कोई जल्दी नही है
कुछ और नया हासिल करने की,
मुझे फ़ुर्सत नही है
किसी भाग दौड़ में शामिल होने की,
ये भी क्या बात हुयी
अभी आए हो और बातें करते हो जाने की,
शाम को रोक लिया है मैंने
इजाज़त चाहिए तुमसे महफ़िल सजाने की,
चलो मुस्कुरा भी दो
रोशन कर दो शमाँ, ज़रूरत अब उजाले की,
मुमकिन है कि अब मुलाक़ात फिर न हो
दिल खोल कर मिलो, न बातें करो जुदाई की,
अभी व्यस्त हूँ जीने में,
कल क्या होगा नही कोई अब फ़िक्र इसकी,
आओ लग जाओ गले कि
कोशिश है इन पलों को मुकम्मल करने की।
Wah
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteGajjab
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