सोचता हूँ तुम्हारे सवालों का क्या जवाब दूं ?
बेबुनियाद बातों को मैं क्यों बुनियाद दूं।
तहज़ीब के शहर से हूँ मैं
तहज़ीब ख़ूब रखता हूँ,
और अगर ज़्यादा दुष्टयी आयी तुमको,
तो मैं कान के नीचे भी ख़ूब रखता हूँ ।
मैं दुनिया से नही डरता बिलकुल,
केवल अपने ग़ुस्से से डरता हूँ ।
अपनों के सिलों से घायल हुवा हूँ,
न छेड़ मुझे, मैं बड़ी ज़ोर से काटता हूँ ।
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