Wednesday 27 January 2021

जीवन और अभियान्त्रिकी

जीवन को लेकर बड़ी-२ बातें करने वाले कभी-२ जीवन की आधारभूत बातों को भूल जाते हैं। जबकि इन आधारभूत बातों का पालन करके ही वे बड़ी-२ बात कर रहे होते हैं। लेकिन नियम किसी को नहीं भूलते, वो सब पर बराबर से लागू होते हैं।

विद्युत अभियांत्रिकी के विद्यार्थी लेन्ज़ के नियम को ही देख लें।  ये अभियांत्रिकी, विज्ञान, कुछ विशेष उत्पन्न करके कुछ नया नहीं बताएँ हैं, बस घर-गृहस्थी और समाज से निकले व्यवहार के सारांश को हम पर टोप दिएँ हैं और हम पढ़ाई काल से लेकर आज तक यही समझते रहे कि हम कुछ विशेष पढ़ लिए हैं और दुनिया से अलग हैं। सारी पढ़ी हुई परिभाषाएँ, नियम, कायदे, कानून तो हम अब चरितार्थ होते देख रहें हैं और असली में समझ तो अब आया है।

"ज़िन्दगी एक इंडक्शन मोटर है।" ज़िन्दगी की इससे अच्छी, सटीक, और कम शब्दों में पूर्णतः व्यवहारिक परिभाषा और कोई नहीं दे सकता। इसका मुझे घमंड भी है। ज़िन्दगी को परफेक्ट करना है तो एक बाह्य बल लगाकर इसे सिंक्रोनस मोटर भी बना सकते हैं। और फिर गति में थोड़ा सा परिवर्तन कर आप इसे जनरेटर और मोटर दोनों की भाँति प्रयोग कर सकते हैं। मतलब जब कमजोर पड़ें तो समाज से लें और मजबूत हो जाएँ तो समाज को वापस कर दें। अन्यथा की स्थिति में हर व्यक्ति इंडक्शन मोटर ही है। 

"इंडक्शन मोटर से सिंक्रोनस मोटर में खुद को बदल लेना ही सफलता है। बस........!"

आज का ज्ञान इतना ही! आगे इसका विश्लेषण जारी रहेगा...........

नोट: जो विद्युत अभियन्ता समाज को नहीं समझ पाते और अभियन्ता होने के दम्भ में ही रहते हैं उनके लिए ये लेख विशेष रूप से समर्पित। समय रहते समझना चाहें तो समझ लें अन्यथा ज़िन्दगी समझाएगी ही! वो भी अपनी लाठी से।
हा हा ....😁😎

अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२७.०१.२०२१

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