Thursday, 17 September 2020

हम बिजली अभियन्ता.....

नौकरी करने चले थे हम सरकारी,
क्या बताएँ बस मति गयी थी मारी।

बिजली अभियन्ता हैं बिजली हम बनाते हैं,
दूर-२ तक पहुँचाते और इसे घर-२ बाँटते हैं।

हवा पानी की तरह ही भाई बिजली भी ज़रूरी है,
है मँहगी मगर सबको सस्ती मिलनी ज़रूरी है।

आवश्यक चीज़ों-सेवाओं का कभी सौदा नही किया जा सकता,
प्रगति को ज़रूरी बिजली को लाभ के लिए बेचा नहीं जा सकता।

बिजली घर-२ की ज़रूरत है, इस हक़ को छीना नहीं जा सकता,
केवल मुनाफ़ा कमाने का इसको साधन बनाया नहीं जा सकता।

जब तक भारत देश से हमारे देखो ग़रीबी नहीं मिटती,
सरकारी सहयोग से ही सबको सस्ती बिजली मिल सकती।

व्यापारी तो केवल व्यापार करने आएँगे 
बिना मुनाफ़े के वो क्या ही बिजली बेच पाएँगे।

जब बिजली बन जाएगी मुनाफ़े का सौदा तो सोचिए 
क्या किसी गरीब के घर कभी रोशनी हो पाएगी ?

ये बिजली है आम जन मानस का हक़ और सबको ज़रूरी है, 
बिना किसी लाभ-हानि के इस पर सरकारी नियंत्रण ज़रूरी है।

माना की कमियाँ हैं अभी कुछ हम सेवा प्रदाताओं में,
तकनीक के प्रयोग से किया जा सकता है सुधार इसमें।

हम बिजली अभियंताओं ने देश हित को क़सम ये खायी है,
करने को देश सेवा हमने न जाने कितनी नौकरियाँ ठुकरायीं हैं।

है योग्यता हममे, हम आज भी अपना हित साध सकते हैं,
हम किसी कोरपोरेट या फिर देश के बाहर भी जा सकते हैं।

मगर देश भक्ति का जज़्बा लिए हम सरकारी सेवाओं में आयें हैं
समाज की भलाई को लेकर हम सब संघर्षों को गले लगाएँ हैं।

निजीकरण बर्दाश्त नहीं ये हमारे और गरीब जनता के साथ धोखा है,
देश की प्रगति में साधक बिजली को हमने ही ग़लत हाथों में जाने से रोका है।

©️~अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१७.०९.२०२०

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