सुबह के आइने में तुमने माथे की बिंदी खिसकी पाई,
बिंदी को ठीक करने में तुम खुद से शरमाते हुई मुस्कुराई।
पूर्णता के एहसास के संग आंखों में खूबसूरत चमक थी,
सुंदर तेरे चेहरे पर आज पहले से भी अधिक दमक थी।
व्यक्त करने को इन अनुभवों को अभी शब्दों की उत्पत्ति बाकी थी।
रात की कहानी बयाँ करने को तेरी शर्मीली मुस्कान ही काफी थी।
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