यूँ भी क्यूँ इतना शर्म कीजिए,
इस ओर भी इक नज़र कीजिए …
परेशानी अपनी कुछ यूँ कम कीजिए,
कोई काम हो तो हमारा नाम लीजिए …
दिलों के सौदागर से एक सौदा कीजिए,
दिल की एक कहानी हमारे सुपुर्द कीजिए …
शोख़ इस चेहरे से क़िस्से हज़ार कीजिए,
बस इन क़िस्सों में नाम हमारा कीजिए …
स्याही ये लिखने की न यूँ जाया कीजिए,
सूखने से पहले कोई तो इशारा कीजिए …
मौक़ा निकाल कर लखनऊ घूम लीजिए,
कई पार्क हैं किसी में हमसे मिल लीजिए …
नवाबों के शहर में हैं बस इतना कीजिए,
देख कर हमारी ओर बस मुस्कुरा दीजिए …
©️®️मुस्कुरा दीजिए/अनुनाद/आनन्द/१७.१२.२०२३
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