काश मैं हिमालय और जो तुम बदल हो जाओ
इस तरह से भी जाना हमारी मुलाक़ात हो जाए
ये होना मुश्किल है मगर ऐसा हो गया तो सोचो
मुलाक़ात पर क्या ग़ज़ब प्रेम की बारिश हो जाए।
©️®️प्रेम की बारिश/अनुनाद/आनन्द/३०.०५.२०२२
काश मैं हिमालय और जो तुम बदल हो जाओ
इस तरह से भी जाना हमारी मुलाक़ात हो जाए
ये होना मुश्किल है मगर ऐसा हो गया तो सोचो
मुलाक़ात पर क्या ग़ज़ब प्रेम की बारिश हो जाए।
©️®️प्रेम की बारिश/अनुनाद/आनन्द/३०.०५.२०२२
हमें तो बस ये ग़म है कि हमारी उम्र बढ़ती जा रही है।
कच्ची उम्र के थे तो जवान ख़्वाहिशों की लड़ियाँ बड़ी थी,
और तो अब यूँ है कि बस जिम्मेदारियाँ बढ़ती जा रही हैं।
तजुर्बा कम था हमें, इश्क़ के तरीक़ों से अनजान बड़े थे,
जानकार हुए जबसे बस खुद पर ग़ुस्सा निकाले जा रहे हैं।
ज़ख्मों को कुरेद दिया उन्होंने कहकर कि तुम सीधे बहुत थे,
कितने शानदार मौक़े गँवाने का अफ़सोस किए जा रहे हैं ।
भूल जाने की आदत बुरी है शक्लें याद नहीं रहती हमको,
रोज़ नयी शक्ल गढ़कर तुझसे रोज़ नया इश्क़ किए जा रहे हैं।
अपना लिखा भी याद नहीं और वो सुनाने की फ़रमाइशें करते हैं,
रोज़ नयी इबारत लिख कर हम उनकी इबादत किए जा रहे हैं ।
दिल को शांत रखने को एक अदद मुलाक़ात ज़रूरी बड़ी थी,
वरना बेचैन दिल से हम मासूम शब्दों को परेशान किए जा रहे हैं।
लोग कह रहे कि मेरी लेखनी की धार बढ़ती जा रही है,
हमें तो बस ये ग़म है कि हमारी उम्र बढ़ती जा रही है।
©️®️लेखनी/अनुनाद/आनन्द/२७.०५.२०२२
कौन समझ सका गति उस जीवन नैया के खिवैया की,
कुछ विशेष स्नेहिल कृपा रही है हम पर गंगा मैया की,
जब भी नये सपने देखे और कोशिश की उन्हें पाने की,
सर पर आँचल की छाँव थी और थी गोद गंगा मैया की।
©️®️माँ गंगा और मैं/अनुनाद/आनन्द/१४.०५.२०२२
“ख़ूबसूरत लोग अगर अनजान हों तो अधिक ख़ूबसूरत और आकर्षक हो जाते हैं!”
😇
😍
😎
कुल मिलाकर ख़ूबसूरती एक वैचारिक fantacy के सिवा कुछ भी नहीं! यह fantacy एक व्यक्ति विशेष के जीवन भर की कल्पनाओं का समूह भर है जिसे वो किसी अनजान और ख़ूबसूरत व्यक्ति को देखकर एक पल विशेष में अनुभव कर लेता है। इन कल्पनाओं और उस देखे गए ख़ूबसूरत व्यक्ति में कोई रिश्ता नहीं होता। ये देखने वाले व्यक्ति के अंदर चल रही काल्पनिक कहानी मात्र होती है। ऐसी स्थिति में देखने वाले व्यक्ति को देखे गए व्यक्ति को लेकर कोई भी निर्णय लेने से बचना चाहिए।
ख़ूबसूरती एक मृग तृष्णा है। वास्तविकता में इसका कोई स्वरूप नहीं। सब कुछ आपके दिमाग़ के भीतर है। वहीं से आप इसे महसूस कर सकते हैं। तो अगली बार आपको ख़ूबसूरती का एहसास लेना हो तो इसे दूसरों में न ढूँढे। बस अपने दिमाग़ को इस हिसाब से अभ्यस्त करिए कि वो जब चाहे स्वयं इस ख़ूबसूरती का रसास्वादन कर ले। इस तरह आपको दूसरों से मिलने वाली निराशा से भी दो-चार नहीं होना पड़ेगा।
ऊपर वाले पैराग्राफ़ को देखकर कुछ ख़ुराफ़ाती लोग कई स्तर तक के मतलब निकाल सकते हैं🤣😆 और हास-परिहास कर सकते हैं! बस इन्हीं लोगों की वजह से मेरे लिखने की सार्थकता बढ़ जाती है 😉
यह सब लिखते वक्त मैंने बहुत सारा दिमाग़ लगाया है! ये पढ़ने में अच्छा लग सकता है मगर असल में ऐसा हो ही नहीं सकता क्यूँकि दुनिया दिल से चलती है! बिना चूतियापे के कोई कहानी बन ही नहीं सकती😋 और बिना कहानी के तो क्या ही मज़ा है जीने में 😁
इसलिए इस संसार की गति बनाए रखने के लिए मूर्खों की ज़रूरत ज़्यादा है……
मैंने भी खूब मूर्खता की है और सफ़र अभी जारी है….
खोज अभी जारी है……..
एक नयी मूर्खता करने की !
इसमें आपका साथ मिल जाएगा तो मज़ा दो गुने से चार गुने तक होने की सम्भावना है 🙃
©️®️ख़ूबसूरती/अनुनाद/आनन्द/११.०५.२०२२