Sunday, 31 December 2023

बदला कुछ नहीं

गुजरता यहाँ कुछ भी नहीं 

होता नया कुछ भी नहीं 

नज़रें मिली थी तुझसे बिछड़ते वक़्त 

मैं आज भी हूँ ठहरा वहीं !


चल तो दिये थे पहुँचे कहीं नहीं 

रास्ता लम्बा ये तुझ तक जाता नहीं 

मंज़िल की खोज मैं क्यों करता भला 

जब सफ़र में तू हमसफ़र नहीं !


उम्र बीती पर बीता कुछ नहीं 

आगे बढ़े पर बढ़ा कुछ भी नहीं 

२३ से २४ हुवा पर पूछों बदला क्या 

यादें धुँधली हुईं भूला कुछ नहीं!


©️®️बदला कुछ नहीं/अनुनाद/आनन्द/३१.१२.२०२३



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