Tuesday, 18 January 2022

उथल-पुथल

इस ज़िन्दगी में उथल-पुथल कुछ ऐसी ही है,
क्या करें कि इसमें ख़ूबसूरती भी तो इसी से है ।

©️®️उथल-पुथल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२




फ़ितरत

ये एक फ़ितरत मैंने खुद पाली है या उस खुदा ने दी, 
फ़ायदा छोड़ मैंने सदा अपनी पसंद को तरजीह दी।

हुए कई घाटे मुझे, कभी मैं तो कभी ये लोग कहते हैं,
मगर जाने-अनजाने इस आदत ने मुझे ख़ुशी बहुत दी।

©️®️फ़ितरत/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२

Sunday, 9 January 2022

सफ़र की बारिश

जीवन के इस प्रेम सफ़र में तू
इन बूँदों सी झर-झर झरती है 
इक आग दहकती नित मुझमें
तू ठंडक सी भीतर उतरती है।

दूर नहीं है मुझसे कभी
तू मुझमें ही तो रहती है 
आदतन ये आँखे मेरी तुझे देखने को 
मन की खिड़की से अंदर झाँका करती है।

इक ठिठुरन सी मुझमें उठती है
गुनगुनाहट की चाहत उठती है 
खुद को समेट कस लूँ तुझको 
कुछ ऐसे भी गर्माहट मिलती है। 

जो भीतर है मेरे हर मौसम उससे
पूरे बरस मुझमें सावन झरती है 
लाख गुजर रही हो ये ज़िन्दगी पर
तुझ पर पुरज़ोर जवानी रहती है।

सफ़र बीत रहा मंज़िल है आने को
विचलित मन ये कोई तो हो मनाने को
मंज़िल के बाद भी सफ़र जारी है रखना
कोई मन-माफ़िक़ साथी हो ये बताने को।

जीवन के इस प्रेम सफ़र में तू
इन बूँदों सी झर-झर झरती हो
इक आग दहकती नित मुझमें
तू ठंडक सी भीतर उतरती हो।

©️®️सफ़र की बारिश/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०९.०१.२०२२

  #रेलगाड़ी #बारिश #सफ़र #अनुनाद #हमाफ़र #प्रेम




Tuesday, 4 January 2022

चौराहा और ढलती शाम!

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

शाम ढल गयी 
तुम अभी आए नहीं…
दिल घबराए कि
तुम आओगे या नहीं !

उम्मीद ये है कि 
तुम अगर आए कभी…
चौराहे पर हूँ ताकता खड़ा कि
यहाँ से तो गुज़रोगे ही !

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

©️®️चौराहा और ढलती शाम/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०४.०१.२०२२

Saturday, 1 January 2022

नव वर्ष २०२२

नव वर्ष में कोरोना के वेरीयंट जितनी शुभकामनाएँ😆🙏

१. आप भी कोरोना से सीखें और अपने में नित नए बदलाव करते रहें । 

२. दुनिया को आपके अनुसार जीना पड़े न कि आप दुनिया के हिसाब से ।

३. आपके दुश्मन आपसे लड़ने के तरीक़े ढूँढते रहे मगर अन्त में उन्हें आपके साथ ही जीना पड़े।

४. सदैव सुर्ख़ियों में बने रहें और खूब नाम कमाएँ। 

५. हमेशा आपके अति आधुनिक संस्करण से मेरी मुलाक़ात हो। 

६. आपसे मिलकर मैं सदा प्रेरित होता रहूँ और आपकी तरह आगे बढ़ने की कोशिश करता रहूँ।

७. आपकी ख्याति कोरोना के संक्रमण से भी तेज फैले।

८. परिस्थितियों के अनुसार रहें और नित नयी मज़बूती लेकर और उभर कर सामने आएँ।

९. कोरोना की तरह आपका सिक्का पूरी दुनिया में चले ।

१०. आपके प्रयासों से विश्व के सभी देशों को एक प्लेटफार्म पर आना पड़े। 

अन्त में यही कहूँगा कि आपकी छवि अंतर्राष्ट्रीय हो।

जिस तरह आप २०२१ सर्वाइव कर गए, 
उसी तरह २०२२ भी सर्वाइव कर जाएँ……..

कोरोना का कोई भी वेरीयंट आएँ, 
वो आपका बाल भी बाँका न कर पाए……..

ईश्वर करे कोरोना का सबसे आधुनिक वेरीयंट भी 
बस आपके शब्दकोश में इज़ाफ़ा ही कर पाए ! 

बस उस ईश्वर से यही कामना है मेरे दोस्त कि
हम दोनो एक-दूजे को २०२३ भी विश कर पाएँ।

आपके लिए इससे अच्छी दुवा मैं और नहीं माँग सकता, मगर आपका लालच न ख़त्म हो रहा तो रज़ाई के अंदर से हाथ निकाल कर आप भी अपने ईश्वर से माँग सकते हैं। 😎

इन्हीं सब बातों के साथ आपको नूतन वर्ष की शुभकामनाएँ 💐। ईश्वर आपको और अधिक इम्यून करे और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करें । आप सदा मेरे साथ अनुनादित रहें।

आपका मित्र- 
आनन्द कुमार कनौजिया (अनुनाद वाले)
दिनाँक- ०१.०१.२०२२ (एक और एक बाईस)

©️®️नव वर्ष/अनुनादित आनन्द/०१.०१.२०२२

Friday, 31 December 2021

जाड़े की बारिश

जाड़े की पहली बारिश हो 
तस्वीर में दिख रही छत हो
मैं शांत अकेले कुर्सी पर बैठा हूँ
टीन शेड पर रिमझिम की धुन हो।

सुन्दर मुग्ध ख्यालों में मन खोया हो
प्रकृति सौन्दर्य चहुँ ओर बरसता हो 
करने को रस-पान इस अद्भुत रस का
कम पड़ता इन नयनों का बर्तन हो।

नाश्ते को तू रसोई से चीखती हो
मैं बना रहूँ अंजान तुझे छेड़ने को
सुनकर तेरे पायल की खन-खन मुझको
तेरे छत पर आने का पूर्वाभास हो।

छत पर तेरे कोमल पैरों की मधुर थाप हो
हाथों में चाय और चेहरे पर गुस्सा बेशुमार हो 
पकड़ लूँ हाथ, तू पैर से मेरे पैर का अंगूठा दबा दे
इस खींच तान में उभरती तेरे चेहरे पर मुस्कान हो।

हार कर तू समर्पण कर दे और मुझे देखती हो 
आँखों में उठ रहे ख्यालो को मेरे जैसे तू पढ़ती हो 
रखने को मेरा मन तुमसे अच्छा और कौन समझेगा
खींच ली बगल में दूसरी कुर्सी तू संग मेरे बैठती हो।

क्या ब्लूटूथ क्या वाई-फाई चाहे कोई और कनेक्शन हो
दिल की बात कहने-समझने को बस आंखों में आँखे हो
कोई बुद्धिजीवी इन मृदु भावों की गति क्या ही मापेगा 
जहाँ सिर्फ हाथों को छू भर लेने से सारा डाटा ट्रांसफर हो।

©️®️जाड़े की बारिश/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२८.१२.२०२१

Tuesday, 28 December 2021

उनींदी आँखे

नींद यूँ ही नहीं टूटती अक्सर रातों में,
किसी को खो देने से डरती ज़रूर होगी ।

आँखे यूँ ही बेवजह नहीं खुलती रात में
किसी को देखने की तड़प ज़रूर होगी।

बेचैनियों से भरा समुन्दर है इस दिल में, 
सन्नाटे में लहरों की आवाज़ गूँजती होगी।

थकान बहुत है नींद में जाने को काफ़ी है,
दुनिया का ख़ौफ़ नहीं तन्हाई काटती होगी।

ग़ज़ब की लड़ाई है दिल और दिमाग़ में,
सोचना तो ठीक कर गुजरना बुराई होगी।

ये ग़ुस्सा तुम पर ही क्यूँ बहुत आता है, नासमझ! 
ये एक बात तुमको कितने दफे समझाई होगी।

ये जो आज मिज़ाज बदले-बदले हैं जनाब के,
ज़रूर अब से सुधार जाने की क़सम खाई होगी।

नींद यूँ ही नहीं टूटती अक्सर रातों में,
ज़रूर कुछ रातें तेरे संग प्यार में बिताई होगी।

आँखे यूँ ही बेवजह नहीं खुलती रात में
फिर से देखने को तुझे तेरी याद आई होगी।

नींद यूँ ही नहीं टूटती अक्सर रातों में…….
आँखे यूँ ही बेवजह नहीं खुलती रात में…..
नींद और आँखो की है आपस में लड़ाई,
ये लड़ाई भी ज़रूर तूने कराई होगी…….!

©️®️उनींदी आँखे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२८.१२.२०२१