अचानक मुलाकात हो जाये
ऐसे संयोग अब नहीं होते क्या?
भीड़ में तुझसे आँखे मिल जाये
ऐसे मधुर योग अब नहीं होते क्या?
सुनकर मेरा नाम कोई जो पुकारे
तेरा दिल अब नहीं धड़कता क्या?
हिचकियाँ नही आती आज कल
तुमको अब हमारी याद नहीं आती क्या?
दिन में भी रहते हैं ख्वाबों में,
उन्हें रात में अब नींद नहीं आती क्या?
दोस्तों में बस उनकी बातें हो,
ऐसी महफिलें अब नहीं लगती क्या?
हमारे साथ की तलब नहीं लगती
मन मचलने की अब उम्र नहीं रही क्या?
बहुत दिन गुज़र गए बिना हाल-चाल के
तुमको हमारी फिक्र अब नहीं रही क्या?
ख्यालों में बगल से रोज गुजरते हैं तेरे
मेरे होने की तुझे अब आहट नहीं मिलती क्या?
और एक उम्र मिली थी जो बहुत तेज बीत रही है,
अकेले बीतती इस उम्र से अब डर नहीं लगता क्या?
कभी तो हमसे मिल लिया करो
मिलने को अब बहाने नहीं मिलते क्या?
लगता है बहुत दूर चले गए,
हमारे शहर अब आना नहीं होता क्या?
काश! आज अचानक तुमसे मुलाकात हो जाये
ऐ खुदा तू ऐसे संयोग अब नहीं बनाता क्या?
©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०१.२०२१
No comments:
Post a Comment