Tuesday, 30 March 2021

रंग तेरा...

कोई तो रंग ऐसा होगा 
जो भा जाए तेरे रंग को
अख्तियार कर लूँ वो रंग
एक तेरा रंग पाने को।

हजारों रंग ले लिए खुद में
तुझ संग होली मनाने को।
रंग-बिरंगा देख यहाँ सबने
मान लिया है रंगबाज़ हमें।

©️®️होली/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०३.२०२१

Monday, 29 March 2021

होली हो...

रंग होली के, तेरा रंग मिले
तो होली हो!
टोली होली के, तेरा संग मिले
तो होली हो!
गाल गुलाबी लाल करूँ, गाल तेरे हों
तो होली हो!
पिचकारी साधूँ, निशाना तुम हो
तो होली हो!

रंग मेरा पहला, ख्वाहिश तेरी हो
तो होली हो!
सुबह होली की, सामने तुम हो
तो होली हो!
वर्षों की प्यास, जो आज बुझे
तो होली हो!
रंग दूँ तेरी चूनर, मैं आज धानी
तो होली हो!

तुम बचकर भागो, मैं पकड़ूँ
तो होली हो!
पकड़ रूपट्टा लूँ, तुम सकुचाओ
तो होली हो!
भर लूँ बाहों में, दिल धक से हो
तो होली हो!
फगुआ बयार, नशा चढ़ा तेरा हो
तो होली हो!

सबको अपना मन-मीत मिले
तो होली हो!
रंग से रंग यूँ मिले, ख़त्म हो भेद सभी 
तो होली हो!
तेरा मेरा रंग मिल कर, रंग अनोखा हो
तो होली हो!
प्रेम भाव ही आनन्द, ये आनन्द मिले
तो होली हो!

होली की शुभकामनाएँ🎉💐

©️®️होली/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२९.०३.२०२१

Friday, 26 March 2021

रात, खिड़की, रेलगाड़ी और कुछ ख्याल तेरे!

आज भी 
जब मैं
सुनता हूँ
आवाज 
रेलगाड़ी की
तो एक चमक
कुछ पल को
भर जाती है
मेरी आँखों में
दिल को होती है 
उम्मीद कि
तुम भी लौट आओगे
एक दिन 
इसी रेलगाड़ी से...

उम्मीद
हो भी क्यूँ न!
आखिरी बार 
तुम्हारे साथ थे 
रेलवे स्टेशन पर 
छोड़ आए थे तुम्हें
रेलगाड़ी में...
आज भी मुझे
याद है 
तुम्हारी वो आँखे
परेशान चेहरा 
पैरों की हलचल
हथेलियों का उलझना
हृदय की वेदना
और मेरा
रखकर दिल पर
बहुत भारी पत्थर
तुमको जबरन 
गाड़ी में चढ़ाना
जब रेलगाड़ी
चलने को हुई थी।

उम्मीद 
तुम्हारे लौटने की
बनी रहेगी
तब तक
जब तक
रहेंगे ये 
स्टेशन
और
चलती रहेगी
एक भी 
रेलगाड़ी।

आज भी 
जब मैं
सुनता हूँ
आवाज 
किसी रेलगाड़ी की......

©️®️रेलगाड़ी/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२६.०३.२०२१

Thursday, 25 March 2021

रात (ज़िन्दगी की...)

आधी रात को खिड़की से बाहर क्या देखूँ
फिर भी देखूँ तो रात के सन्नाटे में क्या ढूढूँ
ढूढूँ भी तो वर्षों की तन्हाई में किसे पुकारूँ
पुकारूँ तो हृदय की आवाज किसे सुनाऊँ?

आवाज बहुत है भीतर शोर बहुत है मगर
रात के सन्नाटे सा चेहरा ये शान्त बहुत है
दिन के भीषण कोलाहल से बचने को रात ने
आज कल अन्धेरे से कर ली यारी बहुत है।

रात के इस सफर को पूरी रात काटनी है 
दिल के इस सफर को ये ज़िन्दगी काटनी है
रात ज़िन्दगी है या फिर ज़िन्दगी ही रात सी है
अब तो बस ज़िन्दगी की ये रात काटनी है।

अब तो बस बादल घिर जाएँ और बिजली चमक जाए
एक तेज आँधी चले और इस सर का छप्पर उड़ जाए 
ऐ ज़िन्दगी अब कोई ख्वाहिश नहीं मैं कुछ और नहीं माँगूँगा
बस जम कर बारिश हो और फिर चमकीली धूप खिल जाए।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२५.०३.२०२१

Sunday, 21 March 2021

अनुनादित आनन्द

चीजें पुरानी देखकर तुम जो आज मेरी मुफ़लिसी पर हंसते हो,
नए अमीर तुम पुश्तैनी खजाने की कीमत कहाँ आँक सकते हो!

शहर में हर कोई नहीं वाक़िफ़ तेरे हुनर और ऐब से आनन्द
मेरी मानें तो घर से निकलते वक़्त अच्छा दिखना ज़रूरी है।

खुद को खुदा करने को, इतना झाँक चुके हैं अपने भीतर
इतनी गंदगी, कि कोई पैमाना नहीं, टूट चुके हैं सारे मीटर!

हम यूँ ही आज लिखने बैठे, सफेद पेज को गंदा करने बैठे 
अच्छा करने में दामन होते दागदार ये सबक हम लेकर उठे।

खुदा करे ये सफेद दामन मेरा भले कामों से दागदार हो जाए,
नाम बदनाम हो सही है, पर लोगों का दिन ख़ुशगवार हो जाए।

मैं तो जी रहा था अपनी धुन में कहीं और इस ब्रम्हांड में,
इस धरा को करने आया अनुनादित मैं अपने आनन्द में।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२०.०३.२०२१

Saturday, 20 March 2021

साथ... (खुद का)

अकेले आये थे 
अकेले जाना है 
ये जीवन भी हमें
अकेले ही बिताना है।

इर्द-गिर्द की भीड़ छलावा 
अपना न कोई नाता है 
अकेलेपन का गीत 
इसीलिए तो भाता है।

खुद का साथ 
खुदा का साथ 
जीवन सुख में
अपना ही हाथ।

ज्ञान का अभिमान
दिखाता अज्ञान
झुककर देखा 
तभी मिला सम्मान।

बन्द मत करो 
चार दीवारों में
खुलकर मिलो सबसे
खुशियाँ नज़ारों में।

करते रहो बातें 
जीते रहो बेमिसाल
वरना उम्र का क्या
कट जाएगा ही साल।

अकेले आये थे 
अकेले ही जाना है 
ये जीवन भी हमें
अकेले ही बिताना है।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२०.०३.२०२१

Wednesday, 17 March 2021

कहानी तेरी-मेरी...

किताबी इस कहानी का अंजाम कुछ यूँ हो,
मैं लिखूँ एक किताब और कहानी हम तुम हों,
चाहूँ तो बदल दूँ वो क़िस्से जो मुझे नहीं पसंद लेकिन,
बिना बिछड़े भी बताओ मेरी कहानी मुकम्मल कैसे हो?

जिस उम्र में तुझसे बिछड़े थे,
वर्षों से वो उम्र वहीं पर ठहरी है!
जीने को फिर से वो दिन,
बस एक मुलाकात जरूरी है।

साथ सुहाना वो सफर में निभा न सके,
ख्वाब जो देखे साथ वो पूरे कर न सके,
ये उनके करवट बदलने की बीमारी पुरानी लगती है, 
ख्यालों में कोई सूरत अभी भी जिन्दा लगती है।

वो खुद को मेरी नज़र से ही देखते होंगे!
तभी तो आईना देखकर यूँ शरमाते हैं।
तैर जाते होंगे ख्यालों में वो साथ बीते सभी पल,
तभी तो उनके गाल लाल नज़र आते हैं।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१७.०३.२०२१