Friday, 18 November 2022

मुश्किल

बड़ा मुश्किल है इस दौर में 

जहाँ हो, वहीं पर रहना...

एक वयस्क होकर भीड़ में

बच्चों सा दिल रखना।


बड़ा मुश्किल है राजनीति में 

किसी से भी याराना...

जीतने की दौड़ में भला

कहाँ मुमकिन है साथ चल पाना।


बड़ा मुश्किल है संग तेरे मेरा

खुद को बहकने से बचाना...

दूर होकर भी तुझसे मेरा 

खुद को तनहा रखना।


बड़ा मुश्किल है इच्छाओं को

गलत सही के  चक्कर में दबाना...

जलराशि खतरे से ज्यादा हो तो

लाजमी है बाँध का ढह जाना।


बड़ा मुश्किल है सच्चे दिल से 

किसी सच को छुपाना...

चेहरा झूठ बोल भी दे तो 

आँखों से नही हो पाता निभाना।


बड़ा मुश्किल है लोगों से 

ये रिश्ता देर तक छिपाना...

दिल जलों के मोहल्ले में 

मुश्किल है आँखें चुराना।


मैं जो दिल की बात कर दूँ

तो नाराज न हो जाना...

ये तो हक़ है तेरा बोलो 

तुमसे क्या ही छुपाना।


बड़ा मुश्किल है तुझको 

छोड़कर मुझे जाना...

उसके लिए जरूरी है 

हाथों में हाथों का होना।


बड़ा मुश्किल है आनन्द 

अनुनाद में रह पाना...

दुनियादारी निभाने में 

दिल-दिमाग का एक हो पाना।


©®मुश्किल/अनुनाद/आनन्द/१८.११.२०२२



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