Tuesday, 15 June 2021

ज़िद...

काश….. बच्चों सी ज़िद मैं कर पाता
तुझको जाता देखता तो लिपट जाता!

©️®️ज़िद/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१५.०६.२०२१

आसमान...

इश्क़ में तेरे, मैं आसमान हो जाऊँ।
तू कहीं भी रहे, तुझे देख तो पाऊँ।।

©️®️आसमान/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१५.०६.२०२१

Monday, 14 June 2021

झीसे...

बारिश के झीसे में जैसे
ये पेड़ भीग रहा है......
बिल्कुल वैसे ही 
तेरी यादों के फुहारों में 
मैं भी भीग रहा हूँ....
वर्षों से!

ये बारिश तो रुक जाएगी
मगर....
तेरी यादों की बारिश, 
थमने का नाम नहीं लेती।

©️®️झीसे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०६.२०२१


Thursday, 10 June 2021

मिट्टी, बारिश और इश्क....

तेरे प्यार में यूँ भीग जाऊँ
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।

महसूस तुझे मैं करता हूँ
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।

मिलो तो अब ऐसे, जैसे
बारिश की बूंद से मिट्टी ।

दो रंग मिलकर एक रंग हों
जैसे बारिशों में ये मिट्टी ।

प्यार का एहसास साथ रह जाए
जैसे बारिश के बाद गीली मिट्टी ।

तुम्हारे जाने की तड़प ऐसी हो
जैसे बारिश के बाद सूखी मिट्टी ।

तेरे आने का इंतजार यूँ हो
जैसे बारिश के इंतजार में मिट्टी ।

तेरे आने का इंतजार खत्म हो 
जैसे बारिश में खत्म इंतजार मिट्टी ।

तेरे लौटने का विश्वास यूँ हो, हर वर्ष जैसे 
बारिशें गिरती हैं भिगोने को मिट्टी ।

तेरे लौटने पर आलम कुछ यूँ हो, जैसे 
बारिशों में आनन्द को प्राप्त हो मिट्टी ।

©️®️बारिश और मिट्टी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१०.०५.२०२१

Wednesday, 9 June 2021

अनजान!

चलो आज फिर हम इक-दूजे से बिल्कुल अनजान हो जाएँ,
तुझसे आगे कहीं मिलूँ तो पहली मुलाकात वाला एहसास हो जाए।
©️®️अनजान/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०९.०६.२०२१

Tuesday, 1 June 2021

बचपना.....☺️

ऐ उम्र मुझे इतना भी बड़ा न बनाना कि
अपनों के सामने आऊँ और झुक न पाऊँ।
मुझे रहने देना वही छोटा सा बच्चा कि 
माँ की गोद में सर रखूँ और सो जाऊँ।।

©️®️बचपना/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३१.०५.२०२१

Sunday, 30 May 2021

सब गरीब हैं!

व्यक्ति की परिस्थिति कितनी ही क्यूँ न बदल जाए उसकी सोच (मानसिक ग़रीबी) वही पुरानी ही रहती है।🤔

गरीब आदमी भी पैसा कमाना चाहता है और अमीर आदमी भी। बस गरीब ज़रूरतों को पूरा करने के लिए और अमीर बढ़ी हुयी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए। दोनों की एक ही सोच- पैसा कमाना और अधिक कमाना! बस !🧐

मतलब ग़रीबी कभी नहीं जाती चाहे व्यक्ति कितना अमीर हो जाए! मैंने कम साधनों से सम्पन्नता तक का सफ़र तय किया है और सच बताऊँ तो ग़रीबी क़भी गई ही नहीं।🧐 मैं आज भी और अधिक पैसा कमाने की कोशिश में रहता हूँ। हाल फ़िलहाल सबकी यही हालत है।🥸

असली अमीर तो वो है जिसको फिर कमाने के लिए सोचने की ज़रूरत ही न पड़े, मेहनत करना तो दूर की बात है।😜

मेरी इस गणित के हिसाब से अम्बानी/अड़ानी आज भी गरीब हैं और व्यक्तिगत रूप से हम दोनों समान और बराबरी के गरीब हैं। वो भी सम्पत्ति बढ़ाने के लिए परेशान हैं और मैं भी ! कितनी सम्पत्ति? इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता ! मैं दो-चार, दस-पचास लाख तक सीमित हूँ और वो एक-दो हज़ार करोड़। बस! 😏

सब गरीब हैं! पूरी दुनिया! कुछ अपवादों (संत आत्माओं/फ़क़ीरों) को छोड़कर! बस यहीं मेरे ख़ुश रहने की वजह है! सब एक जैसे ही हैं! कोई अंतर नहीं! एक गरीब दूसरे गरीब से क्या कॉम्पटिशन करेगा? जितना ज़्यादा धनाढ़्य मेरे सामने आता है मैं उसे उतनी ही तुच्छ नज़र से देखता हूँ 😎 हाहा 😂

लॉजिक देखिए 🤪 खुद को सांत्वना देने की !🤓

पर बात तो सही है न?

सोचिए!🧐

©️®️ग़रीबी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०५.२०२१