Saturday 14 May 2022

गँगा माँ

कौन समझ सका गति उस जीवन नैया के खिवैया की,

कुछ विशेष स्नेहिल कृपा रही है हम पर गंगा मैया की,

जब भी नये सपने देखे और कोशिश की उन्हें पाने की,

सर पर आँचल की छाँव थी और थी गोद गंगा मैया की।


©️®️माँ गंगा और मैं/अनुनाद/आनन्द/१४.०५.२०२२



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