ये पंक्तियाँ ताज़ा-२ सिर्फ़ आप के लिए 💐


नोट- बाकी के प्रेमी युगल सुविधानुसार इन पंक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।


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नींद भला कैसे आए 

जब सामने तू हो !


दरिया शांत कैसे हो 

जब साहिल तू हो !


सम्भालूँ कैसे हसरतों को 

जब बग़ल में तू हो !


बहकना मेरा कब बुरा है 

जब नशा तेरा हो !


कदम तेज कैसे रखूँ

जब सफ़र में संग तू हो !


मंज़िल किसे, क्यूँ चाहिए 

जब हासिल तू हो !


फ़रवरी १४ हो या १५, क्या फर्क़

जब मोहब्बत तू हो !


……………………………………


©️®️वैलेंटाइन डे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०२.२०२२



Saturday, 12 February 2022

दिलों की दिल्ली

लोग कहते हैं कि दिल्ली जाने के नाम पर हम खुश बहुत होते हैं,

चेहरे पर मुस्कान संग हम अपने लिखने का शौक़ लेकर आयें हैं।


बहुत दिन से सोच रहे थे कि दिल में कोई ख़याल क्यूँ नहीं आता

दिलों के शहर में दिल की कहानी लिखने का बहाना ढूँढने आएँ हैं।


लखनऊ की नवाबी लेकर हम दिल्ली का दिल देखने आएँ हैं,

क़िस्से कहानियों में बूढ़ी दिल्ली को फिर से जवानी देने आएँ हैं।


कितनी कहानियाँ हर वक्त बनती हैं बस तुम्हें कोई खबर नहीं,

एक बस तुम हाँ कर दो तो एक नयी कहानी हम लिखने आए हैं।


©️®️दिलों की दिल्ली/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १२.०२.२०२२


#delhi #lucknow #story #love #anunaad #anand




Saturday, 22 January 2022

चले जाना!


तुम जाना !

तो बस,

चले जाना…..

बिना बताए

अचानक

खामोशी से 

ऐसा कि

भनक भी न मिले।


दुःख तो होगा

तुम्हारे जाने का

मगर 

वो जाने के बाद होगा

और कम होगा 

उस दुःख से

जब मुझे 

तुम्हारे जाने का

पहले से 

पता होगा!


क्यूँकि 

पहले से

पता होने पर

दुःख ज़रा पहले 

से शुरू होगा

और

इस तरह 

दुःख की अवधि

कुछ बढ़ जाएगी।


©️®️चले जाना/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.०१.२०२२


Tuesday, 18 January 2022

उथल-पुथल

इस ज़िन्दगी में उथल-पुथल कुछ ऐसी ही है,
क्या करें कि इसमें ख़ूबसूरती भी तो इसी से है ।

©️®️उथल-पुथल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२




फ़ितरत

ये एक फ़ितरत मैंने खुद पाली है या उस खुदा ने दी, 
फ़ायदा छोड़ मैंने सदा अपनी पसंद को तरजीह दी।

हुए कई घाटे मुझे, कभी मैं तो कभी ये लोग कहते हैं,
मगर जाने-अनजाने इस आदत ने मुझे ख़ुशी बहुत दी।

©️®️फ़ितरत/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२