आपकी बातों में छुपी शैतानियाँ समझते हुए भी वो अनजान बनते हों...
जब समझाओ तो ज्यादा होशियार न बनो, ये कहकर बातों को टाल देते हों...
इससे ज्यादा कोई रिश्ता क्या मुकम्मल होगा, कि दोनों दिल एक ही मुकाम पर हैं...
तू बस उनके साथ सफ़र को जी, इससे ज्यादा की क्यों उम्मीद करते हो...
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