शहर अभी भी ज़िंदा है,
कुछ मुझमें कुछ तुझमें!
समय पुराना रुका हुआ है,
कुछ मुझमे कुछ तुझमें!
सब कुछ पहले जैसा है,
कुछ मुझमें कुछ तुझमें!
नज़र अभी वही है देखो,
कुछ मुझमें कुछ तुझमें!
बिछड़े थे तो दोनों का कुछ हिस्सा
इक-दूजे में छूट गया था,
पाने को उसको चाह बची है,
कुछ मुझमें कुछ तुझमें!
उम्र कितनी बीत गयी, मिले हुए,
तेरी भी और मेरी भी !
किन्तु! उम्र अभी भी इक्कीस है,
तेरी भी और मेरी भी !
वक़्त पुराना फिर जीना है,
मुझको भी और तुझको भी!
इक मुलाकात की दरकार है बस,
मुझको भी और तुझको भी!
लिखता हूँ महसूस करता हूँ,
खुदको भी तुझको भी!
शायद इन शब्दों में तुम पढ़ लेते हो,
खुदको भी मुझको भी!
अभी बाकी है, समय जो बीत गया,
कुछ मुझमें कुछ तुझमें!
दिल की उम्र अभी जवाँ है,
पूरी मुझमें पूरी तुझमें।
©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१६ .०३ .२०२१
अत्यंत सुंदर
ReplyDeleteबहोत खूब।
ReplyDeleteअति सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब यह शिलशिला जारी रखना भाई एक दिन मेहनत रंग लायेगी
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर पंक्तियां
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