Saturday 20 July 2019

बातें..(कही-अनकही!)

जुबाँ से कैसे बयाँ करें हम इशारों की बातें !
बहुत कम में बहुत कुछ कहना है जो मुझे .........

बहुत कुछ हमने कहा दिया तुमको!
काश तुम न कहा हुआ भी समझ पाते........

हमारी हरकतों ने बयाँ कर दी थी कहानी पूरी!
काश तुम मेरे दिल की बेचैनियां समझ पाते........

दौर था, निकल गया और अब न वापस आएगा!
काश! उस दौर की तुम कीमत समझ पाते........

ज़िन्दगी और सफलता

खाद्य ऋंखला पिरामिड सिखलाती जीवन का आधार,
छोटा या बड़ा, हर कोई यहाँ पर है एक दूजे का आहार,
यदि बढ़ना हैं ज़िंदगी में आगे और छूना ऊँचाइयों को,
पैनी नज़र, शातिर दिमाग़ और सीखना होगा करना शिकार।

जिस्म और मुहब्बत..

हम जिस्म में मुहब्बत ढूढ़ते रहे
और रूह तन्हा रह गयी ........

एहसास और शब्द!

एहसास कोमल होते हैं और शब्द निष्ठुर.......

इसीलिए प्रेम में ज़ुबान का कम और आँखों का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है।

ज़ुबान को रख ख़ामोश तू आँखों से बातें कर
प्यार के इज़हार की यही एक माक़ूल अदा होती है।

जादूगर!

जादूगर लगते हो !
जब भी साथ होते हो तो,
समय यूँ छू मंतर हो जाता है.....

आज के दौर में इश्क़...

दौर ए जमाँ बदल रहा है
हर इंसाँ बदल रहा है
कौन कितना बड़ा बहरूपिया
कम्पटीशन चल रहा है।

चोरी से की जाने वाली
चीज़ों का डिस्पले चल रहा है
अब और नया क्या करें
इस पर विचार चल रहा है।

प्रेम जैसी चीज़ का
फ़ैशन चल रहा है
और प्रेम है किधर
इस पर रिसर्च चल रहा है।

मुहब्बत पर नए तरीक़े से
जमकर प्रयोग चल रहा है
इश्क़ करने के तरीक़ों का
क़ारोबार चल रहा है।

रचाए ढेरों स्वाँग हमने
देखो रंगा पुता जिस्म चल रहा है
पैदा कर दे दिलों में लालसा
छलकता हुवा जवानी का पैमाना चल रहा है।

आज़माए हर तरीक़े पर
न कोई संतोष मिल रहा है
पाने को प्रेम इस जहाँ में
हर इंसाँ नंगा चल रहा है।

दुनियादारी और तुम !

तुम मिलो तो कुछ और बातें किया करो,
दुनियादारी तो हम औरों से भी कर लिया करते हैं .....