आज कल बागवानी का शौक चढ़ा है! एक आदमी के ज्यादा शौक नहीं होते। पद, शोहरत, पैसा और इश्क.... ! पूरा बचपन और जवानी इन्हीं चार चीजों के पीछे भागता है और पाने की कोशिश करता है। हमने भी की। सब कुछ तो मिला मगर शोहरत मिलना बाकी है। इतनी शोहरत चाहिए कि बाहर निकलूँ तो हर वक़्त लोगों से बच के निकलना पड़े। ऐसे शोहरत के बाद जब भी आपको सुकून के दो पल मिलेंगे उसकी कीमत क्या ही आँकी जाए। उन्हीं सुकून के पलों में हम बागवानी करेंगें। उसके लिए तो बागवानी सीखनी पड़ेगी...! तो बस उसी की तैयारी चल रही है......
निजी जीवन में खुद को प्रकृति के नजदीक ले जाना है और बस देते रहना ही सीखना है..... बाँटना है.... सब कुछ .... सब में ..... उसके पहले खूब बटोरना भी है 😜😆
मुन्नू (सिंह नर्सरी वाले) भैया को धन्यवाद🙏
अनुनाद/माली आनन्द/२०.१२.२०२०
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