Tuesday 4 January 2022

चौराहा और ढलती शाम!

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

शाम ढल गयी 
तुम अभी आए नहीं…
दिल घबराए कि
तुम आओगे या नहीं !

उम्मीद ये है कि 
तुम अगर आए कभी…
चौराहे पर हूँ ताकता खड़ा कि
यहाँ से तो गुज़रोगे ही !

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

©️®️चौराहा और ढलती शाम/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०४.०१.२०२२

Saturday 1 January 2022

नव वर्ष २०२२

नव वर्ष में कोरोना के वेरीयंट जितनी शुभकामनाएँ😆🙏

१. आप भी कोरोना से सीखें और अपने में नित नए बदलाव करते रहें । 

२. दुनिया को आपके अनुसार जीना पड़े न कि आप दुनिया के हिसाब से ।

३. आपके दुश्मन आपसे लड़ने के तरीक़े ढूँढते रहे मगर अन्त में उन्हें आपके साथ ही जीना पड़े।

४. सदैव सुर्ख़ियों में बने रहें और खूब नाम कमाएँ। 

५. हमेशा आपके अति आधुनिक संस्करण से मेरी मुलाक़ात हो। 

६. आपसे मिलकर मैं सदा प्रेरित होता रहूँ और आपकी तरह आगे बढ़ने की कोशिश करता रहूँ।

७. आपकी ख्याति कोरोना के संक्रमण से भी तेज फैले।

८. परिस्थितियों के अनुसार रहें और नित नयी मज़बूती लेकर और उभर कर सामने आएँ।

९. कोरोना की तरह आपका सिक्का पूरी दुनिया में चले ।

१०. आपके प्रयासों से विश्व के सभी देशों को एक प्लेटफार्म पर आना पड़े। 

अन्त में यही कहूँगा कि आपकी छवि अंतर्राष्ट्रीय हो।

जिस तरह आप २०२१ सर्वाइव कर गए, 
उसी तरह २०२२ भी सर्वाइव कर जाएँ……..

कोरोना का कोई भी वेरीयंट आएँ, 
वो आपका बाल भी बाँका न कर पाए……..

ईश्वर करे कोरोना का सबसे आधुनिक वेरीयंट भी 
बस आपके शब्दकोश में इज़ाफ़ा ही कर पाए ! 

बस उस ईश्वर से यही कामना है मेरे दोस्त कि
हम दोनो एक-दूजे को २०२३ भी विश कर पाएँ।

आपके लिए इससे अच्छी दुवा मैं और नहीं माँग सकता, मगर आपका लालच न ख़त्म हो रहा तो रज़ाई के अंदर से हाथ निकाल कर आप भी अपने ईश्वर से माँग सकते हैं। 😎

इन्हीं सब बातों के साथ आपको नूतन वर्ष की शुभकामनाएँ 💐। ईश्वर आपको और अधिक इम्यून करे और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करें । आप सदा मेरे साथ अनुनादित रहें।

आपका मित्र- 
आनन्द कुमार कनौजिया (अनुनाद वाले)
दिनाँक- ०१.०१.२०२२ (एक और एक बाईस)

©️®️नव वर्ष/अनुनादित आनन्द/०१.०१.२०२२

Friday 31 December 2021

जाड़े की बारिश

जाड़े की पहली बारिश हो 
तस्वीर में दिख रही छत हो
मैं शांत अकेले कुर्सी पर बैठा हूँ
टीन शेड पर रिमझिम की धुन हो।

सुन्दर मुग्ध ख्यालों में मन खोया हो
प्रकृति सौन्दर्य चहुँ ओर बरसता हो 
करने को रस-पान इस अद्भुत रस का
कम पड़ता इन नयनों का बर्तन हो।

नाश्ते को तू रसोई से चीखती हो
मैं बना रहूँ अंजान तुझे छेड़ने को
सुनकर तेरे पायल की खन-खन मुझको
तेरे छत पर आने का पूर्वाभास हो।

छत पर तेरे कोमल पैरों की मधुर थाप हो
हाथों में चाय और चेहरे पर गुस्सा बेशुमार हो 
पकड़ लूँ हाथ, तू पैर से मेरे पैर का अंगूठा दबा दे
इस खींच तान में उभरती तेरे चेहरे पर मुस्कान हो।

हार कर तू समर्पण कर दे और मुझे देखती हो 
आँखों में उठ रहे ख्यालो को मेरे जैसे तू पढ़ती हो 
रखने को मेरा मन तुमसे अच्छा और कौन समझेगा
खींच ली बगल में दूसरी कुर्सी तू संग मेरे बैठती हो।

क्या ब्लूटूथ क्या वाई-फाई चाहे कोई और कनेक्शन हो
दिल की बात कहने-समझने को बस आंखों में आँखे हो
कोई बुद्धिजीवी इन मृदु भावों की गति क्या ही मापेगा 
जहाँ सिर्फ हाथों को छू भर लेने से सारा डाटा ट्रांसफर हो।

©️®️जाड़े की बारिश/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२८.१२.२०२१

Tuesday 28 December 2021

उनींदी आँखे

नींद यूँ ही नहीं टूटती अक्सर रातों में,
किसी को खो देने से डरती ज़रूर होगी ।

आँखे यूँ ही बेवजह नहीं खुलती रात में
किसी को देखने की तड़प ज़रूर होगी।

बेचैनियों से भरा समुन्दर है इस दिल में, 
सन्नाटे में लहरों की आवाज़ गूँजती होगी।

थकान बहुत है नींद में जाने को काफ़ी है,
दुनिया का ख़ौफ़ नहीं तन्हाई काटती होगी।

ग़ज़ब की लड़ाई है दिल और दिमाग़ में,
सोचना तो ठीक कर गुजरना बुराई होगी।

ये ग़ुस्सा तुम पर ही क्यूँ बहुत आता है, नासमझ! 
ये एक बात तुमको कितने दफे समझाई होगी।

ये जो आज मिज़ाज बदले-बदले हैं जनाब के,
ज़रूर अब से सुधार जाने की क़सम खाई होगी।

नींद यूँ ही नहीं टूटती अक्सर रातों में,
ज़रूर कुछ रातें तेरे संग प्यार में बिताई होगी।

आँखे यूँ ही बेवजह नहीं खुलती रात में
फिर से देखने को तुझे तेरी याद आई होगी।

नींद यूँ ही नहीं टूटती अक्सर रातों में…….
आँखे यूँ ही बेवजह नहीं खुलती रात में…..
नींद और आँखो की है आपस में लड़ाई,
ये लड़ाई भी ज़रूर तूने कराई होगी…….!

©️®️उनींदी आँखे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२८.१२.२०२१

Wednesday 22 December 2021

बचत

आज तक मेरे जितने भी शुभचिन्तक मुझे मिले उन्होंने मुझे बचत करने की सलाह दी। बोले बचत किया करो, जमीन लो, घर लो, भविष्य के लिए जमा करो, बुढ़ापा संवारो आदि-आदि....! मुझे भी बात अच्छी लगती कि लोग मेरे बारे में कितना सोचते हैं और मेरे भले की बात करते हैं। मैं भी बात गाँठ बाँध लेता कि किसी दिन फुर्सत से बैठूंगा और बचत की प्लानिंग करूँगा लेकिन करता कभी नहीं। 

एक दिन सुबह-सुबह पूरी हिम्मत जुटाकर मैं डायरी लेकर बैठ गया हिसाब करने। पूरे जोश में घर में ऐलान कर दिए कि आज से बचत की जाएगी और सारा हिसाब नए सिरे से होगा। ये ऐलान सिर्फ बीवी को इम्प्रेस करने के लिए किया गया लेकिन उसने भाव शून्य चेहरे से मेरी तरफ देखा और मुंह फेर कर अपने काम में लग गयी। जैसे ये बात उसके लिए कोई मायने नहीं रखती या ये बात मैं बोल रहा था तो इसलिए इसे ऐसा ही रिस्पांस मिलना था। खैर........ मैंने आज ठान लिया था !

कुछ देर की मशक्कत के बाद सारा हिसाब जोड़ने के बाद मैंने देर तक उस हिसाब को देखा। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कौन सा खर्चा कम करूँ। मुझे ज़िन्दगी जीने की तमीज नहीं या फिर मेरी गणित कमजोर है। बीवी जी हमेशा कहती हैं कि मैं पैसे लुटाता हूँ तो हार कर बीवी को ही बुला लिया कि वही कुछ हिसाब-किताब देख ले। बीवी ने सिरे से आने से मना कर दिया कि मुझे समय नहीं है इन फालतू कामों के लिए। मैंने मिन्नत की तो वो आयी और गौर से पूरे हिसाब को देखने के बाद मुँह बनाते हुए बोली कि फालतू के तुम और फालतू का तुम्हारा हिसाब ! मुझसे कोई मतलब नहीं। और हाँ नौकरों को हटाने की सोचना मत। मैं जा रही हूँ बच्चों को तैयार करने ! तुम्हें तो कोई काम धंधा है नहीं कि मेरी ही कोई मदद कर दो। सामान्यतः मैं ऐसी लानतों के बाद उसकी मदद कर देता हूँ मगर मैंने आज बचत करने की जो ठान ली थी  ...... मैं अपनी जगह से टस से मस नहीं हुवा। 

कुछ देर बाद ऑफिस का समय हो गया और मैं तैयार होने चल दिया। पूरा दिन दिमाग में ये उलझन बनी रही कि बचत कैसे की जाये? और अगर ये बजट सही है तो फिर बचत कैसे होगी ? क्या पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही गुजरेगी। कमाओ और खर्च करो। कमाने के नाम पर तो एक सैलरी ही है और वो जिस गति से बढ़ रही है उससे कहीं ज्यादा तेजी से मंहगाई बढ़ रही है। ऐसे ही चला तो बचत तो छोडो, खर्चा चलाना मुश्किल होने वाला है। 

पिता जी का ज्ञान था कि पैर उतने फैलाओ जितनी चादर हो। किन्तु चादर बहुत छोटी हो तो एक दिन पैर सिकोड़े-२ ऐसी हालत हो जाएगी कि पैर ही जकड़ जायेंगे और फिर पैरों के न खुलने से चलना भी मुश्किल हो जायेगा। तो.....  क्या नयी चादर लेने का समय आ गया है ? या फिर पुरानी चादर में जोड़ लगाकर इसे बढ़ाने का ? दोनों में से कुछ तो करना होगा या फिर दोनों ही करने होंगे। 

बहुत गुणा गणित करने के बाद समझ आया की बेटे आनन्द तुम्हें बचत की जरुरत ही नहीं है। तुम्हे जरुरत है तो पैसे कमाने की। वही पैसे, जिसे कमाना तुम्हे सिखाया ही नहीं गया। किसी ने नहीं सिखाया। परिवार से लेकर रिश्तेदार, दोस्तों से लेकर करीबियों तक ने ! किसी ने पैसा कमाना नहीं सिखाया। और जरुरत के समय लोग तुमसे उम्मीद करते हैं कि तुम पैसे से उनकी मदद करो। अबे पैसे होंगे तब तो मदद करोगे न ? 

अब पता चला कि  लोग मुझसे नाराज क्यों रहते हैं ? जब वो मुझसे मदद माँगते मैं उन्हें ज्ञान देता, पैसे नहीं। पिता जी को ज्ञान, भाई को ज्ञान, बहन को ज्ञान, रिश्तेदारों को ज्ञान, सबको ज्ञान। पैसे कहाँ से देता। वो तो थे ही नहीं। या फिर कहूँ कि किसी ने पैसे कभी दिए ही नहीं ! या कैसे कमाते हैं कभी बताया ही नहीं। अब सबने जिंदगी भर पढ़ना-लिखना सिखाया। खूब ज्ञान दिया। ये ज्ञान दिन दूनी रत चौगनी वृद्धि करता रहा। और अब इतना ज्यादा ज्ञान हो गया है कि कोई कैसी भी मदद माँगे उसे मुझसे बस ज्ञान मिलता है। हद तो ये है कि मैं पिता को भी मदद के रूप में बस ज्ञान ही देता हूँ। 

मसला ये है कि किसी ने आपके भले की नहीं सोची। माता-पिता ने अपने संरक्षण में रखा और खूब ज्ञान और प्यार दिया। लेकिन अपनी ममता में वो कहीं भूल गए कि इस दुनिया में उनके बाद बच्चे का साथ अगर कोई देगा तो वो है ज्ञान, उनकी वसीयत और पैसा कैसे बनाते हैं इसका तरीका। बच्चे से ज्ञान लेना किसी माँ-बाप को नहीं पसन्द! और अगर हम दे-दें तो पलट कर जवाब आएगा कि बेटे हमारा बाप बनने की कोशिश न करो! माँ-बाप के अलावा और कितने आपकी तरक्की चाहते हैं ये आप बेहतर जानते हैं। 

तो कुल मिलाकर यही कहना है कि बचत करने का ज्ञान देने वाले आपके शुभ-चिंतक नहीं है बल्कि वो खुद अज्ञानी हैं और उन्हें दुनिया की जानकारी ही नहीं है। वे खुद अपना जीवन जैसे-तैसे काट रहे है। उन पर तरस खाएँ और ध्यान न दें। जब पैसे आएँगे तब बचत भी हो जाएगी। आपको केवल कमाने पर ध्यान देना चाहिए। बाकी बचत कराने की योजना लिए कई सेल्स मैन, कम्पनियाँ और रिश्तेदार घूम रहे हैं बाजार में !

तो अगर आपको अपने बुढ़ापे में अपने बच्चे से प्यार के अलावा मदद के रूप में पैसे की इच्छा हो तो उसे पैसा कमाना जरूर सिखाएं और हाँ पहले खुद पैसे कमाना जरूर सीख लें। 


अगर आप कोई विशेषज्ञ राय रखते हो तो कमेंट में जरूर बताएँ।  अच्छा लगेगा......... 


और हाँ 


बचत करने का ज्ञान मुझे बिलकुल न दें 😎


हाँ..... पैसे कमाने को कोई तरीका हो तो जरूर बताएँ ! ईमानदारी के..... ईमानदारी से ! 


©️®️बचत/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.१२.२०२१



Saturday 4 December 2021

सवेरा

सुबह तो हो गयी है !
पर वाक़ई में?
उठ तो गये हो !
पर जागृत हो?
याद तो करते हो !
मन से न ?
मुस्कुराते तो खूब हो !
दिल से न ?

शुभ सुप्रभात 😊

अनुनादित रहें!
आनंदित रहें!

©️®️शुभ प्रभात/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०३.१२.२०२१

जीवन के खेल में!

एक-२ पल को जीना ऐसे 
जैसे हो एक खिलाड़ी तुम।
जो कुछ भी तुम करना देखो 
खुद पर अपनी नज़र रखना॥

दुनिया की भीड़ में देखो 
तुम खुद को खो मत देना।
कुछ पल को ही सही तुम 
साथ अपने ज़रूर बैठना॥

कभी जो तुम थोड़ा सा 
समझने में कमजोर पड़ना।
इर्द-गिर्द तुम अपने सदा 
कुछ मित्र समझदार रखना॥

©️®️ज़िन्दगी के खेल में/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०४.१२.२०२१

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