Saturday, 30 March 2019

और चिड़िया उड़ गई.....

मेरे नैन काश
होते तुम एक चिड़िया
खुले आकाश में
करते भ्रमण
कहीं आते जाते
न होती कोई रोक-टोक
जब भी होती इच्छा
उड़ लेते उनके शहर की ओर ।

मिला मुझे एक वरदान
उड़ सकते हैं ये नैन
देखो ये दिल
ज़ोर से है धड़का
ज़ोर से चली हवा
शायद कोई गुज़रा
महकी मेरी साँसे
ये तो थी उनकी
यादों की आहट
लो पाने को एक झलक
जाना है उनके शहर
और चिड़िया उड़ गयी।

ख्वाबों से हक़ीक़त तक

यक़ीं नहीं होता ख़ुद की क़िस्मत पर मुझे
ये सपना तो नहीं कहीं कोई काटो चुटकी मुझे
इतने नज़दीक हैं वो मेरे कि कोई सम्हालो मुझे
कैसे रखूँ क़ाबू में ख़ुद को चढ़ रहा नशा मुझे ।

छूँ लूँ उसे कि हो जाए यक़ीं मुझको
कैसे बढ़ूँ उसकी ओर कि लगता डर मुझको
आँखें ये ठहरती ही नहीं कि लगती चौंध मुझको
उनका आफ़तबी चेहरा कर रहा रोशन मुझको ।

ख़ुदा करे ये पहिया समय का ठहर जाए यहीं
क़ैद कर लूँ उन्हें अपनी आँखों में न जाने पाए वो कहीं
थाम लो दिल की धड़कनो को बनो बेसब्र नहीं
वो आएँ हैं मिलने क्या इतना ही काफ़ी नहीं ।

मासूमियत तो देखो उनकी जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं
नैनों से लिख रही हो इबारत कि बन रही है कहानी नयी
लगायी है तुमने जो आग कि वो अब बुझेगी नहीं
कलमबंद कर लूँ इन्हें कि ये कोई आम घटना नहीं।

Friday, 22 March 2019

प्यार में लगते हो!

किसी के ख्यालों में खोए लगते हो !
अपनी ही सुध नही, नशे में लगते हो!

शर्म से नज़रें झुकाते हो दिल के साफ़ लगते हो !
मोहब्बत की गली से पहली बार गुज़रे हुए लगते हो !

हो न हो किसी के प्यार में लगते हो!
बात ज्यादा नही बस दिल के खेल में नए लगते हो!

यूँ घबराकर हाथ पैर चलाते हो बड़े बेचैन लगते हो !
तुम डूबे नहीं बस इश्क़ की गहरायी में उतरे लगते हो !

भीड़ में भी अकेले हो चेहरे से उदास लगते हो !
किसी की मासूम मुस्कान में क़ैद क़ैदी लगते हो !

कुछ कहते नहीं हो बिरादर बड़े ख़ामोश लगते हो !
दिल में दबा रखी हैं ढेरों बातें बंद तिजोरी लगते हो !

आँखो में ये जो शानदार चमक है अंदर एक आफ़ताब लिए लगते हो !
किसी बेहद दिलकश हसीन चेहरे से रूबरू हुए लगते हो!

आओ बैठो दिल के कुछ राज तो खोलो बड़े शर्मीले लगते हो !
हमें शौक़ है दिल की कहानियों का तुम काम के आदमी लगते हो !

Monday, 18 March 2019

बनारस हो तुम।

मेरे दिल का सुकून हो तुम,
लंका, गोदौलिया और शायद अस्सी हो तुम।

गहरे घने अंधेरे के बीच एक रोशनी हो तुम,
गंगा के पानी में चमकने  वाली चांदनी हो तुम।

मेरी भक्ति मेरी आस्था और मेरी श्रद्धा हो तुम,
संकट मोचन , दुर्गा कुंड या बाबा विश्वनाथ हो तुम।

तेरी यादों में खोया आवारा सा बहकता हूँ मैं,
बी एच यू कैंपस की वो गलियां हो तुम।

दिल की जलन का आराम हो तुम ,
शायद गंगा उस पार की रेत हो तुम।

नीरव में बजता एक मधुर संगीत हो तुम,
आधी रात को गंगा के पानी का कल-कल हो तुम।

पाकर तुम्हे खत्म मेरी हर इच्छा हो जाये,
पा लूँ मैं मोक्ष कि मणिकर्णिका हो तुम।

इन्ही घाटों पर गुजरी हुई कहानी हो तुम,
ताजगी का एहसास दिलाती वो पुरवी बयार हो तुम।

गुंजायमान कर दे अंतर्मन को वो नाद हो तुम,
मंत्रमुग्ध हो जाये दिल और दिमाग कि गंगा आरती हो तुम।

मेरी जान , मेरा इश्क़, मेरा ज़ुनून हो तुम ,
कुछ और नही बस बनारस हो तुम !
बनारस हो तुम।

Monday, 11 March 2019

मेरा कोना

Heaven achieved!

“मुझे मेरा कोना मिल गया “

What a writer need most in his life ?
A right corner to explore every neurones in their mind (running randomly everywhere) and to make them in a queue so that they can create magic with some words on a paper.

आज अपनी ही लिखी लाइन याद आ गयी कि “वास्तव में जीवन उसी का सफल हुआ है जिसे मिल गया हो कोना ।”