कई एक पलों में हमने जी ली थी ज़िंदगी संग,
और पाकर साथ तेरा रोमांचित था हर एक अंग ।
पका लिए ढेरों ख़याली पुलाव तुझको लेकर,
तैयारियाँ भी पूरी थी तेरे संग सफ़र को लेकर ।
तुम्हारी तरफ़ जब हमने एक उम्मीद से देखा,
आँखों की चमक को शर्म ए गुनाह में बदलते देखा ।
फिर क्या, इस कहानी को मैंने यूँ एक नया अंजाम दिया,
दबा लीं सारी बातें और दिल को अपने क़ब्रगाह बना लिया ।
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