लिंक के ज़रिए दिया गया गीत मुझे एक ख़ास एहसास से रुबरू कराता है। ऐसा एहसास जो आप जी चुके हैं और जितनी बार ये गीत सुनते हैं आप पुनः उसी काल खंड में उसी ख़ास व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति के पास पहुँच जाते हैं। बिल्कुल सजीव हो जाता है वो पुराना वाला माहौल! जिससे आप प्यार करते हों और वह आपकी तरफ एक खास नज़र से देख रहा हो और आपके पता चलते ही वो नज़रें झुक जाएँ! आहा....... सोच कर ही एहसासों की तरंगे हिलोरे मारने लगती हैं। इस ख़ास समय में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं, इसलिए ये गीत सुकून और एकांत में ही सुना जाता है।
एक दिन मैंने यूँ ही पूँछ लिया कि कोरोना के इस काल में जहाँ सब लोग मास्क लगाए हुए हैं तो क्या ऐसे समय में पहली नज़र वाला प्यार हो सकता है क्या? भिन्न-२ लोगों की भिन्न प्रतिक्रियाएँ! काफ़ी होनहार लोग हैं दिलों के खेल के मामले में! बड़ी उम्र की अपेक्षा छोटी उम्र के लोग़ ज़्यादा अनुभवी निकले! उनके उत्तरों ने तो सोचने पर मजबूर कर दिया और ये भी साबित कर दिया कि चेहरे की उतनी ज़रूरत नहीं, लोग नज़रों से भी काम चला ही लेंगे लेकिन प्यार करना नहीं छोड़ेंगे 😁 । बड़ी उम्र वाले शायद ज़िंदगी में आटा-दाल के भाव पर बहस करने में लगे हैं या प्यार करने के उपरान्त ९९ प्रतिशत केस में मिलने वाले बुरे परिणामों से त्रस्त हो चुके हैं और वो अब प्यार मोहब्बत पर बात ही नहीं करना चाहते😆।
ख़ैर........ प्यार मोहब्बत करते रहिए और लिंक में दिए गए गीत से काम चलाइए। तब तक मैं कोरोना की वैकसीन पता कर लेता हूँ। मास्क सहित चेहरे मुझे हज़म नही होते! चेहरा ज़रूरी है ......! 😜
~अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३१.०८.२०२०
https://youtu.be/1qBVXjsyfqYहर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं...
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