Saturday 14 September 2019

हिन्दी...

हिन्दी दिवस पर क्या लिखूँ
हिन्दी में ही तो लिखता हूँ
हिन्दी को मनाऊँ कैसे
मैं हिन्दी से परे कब हूँ।

हिन्दी उच्चारण
हिन्दी आचरण
हिन्दी से हो
सभी दर्द निवारण।

हिन्दी में करते बात
मेरे ये दो नयन
प्रेम हो विरह हो
चाहे हो तुमसे मिलन।

हँसना-रोना
रूठना - मानना
ख़ुशी या फिर ग़ुस्सा होना
है तो सब हिन्दी ही।

तेरा रूप सुनहरा हिन्दी
तेरी आँखें काली हिन्दी
माथे पर वो बिंदी हिन्दी
उलझे हुए बालों में हिन्दी।

तुझको लिखी चिट्ठी हिन्दी
न मिला जो जवाब हिन्दी
तुम भूल गए तो हिन्दी
मुझे याद आए तो हिन्दी।

मुझमें हिन्दी
मुझसे हिन्दी
मैं जिससे निर्मित
वो है हिन्दी।

मेरे लिए तो
सभी दिवस है हिन्दी।

2 comments:

  1. सच्च कहा मेरे लिए तो सब दिवस हिन्दी! और नये नये सम्बंधो को विचारों में जोड़ती,"हिन्दी "

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