Friday, 16 September 2022

अधूरी इच्छा

तुम्हारे संग 
इच्छा थी 
सब कुछ 
करने की !
मगर….
एक उम्र 
बीतने के बाद 
कोई मलाल नहीं है 
कुछ न कर पाने की 
तुम्हारे संग ।

और अब देखो 
नहीं चाहते हम 
कि हमारी
कोई भी इच्छा
जिसमें तुम हो 
वो पूरी हो !

इन अधूरी इच्छाओं
को पूरा 
करने की कोशिश में 
तुमको मैं अपने
कुछ ज़्यादा
क़रीब पाता 
और महसूस
करता हूँ।

दिमाग़ में बस
तुम होते हो
और धड़कन 
तेज होती हैं!
तुम्हारे पास
होने के एहसास
भर से मैं
स्पंदित 
हो उठता हूँ
और मन 
आनन्द के हिलोरों
पर तैरने लगता है!

इच्छाएँ पूरी 
हो जाती तो 
शायद
तुमसे इश्क़ 
इतना सजीव
न हो पाता!
इसलिए जब भी
इन इच्छाओं को
पूरा करने का मौक़ा
मिलता है तो 
दिल दुवा करता है
कि तेरे संग की
मेरी हर इच्छा
सदा रहे
अधूरी इच्छा…..!

©️®️अधूरी इच्छा/अनुनाद/आनन्द/१६.०९.२०२२



Tuesday, 23 August 2022

तुम्हारा होना

तुम्हारा मेरी जिंदगी में होना तो बस यूँ है कि अब तुम्हारे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। बिलकुल वैसे ही जैसे कलाई पर कलावा या घड़ी, गले में माला, माथे पर तिलक, रक्त-चाप की दवा, जेब में मोबाइल और ऐसी ही कई चीजें। इतनी आदत हो गयी है तुम्हारी कि तुम अब दिखते तो हो पर महसूस नहीं होते। तुम हो , अगल-बगल में ही हो, नहीं भी हो तो दिल और दिमाग में हो, मगर हो। 

तुम्हारा मेरे साथ इतना होना कि तुम्हारे न होने की कल्पना भी कर पाना मुश्किल है। तुम्हारे होने से कोई फर्क नहीं लेकिन तुम्हारे न होने से बहुत फर्क पड़ता है। कुछ अटपटा सा लगता है। जैसे कि कुछ तो मिसिंग है। जो होना चाहिए मगर है नहीं। दिन भर खोये से रहते हैं और किसी काम में मन नहीं लगता। 

तुम्हारे साथ की आदत इतनी लग चुकी है कि तुम्हें भूल सा गए हैं। तुम साथ नहीं होते हो तो कुछ कम सा तो जरूर लगता है लेकिन तुम ही साथ नहीं हो, ये दिमाग में ही नहीं आता। बस कुछ कमी महसूस होती है। जैसे हाथ घडी लगाना भूल जाना या रक्त-चाप की दवा का न लेना इत्यादि..... 

तुम अब हिस्सा हो मेरा, मेरी जिंदगी का। मेरी आदतों में हो। दैनिक दिनचर्या हो तुम। इतने पास हो कि आँखों से नहीं दिखते और शायद महसूस भी नहीं होते किन्तु न होने पर बेचैनी सी होती है। कुल मिलाकर तुम मुझमें समा गए हो। तुम्हारे बिना मैं का अब कोई अस्तित्व ही नहीं। 

अगर तुमसे बात न हो....

शिकायत भी न हो.....  

मिलने की कोशिशें न हों..... 

या फिर दुनियादारी की नज़रों में जितनी भी जरुरी हरकतें जो एक रिश्ते को निभाने के लिए हों, वो न हों..... 

तो तुम परेशान न होना !

अब कोई खुद से भी कैसे दुनियादारी करे?

क्यों ! समझ रहे न हो मुझे?

कैसे समझोगे?

तुम भी तो उसी स्थिति में हो न ! जिस स्थिति में मैं हूँ। 

मेरे होने से अब तुम्हीं भी तो कोई फर्क नहीं पड़ता होगा न 😉💖 

ⒸⓇतुम्हारा होना/अनुनाद/आनन्द/२३.०८.२०२२  







Friday, 12 August 2022

दिन कहाँ अपने

आज के दौर में 
दिन कहाँ अपने 
अपनी तो बस 
अब रात होती है।

बस व्यस्त काम में
खोए हैं सारे जज़्बात
इस सब में दिल की 
कहाँ बात होती है।

कभी गलती से ख़ाली 
जो मिल जाएँ कुछ पल 
इन ख़ाली पलों में भी बस
काम की बात होती है।

आगे बढ़ने की दौड़ में
ठहरना भूल गए हम 
मिलना-जुलना खाना-पीना 
अब कहाँ ऐसी शाम होती है।

कुछ रिश्ते थे अपने
कुछ दोस्त सुकून के
घण्टों ख़ाली संग बैठने को अब 
ऐसी बेकार कहाँ बात होती है।

आज के दौर में 
दिन कहाँ अपने 
अपनी तो बस 
अब रात होती है।

©️®️दिन कहाँ अपने/अनुनाद/आनन्द/१२.०८.२०२२


Thursday, 21 July 2022

ऐसा तो कभी हुवा ही नहीं...

ऐसा तो कभी हुवा ही नहीं 
लोग मिलने आए और हमने उन्हें देखा ही नहीं 
तुम जो आए किस तरह सामने 
महसूस किया हमने मगर नज़रें उठी ही नहीं!

दिल ने चाहा कि देख लें 
कोशिश भी की मगर खुद पर ज़ोर चला ही नहीं!
गलती से जो नज़र टकरा गई 
दिल की धड़कनों फिर पर चला कोई ज़ोर नहीं!

तुम्हारी वो मद्धम सी मुस्कान
मेरी चोर नज़रों से फिर तो रहा गया ही नहीं!
भरपूर तुम्हें देख लेने की चाहत
क्या बताऊँ ऐसी कोई चाहत पहले कभी हुई ही नहीं।

बेक़ाबू उस पल में हमने 
तुम्हें रोकने के बहाने ढूँढे पर कुछ मिला ही नहीं 
पल भर में इतना कुछ घट गया 
दिल को सम्भालूँ या दिमाग़ कुछ सूझा ही नहीं!

देखो तुम संभालो अपना आकर्षण
लोगों को इतने अधिक गुरुत्वाकर्षण की आदत नहीं!
लड़खड़ाना बहुत मुमकिन है उसका 
इतने सधे कदमों से चलना किसी ने सीखा नहीं!

गुस्ताखी जो कोई कर दे 
उसे माफ़ कर देना और तुम कुछ कहना नहीं!
तुम और तुम्हारा चुम्बकीय प्रभाव 
इस प्रभाव से बचने का किसी के पास तरीका नहीं!

तुम तो चले गए मगर 
शेष जो छोड़ गए वो असर कम होता ही नहीं!
तूफ़ान तो थम गया मगर 
जो बिखरा वो समेटने से भी सिमटता नहीं!

ऐसा तो कभी हुवा ही नहीं 
लोग मिलने आए और हमने उन्हें देखा ही नहीं 
तुम जो आए किस तरह सामने 
महसूस किया हमने मगर नज़रें उठी ही नहीं!

©®ऐसा तो कभी/अनुनाद/आनन्द/२१.०७.२०२२

Sunday, 3 July 2022

पैसा

लोग कहते हैं

कि

पैसा चलता है…

मगर

सच तो ये है

कि

लोग चलते हैं…

पैसा लेकर !


पैसा लेकर

मस्तिष्क में,

चेहरे पर,

व्यवहार में,

और 

अन्त में 

जेब में।

©️®️पैसा/अनुनाद/आनन्द/०३.०७.२०२२



काशी

कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो 

कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !

मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन 

सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।


बीएचयू कैम्पस, लिंबड़ी कॉर्नर और अस्सी

समय बीता मेरा वीटी और सेंट्रल लाइब्रेरी, 

सी वी रमन, मोर्वी और लिंबड़ी ख़ूबसूरत

पर खाना ग़ज़ब जहाँ वो धनराज गिरी।


वो मशीन लैब वो ढेर सारे प्रैक्टिकल

हाई वोल्ट सर्किट के बीच मज़ाक़ के पल 

पढ़ने लिखने का मज़ा था या दोस्तों के संग का 

सब भूल गए पर भुला पाते नहीं वो पल!


नशा काशी का था या गोदौलिया की ठंडाई का 

ठंड दिल को जो मिली वो गंगा पार की रेत का

गंगा आरती के अनुनाद से जो उपजा मुझमें आनन्द

कृपा भोले बाबा की तो आशीर्वाद संकट मोचन का।


कुछ बेहद ही अच्छी यादें हैं जो 

कभी संग मेरे बनारस में घटी हैं !

मैं अब काशी में नहीं रहता लेकिन 

सुनो! पूरी काशी मुझमें रहती है।


©️®️काशी/अनुनाद/आनन्द/०३.०७.२०२२






Monday, 27 June 2022

कुछ यूं तेरा असर ...

पथरीली सड़क पर जैसे हरी दूब

उमसती गर्मी में चल जाए हवा खूब 

तपती दुपहरी में बादल का आना

यूँ ही तो होता है तेरा मुस्कुराना।


गेहूँ की बालियों की लहलहाती खनकन 

चिलचिलाती धूप में जैसे चमकते स्वर्ण 

इस चकाचौंध में कहीं छाँव मिल जाना 

हाँ यूँ ही तो होता है तेरा खिलखिलाना।


वो बगीचा, नदी, ताल-तलैया घूमना

वो यारों के संग ठहाकों का दौर होना 

इन सब में भी दिल का कहीं खो जाना 

कुछ यूँ भी तुम जानते हो दिल चोरी करना।


माथे पर पसीने का छलक जाना 

गर्मी से कपड़ों का तर हो जाना

लगे कि ठंडी पुर्वी बयार का आना 

यूँ ही होता है तेरा बग़ल से गुज़र जाना।


इधर-उधर की बातों में प्यार छुपा होना 

बड़े धैर्य से टक-टकी लगा तुझे देखना 

इरादे समझ कर वो शर्म से पानी-२ होना 

कुछ यूँ भी तो दिल के कभी राज खोलना।


प्यास से सूखे गले को पानी मिल जाना 

तपते बदन को ठंडक मिल जाना 

बंजर धरती पर बारिश का गिरना 

यूँ ही तो होता है तेरा मुझको छूना।


वो काली साड़ी में तेरा मिलने आना

मेरे पसंदीदा रंग का नीले से काला होना 

घूरना इस कदर कि दिखे मेरा बेसब्र होना 

कुछ यूँ भी तो होता है तेरा काला जादू-टोना।


सुराही सी गर्दन पर पल्लू लटकना 

खुली बाँहें और बल खा कर चलना 

पल में ज़मीन से सातवें आसमाँ जाना

यूँ ही तो होता है तेरा मेरे गले लग जाना।


जीवन की उलझनों में परेशान होना

भरे उजाले में भी एक अंधेरे का होना 

फिर एक रोशनी की किरण दिखना 

यूँ ही तो होता है तेरा कंधे पे सिर रखना।


पथरीली सड़क पर जैसे हरी दूब

उमसती गर्मी में चल जाए हवा खूब 

तपती दुपहरी में बादल का आना

यूँ ही तो होता है तेरा मुस्कुराना।

©®कुछ यूं तेरा असर/अनुनाद/आनन्द/२७.०६.२०२२