और क्या चाहिए तुमसे करने को बात ,
दिल में तेरी याद और एक तनहा रात ।
हवा भी सरसराए तो मुझमें खिल उठते जज़्बात,
बग़ल तेरे होने के एहसास से मुकम्मल होती रात ।
इक भीड़ सी है मुझमें जो न रहने दे मुझे शान्त ,
यादों के कारवाँ संग मैं बेहद अकेला इस रात ।
ज़िन्दगी के सफ़र में तुम कहीं मैं कहीं, न होती बात,
सिर्फ़ यादों को साथ लेकर बोलो कैसे बीते रात ।
और क्या चाहिए तुमसे करने को बात ,
दिल में तेरी याद और एक तनहा रात ।
©️®️रात/अनुनाद/आनन्द/११.०६.२०२२
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