अनिकेत का दिल आज भी गुनगुनाता है -
Wednesday, 20 February 2019
ज़वाब....... (पाती....... प्रेम की -1)
अनिकेत का दिल आज भी गुनगुनाता है -
Saturday, 2 February 2019
पाती..... प्रेम की।
यह कहानियों की एक श्रृंखला है जो प्रेम और उससे जुड़े अनुभवों को बयां करती हैं। ये कहानियां दिल के किसी कोने में पड़े पुराने एवं लगभग खत्म हो चुके एहसासों को पुनः जीवित कर देंगी।
हम सभी अपनी जिंदगी में प्यार जैसे खूबसूरत एहसास से जरूर किसी न किसी रूप में रूबरू हुए होंगे। उस प्यार की ऐठन भी क्या खूब हुआ करती थी। एक अलग ही दुनिया.......अद्भुत...... और उसमें पकने वाले ख्याली पुलाव। वाह .... क्या कहने। सामने वाला बन्दा या बन्दी हमारी पूरी दुनिया हुवा करती थी। न उसके बारें में कुछ गलत सुनना न कुछ गलत कहना। उसके लिए तो कुछ भी कर जाना। अजीब पागलपन!!! फकीरी जुनून!!! हम पर लोग हँसते थे। लोगों को हम कहाँ से समझ आते जब हम खुद ही कुछ नही समझ पा रहे होते थे।
ऐसे में कुछ पागल और भी थे जो हमारे इस पागलपन में हमारा पूरा साथ देते थे। गजब का धैर्य था सालों में। पूरी गंभीरता के साथ हमारे साथ हर परिस्थिति में तत्पर। हाँ!!!!! लेकिन हमारा चूतिया कटने पर सबसे ज्यादा हंसी भी साले वही उड़ाते थे। दुख हो या सुख , एक बियर और ठेके की छत और फिर किस्से कहानियों का दौर ( इनमे से कुछ चखना चोर भी हुआ करते थे)। सालों का कंधा था या बिरला सीमेंट की दीवार। सर रखो और सब कुछ हल्का। हमारा सारा बोझ उठा लेते थे साले। आज बहुत याद आते हैं वो मित्र गण। इनके बिना तो प्यार मोहब्बत के उस दौर में होने वाली ऐठन कभी भी अपने पराकाष्ठा को प्राप्त न कर पाती।
हम सब ने अपने प्यार को पाने के लिए भागीरथ प्रयास किये होंगे। कुछ के प्रयास सफल भी हुए और कुछ को निराशा हाथ लगी। कुछ तो इतना करीब पहुँच कर रह गए कि उस मोड़ पर दिल टूटना मानो दुनिया खत्म होना और कुछ का सब कुछ खत्म होकर भी नाटकीय अंदाज़ में भी सब कुछ पा जाना। कभी कभी तो न मिल पाना , मिलने से ज्यादा खूबसूरत होता है । वो कहते हैं न कि मजा तो सफर में था , मंजिल पर तो कहानी खत्म थी। इसलिए मैं तो कहता हूँ कहानी चलती रहनी चाहिए, मजा तो बस इसी में है।
ये जिंदगी ऐसी कहानियों से भरी हुई है। खोने का मलाल, या पाने की खुशी, या जिंदगी भर याद रह जाने वाले पल जो हमेशा चेहरे पर मुस्कान और दिल में एक दर्द जगा देते हैं , ऐसे ही छोटे -बड़े, गहरे-छिछले और टेढ़े-मेढ़े अनगिनत एहसासों के साथ आपको गुदगुदाने की एक छोटी सी कोशिश-
पाती.... प्रेम की।
जल्द ही हाजिर हूँगा इस श्रृंखला की पहली कहानी के साथ.............
तब तक के लिए शुभ रात्रि, शब्बा खैर।
Sunday, 15 July 2018
बारिश....
बारिश
मेरी वाली
तुम्हारी वाली
सुकून देती
बेचैनियां बढ़ाती
दीवाना बनाती।
बारिश
प्यास बुझाती
आग लगाती
चाहत जगाती
आतुरता बढ़ाती
किसी की याद दिलाती।
बारिश
घने काले बादलों के साथ
दूर देश से आती
नशे में रहती
झूम कर बरसती
अपनी धुन में नचाती।
बारिश
टिप-टिप कर गिरती
बादलों को झाड़कर बूंदें गिराती
कानों में मधुर संगीत घोलती
स्वरों के इस झुरमुट में
हमें खो जाने को कहती।
बारिश
जब मिट्टी पर गिरती
खुद को भूल जाती
अपने अस्तित्व को खोती
मिलकर अपने प्रिय से
उसके रंग में रंग जाती।
बारिश
किसी मुस्कान सी चमकती
घने काले बालों जैसे बादलों के साथ रहती
ठंडी हवाएं सिहरन सी जगाती
कोमलता का एहसास दिलाती
बूंदों की आवाज जानी पहचानी लगती
मुझे धोखा सा होता
ये तुम सी लगती।
बारिश.....
Monday, 7 May 2018
अंदाज़-ए-जिंदगी
खुलकर जिएं जिंदगी जनाब , गलत-सही के चक्कर में न पड़िए।
दिल को रखना है जवाँ, तो बिरादर, मन में खुराफात कई रखिए।
सांच को आंच नही,सच है ये, मगर झूठ का भी खूब इस्तेमाल करिए।
उजालों की कद्र तो ठीक है , किन्तु कीमत अंधेरे की भी रखिए।
बुढापा भी कट जाए ख्वाहिशों को पूरा करने में , कि जवानी में अरमान इतने रखिए।
और लेना हो उम्र के हर पल का मजा, तो मिजाज अपने श्वेत -श्याम रखिए।
मजा क्या जो आसान हो ज़िन्दगी, कि कश्ती सदा तूफानों में रखिए।
और खाली बैठकर भी क्या करोगे मियाँ, कि जिंदगी में बयाने कई रखिए।
जुबाँ को रहने दें खामोश, कि आंखों का इस्तमाल कुछ यूं करिए।
लोग अंदाजा ही लगाते रह जाएं, कि नज़र में अपनी शरारत बेशुमार रखिए।
हर प्रश्न का जवाब हो एक सवाल, कि अंदाज-ए -बयाँ कुछ यूं रखिए।
और बढ़ जाएं दिलों में बेचैनियां, कि चेहरे पर मुस्कान ऐसी रखिए।
आपको पढ़कर भी न समझ पाए कोई, कि खुद को कलमबंद कुछ यूं करिए।
पढ़ने वाले पन्ने ही पलटते रह जाएं, कि जिंदगी की किताब में पन्ने हज़ार रखिए।
आसानी से न समझ में आएं किसी के, बरखुरदार इसका जुगाड़ कुछ ऐसा करिए।
उधेड़ना पड़े परत दर परत और कड़ी दर कड़ी, कि दिल में अपने राज इतने रखिए।
Wednesday, 2 May 2018
शरारत-ए-इश्क
वो मिलने की चाह भी रखते है, वो प्यार भी ख़ूब करते हैं।
ग़लती से मिल जाए नज़र तो नज़र अन्दाज़ भी ख़ूब करते हैं।
वो माहिर हैं नज़रों के खेल में, नज़रों से वार ख़ूब करते हैं ।
जकड़ कर नज़रों के मोहपाश में, बेचारे दिल को घायल ख़ूब करते हैं।
जाने अनजाने छेड़ ही देते है, वो ख़्वाहिशें ख़ूब पैदा करते हैं ।
बढ़ा कर दिल में कसक, वो दीवानों को परेशान ख़ूब करते हैं।
दिन बीतता है उनको याद करके, वो शामों को हसीन ख़ूब करते हैं।
रोशन करके शमाँ रातों को, वो परवानो को क़त्ल ख़ूब करते हैं।
Friday, 16 February 2018
प्यार.......एक शुरुआत!
इस दुनिया में हूँ पर ख़ुद में खोयी हुयी हूँ
पाने को तेरा साथ तेरे ही इंतेजार में हूँ ।
ख़ुश भी हूँ , बहुत हैरान भी हूँ ।
तुम्हें पाऊँगी या खो दूँगी, इस सवाल से परेशान भी हूँ।
कभी सोचा ही नहीं कि कैसी लगती हूँ,
पर अब तेरे सामने आने से भी डरती हूँ।
कैसी दिखती हूँ , कैसी लगूँगी तुम्हें, इसी सोच में रहती हूँ,
पसंद आने को तेरे अब मैं कोशिशें हज़ार करती हूँ।
ख़ुद की फ़िक्र कभी की ही नहीं मगर अब आइने के सामने हूँ ,
चेहरे पर मेरे आ गया है अजब सा निखार कि मैं तेरे प्यार में हूँ ।
Sunday, 18 June 2017
हौसला .......
हे मन,
तू रख धीर
रह गंभीर
न हो विचलित
कदम न डगमगाएँ
हौंसले से
हो तत्पर
गतिमान रह
कर्मपथ पर।
बाधाएं आएंगी,
विवशताएं आएंगी,
कदम भी लड़खड़ाएंगे,
बातों के तीर से,
लेकर घायल हृदय,
हौसले से
कर मरहम
तू रुक मत
कर्म पथ पर।
ये दौर नही अपना,
ये लोग नही अपने,
आसां नही तेरी मंजिल,
ऊंचे तेरे सपने।
पूरे तुझे करने।
हौसला रख
ये खुदा तेरा
बढ़ता चला चल
कर्म पथ पर।
उम्मीद तुमसे,
आशाएं तुमसे,
तुझसे जुड़े लोगों,
की आंखों में चमक तुझसे।
सभी का आशीर्वाद तुमको।
हौसला रख
दुवाओं के आवरण में
खुद को रख सुरक्षित
कर्म पथ पर।
कटेगा अंधेरा,
रोशनी होगी,
चहुँ ओर उजाला होगा,
वो कांति तेरी होगी।
वो दौर तेरा होगा।
हौसला रख
बढ़ा लगन
तेरी अलग पहचान होगी
कर्म पथ पर!
कर्म पथ पर......................