मेहनत का फल- टमाटर
बालकनी में की गई बागवानी का पहला टमाटर। इसके पहले बैंगन, नींबू, मिर्च, पालक, धनिया, मेथी और स्ट्राबेरी का रसास्वादन किया जा चुका है। ये स्ट्राबेरी का नाम सुनकर अधिकतर भारतीय पुरुषों के चेहरे पर कुछ शैतानी वाली मुस्कान आ जाती है.....खैर!
रोज शाम को घर लौटने के बाद चाय-नाश्ता करके कुछ देर इस तरह बालकनी में अपनी मेहनत से तैयार बगीचे में बैठकर एक सुरूर सा चढ़ता है, बिलकुल अपनी पसंद की व्हिस्की के पहले पेग जैसा! चेहरे पर न चाहते हुए एक महीन सी मुस्कान आ जाती है।
ये पोस्ट बालकनी से ही हो रहा है। टमाटर देखकर दिल आह्लादित है। टमाटर बहुत पसंद है। खाने का ज्यादा शौक नहीं मगर देखना पसन्द है। बस देखते जाना..... इतना तो मैंने तुम्हारे चेहरे को गौर से नहीं देखा होगा! देखो..... बुरा मत मानो मगर जो सच है सो है। तुमको इस तरह घूरता तो स्थिति असहज हो जाती। सामाजिक प्राणी हूँ तो लाज़मी है डर भी लगता है।
वैसे बैठने के लिए उचित समय है और माहौल भी मगर क्या बताएँ..... साथ के सारे लौंडे जो पहले घोड़ा हुआ करते थे अब गधे हो गए हैं, मेरी तरह! तो साथ की उम्मीद भी जाती रही।
नोट- स्त्रियों की खूबसूरती की व्याख्या के लिए उनकी तुलना फूलों की बजाय सब्जियों से करनी चाहिए थी...... थोड़ी सार्थकता और बढ़ जाती!
क्यूँ क्या ख्याल है? देखो यार तुम फिर बुरा मत मान जाना! लो फिर फुला लिये गाल..... बिल्कुल टमाटर जैसे! अब कैसे बताएँ कि हमें टमाटर को निहारना बहुत पसंद है.........😉🤗
हा हा..!😂
#बागवानी
#टमाटर
#इश्क
अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२३.१२.२०२०
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